निर्यात के फायदे एवं नुकसान। Advantages and Disadvantages of Exporting.

हालांकि आयात निर्यात व्यापार यानिकी इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस को एक बेहद ही लाभदायक एवं कमाई करने वाले व्यापार के तौर पर जाना जाता है । यह तब संभव होता है जब इसे योजनाबद्ध तरीके से चलाया जा रहा हो। यही कारण है की आज भी जब कोई नवयुवक अपना बिजनेस शुरू करने की सोचता है तो वह कहीं न कहीं इम्पोर्ट एक्सपोर्ट से सम्बंधित बिजनेस भी शुरू करने की सोचता है। और जब नए उद्यमी इससे सम्बंधित बिजनेस को शुरू करने की सोचते हैं तो वे यह भी जानना चाहते हैं की आयात निर्यात से सम्बंधित बिजनेस शुरू करने के क्या क्या फायदे हो सकते हैं।

और क्या क्या चुनौतियाँ उनके सामने आ सकती हैं इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से निर्यात बिजनेस के फायदे एवं नुकसान की बात करने वाले हैं। यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं की बिजनेस चाहे किसी उद्योग या क्षेत्र से जुड़ा हुआ हो उसके कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी अवश्य होते हैं। फर्क इस बात से पड़ता है की नुकसान फायदों पर हावी नहीं होने चाहिए बल्कि फायदों की आड़ में नुकसान छुपे रहें तो वही बिजनेस लाभकारी माना जाता है।

यदि हम निर्यात की बात करें तो यह एक अंतराष्ट्रीय व्यापारिक गतिविधि है जिस प्रक्रिया में एक स्थानीय बाजार में स्थापित उद्यमियों द्वारा अधिक लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से उत्पादों का विदेशों की ओर निर्यात किया जाता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है और फिस्कल सरप्लस बनाने में भी मदद करता है। विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए किसी भी देश को निर्यात बढ़ाने की आवश्यकता होती है। तो आइये जानते हैं की निर्यात करने के क्या फायदे होते हैं? और क्या नुकसान होते हैं।

Exporting ke fayde aur nuksan

निर्यात करने के फायदे (Advantages of Exporting):       

वैश्वीकरण एवं आर्थिक एकीकरण की प्रवृत्ति के चलते दुनिया के आयातकों एवं निर्यातकों के पास विकसित देशों से तकनिकी, वैज्ञानिक एवं उन्नत प्रबंधन प्रणाली ग्रहण करने का मौका है। जिससे  उद्यमियों को उनके निर्यात व्यापार को लाभदायक बनाने में मदद मिलती है।

इसके अलावा बढ़ते औद्योगिकीकरण, कल कारखानों का स्वचालितकरण एवं आधुनिकीकरण के चलते उत्पादों की गुणवत्ता इत्यादि में तो सुधार हुआ ही है इसके साथ ही उत्पादन लागत में कमी आई है। इनकी मदद से गुणवत्ता के साथ साथ पैकेजिंग, डिजाईन इत्यादि में भी मदद मिलती है। इन्हीं कारणों से स्थानीय घरेलु उद्यमी भी विदेशी बाज़ारों में व्यापार कर पा रहे हैं।

1. व्यापार के अवसर एवं विकास के अवसर प्रदान करना:  

जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में आयात निर्यात से जुड़े अनगिनत बिजनेस आइडियाज हैं लेकिन हर बिजनेस सफल होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। लेकिन एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बिजनेस उन सभी के लिए एक खुला मंच है जो इसे शुरू करना चाहते हैं इसे शुरू करने के लिए न ही व्यक्ति की पृष्ठभूमि देखी जाती है और न ही कॉलेज से अर्जित किसी प्रकार की कोई डिग्री।

इस व्यवसाय में कैरियर एवं कमाई के अवसर सबके लिए खुले हुए हैं जिनकी कोई सीमा नहीं है। लेकिन निर्यात व्यापार में उत्पाद ही राजा होता है अर्थात कोई फर्क नहीं पड़ता की उद्यमी का ऑफिस या फैक्ट्री कितनी बड़ी है या कैसी दिखती है बशर्ते उद्यमी का प्रोडक्ट अच्छा होना चाहिए। यदि उद्यमी का प्रोडक्ट ग्राहकों की आवश्यकता के अनुरूप है तो वह निर्यात के माध्यम से अपने व्यापार को विकसित एवं विस्तृत कर सकता है।

2. असीमित बाजार

बहुत सारे निर्माणकर्ताओं को अपने द्वारा उत्पादित उत्पादों को स्वदेश में बेचना बड़ा कठिन होता है क्योंकि गृह राष्ट्र के अंतर्गत एक सीमित बाजार होता है जहाँ उद्यमी को अपने उत्पाद को बेचना होता है। इसलिए अपने उत्पाद को बाहरी देशों की ओर निर्यात करने से उद्यमी को एक असीमित बाजार मिलता है जहाँ वह अपने उत्पाद को बेचकर पैसे कम सकता है।

चूँकि अलग अलग देश के बाज़ार उसकी जनसँख्या, अर्थव्यवस्था इत्यादि के आधार पर छोटी बड़ी हो सकती है इसलिए निर्यातक को तय करना होता है की वह किस देश की ओर निर्यात करना चाहता है। स्थानीय बाजार की तुलना में विदेशी बाजार से उद्यमी को बड़ा आर्डर प्राप्त हो सकता है।

3. स्थानीय बाजार में होने वाली गिरावट से सुरक्षा:

इस बात को हम ऐसे समझ सकते हैं की जैसे दो विनिर्माणकर्ता हैं और एक का कारोबार दोनों स्थानीय एवं विदेशी बाज़ारों में है और दूसरा अपने प्रोडक्ट को केवल स्थानीय बाजार में बेचता है। अचानक से स्थानीय बाजार में उसके उत्पाद की माँग में भारी गिरावट आंकी जाती है और इस स्थिति से निबटने के लिए उद्यमी के पास कोई प्रायोजित योजना न होने के कारण उसकी कंपनी बैंककरप्सी की ओर बढती है।

वही दूसरी कंपनी जिसका कारोबार स्थानीय एवं विदेशी दोनों बाज़ारों में विद्यमान है उसके बिजनेस की सुरक्षा इसलिए हो जाती है क्योंकि वह अपने उत्पादों की निर्यात करके विदेशी बाजार में भी बेचता था ।

4. विदेशी बाज़ारों से अधिक लाभ अर्जित करना:

अपने उत्पाद को निर्यात करने का अगला फायदा यह होता है की स्थानीय बाज़ारों की तुलना में विदेशी बाज़ारों में उसी उत्पाद के अधिक पैसे मिल जाते हैं इसलिए उद्यमी अधिक लाभ अर्जित कर सकता है। कहने का आशय यह है की स्थानीय बाज़ारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा होने के कारण यहाँ उद्यमी को उसके उत्पाद की वह कीमत नहीं मिल पाती जो वह चाहता हो जबकि विदेशी बाज़ारों में उसके मनमुताबिक कीमत मिल सकती है जिससे उद्यमी के लाभ में वृद्धि होती है।

अलग अलग देश की जलवायु एवं स्थिति अलग अलग होती है इसलिए अधिकतर मामले में यह बात लागू होती है लेकिन यह कोई नियम नहीं है। लेकिन यदि एशियाई या अफ़्रीकी देश यूरोपीय देशों में अपने उत्पाद बेचते हैं तो यह बात एकदम चरितार्थ होती है इसलिए इसे भी निर्यात बिजनेस का एक लाभ ही माना जाता है।

5. सरकारी सहायता

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा देश में आती है जो फिस्कल सरप्लस भी बनाता है यही कारण है की देश की सरकार निर्यातकों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर कई सारे लाभ प्रदान करती है। सरकार निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों प्रकार के करों में छूट, ऋण इत्यादि प्रदान करती हैं। इसलिए कोई भी उद्यमी जो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरु करना चाहता हो उसे पहले सरकारी योजनाओं के बारे में जान लेना भी अत्यंत आवश्यक है।

6. भुगतान जल्दी प्राप्त करना:

निर्यात बिजनेस करके उद्यमी अपने उत्पादों को विदेशी बाज़ारों में बेचता है इसलिए स्थानीय बाज़ारों की तुलना में विदेशी बाज़ारों में उत्पाद बेचकर भुगतान जल्दी प्राप्त हो जाता है। कहने का अभिप्राय यह है की यदि स्थानीय बाजार में प्रतिस्पर्धा अधिक हो तो उत्पाद खरीदने वाले खरीदार जल्दी से भुगतान नहीं करते हैं जबकि विदेशी बाज़ारों में उपलब्ध खरीदार जल्दी भुगतान कर देते हैं। यद्यपि भुगतान एग्रीमेंट में उल्लेखित टर्म एंड कंडीशन पर निर्भर करता है।

निर्यात के नुकसान या चुनौतियाँ :

किसी भी तरह के बिजनेस में प्रवेश करने पर कुछ न कुछ चुनौतियों का सामना अवश्य करना पड़ता है। ऐसे ही निर्यात बिजनेस शुरू करने के भी कुछ चुनौतियाँ एवं नुकसान होते हैं जिनका विवरण निम्नवत है।

1. निर्यात बाजारों की गतिशीलता: 

प्रत्येक राष्ट्र की अपनी अपनी निर्यात निति होती है इसलिए जरुरी नहीं है की उस देश में उत्पादित हर एक उत्पाद निर्यात करने के योग्य हो। कहने का आशय यह है की किसी भी देश में उत्पादित हर एक उत्पाद को निर्यात करना आसान नहीं होता है। बाहरी देशों की ओर निर्यात करने के लिए काफी योजना, मेहनत एवं विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है।

क्योंकि कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है की उद्यमी लाख कोशिशों के बावजूद भी अपने उत्पाद को बेचने में एक संतोषजनक कीमत पर बेचने में असफल रहता है क्योंकि जब वैश्विक बाजार में उत्पाद की माँग घट जाती है और उत्पाद का उत्पादन लगातार बढ़ता रहता है तो ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए वैश्विक बाजार में निरंतर होने वाले परिवर्तनों से निर्यात व्यापार नकारात्मक तौर पर भी प्रभावित हो सकता है।

2. सही बाजार के लिए सही उत्पाद का चयन:

सही बाजार के लिए सही उत्पाद का चयन करना भी बेहद कठिन एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस तरह का यह कार्य करने के लिए बहुत सारे अन्य कार्यों जैसे मार्किट रिसर्च इत्यादि को पूर्ण करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा उद्यमी को उन कम्पनियों के बारे में भी रिसर्च करने की आवश्यकता होती है।

जो पहले से वैसा ही प्रोडक्ट बेच रहे हों या निर्यात कर रहे हों इसके अलावा मौजूदा प्रोडक्ट के फायदे एवं नुकसान के बारे में भी जरुर अध्यन करने की आवश्यकता होती है। यही कारण है की निर्यात करने के लिए बाजार के मुताबिक सही उत्पाद का चयन करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

3. अतिरिक्त टेरिफ

निर्यात कर को सरकार द्वारा इस तरह से वसूल किया जाता है ताकि वह देश के निर्यात को सुव्यवस्थित तरीके से प्रबंधित कर सके। ताकि देश को इसका फायदा मिल सके सरकार द्वारा निर्यात पर कुछ अतिरिक्त टेरिफ कुछ विशेष वस्तुओं पर लगाया जा सकता है जिनकी माँग स्थानीय बाज़ारों में अधिक हो लेकिन सप्लाई कम हो। यह इसलिए किया जाता है ताकि घरेलु माँग की आपूर्ति पहले की जाय इसके अलावा कुछ परिस्थितयों में निर्यात को प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।

इसके अलावा जिस देश की ओर उत्पाद निर्यात होता है उस देश में भी उस पर आयात शुल्क लगता है जिससे बिजनेस के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है। आयात शुल्क वह शुल्क होता है जो आयात करने वाला देश आयातित इकाई पर लगाता है। यदि कोई देश आयातित देश में उल्लेखनीय वृद्धि होती है तो वहां पर आयात में काफी गिरावट आ जाती है।

4. अंतराष्ट्रीय मानक

निर्यात करने के इच्छुक उद्यमियों के लिए अपने उत्पाद को अंतराष्ट्रीय मानको पर खरा उतारना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। वर्तमान में तकनिकी के बढ़ते चलन के कारण लगभग सभी देशों में उत्पाद की गुणवत्ता को मापने के एक से अनेक टूल विकसित हो गए हैं। इसलिए यदि कोई उत्पाद इन मानकों पर खरा उतरने में विफल रहा तो पूरा का पूरा आर्डर कैंसिल होने का खतरा रहता है। इसलिए उत्पादों का उत्पादन अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप करना भी निर्यात बिजनेस की एक चुनौती से कम नहीं है।

5. मुद्रा विनिमय दर (The currency exchange rate)

जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में हर राष्ट्र की मुद्रा विनिमय दर अलग अलग है इसलिए जिस राष्ट्र की ओर निर्यात हो रहा होता है यदि उस देश की मुद्रा विनिमय दर में बढ़ोतरी होती है तो निरत व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है। लेकिन यदि उस राष्ट्र विशेष की मुद्रा विनिमय दर घटती है तो निर्यात व्यापार भी प्रतिकूल तरीके से प्रभावित होता है। इसलिए मुद्रा विनिमय दर को भी इस व्यापार की एक चुनौती के तौर पर देखा जाता है।

6. पार्टनर के साथ व्यवसायिक रिश्ता:

निर्यात व्यापार एक ऐसा व्यापार है जिसे किसी भी उद्यमी द्वारा स्वयं के बलबूते पर अनजाम तक पहुंचा पाना मुश्किल होता है। इसलिए उद्यमी को अनेकों पार्टनर जैसे कार्गो ट्रांसपोर्टेशन, कस्टम सर्विस, बैंकिंग इत्यादि के साथ मजबूत व्यवसायिक रिश्ते की आवश्यकता होती है।

7. जटिल प्रक्रिया और प्रलेखन:

हालांकि सरकार की कोशिश निर्यात एवं निर्यातकों को प्रोत्साहित करने की रहती है लेकिन साथ ही यह भी रहती है की कोई गैरकानूनी गतिविधि निर्यात की आड़ में न हो। यही कारण है की सामान को निर्यात करने के लिए उद्यमी या निर्यातकों को काफी जटिल प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है और इसके अलावा बहुत सारे डॉक्यूमेंटेशन की भी आवश्यकता होती है। इसलिए यदि आज भी आप किसी निर्यातक से निर्यात में होने वाले वाली सबसे बड़ी परेशानी के बारे में पूछेंगे तो शायद उसका जवाब जटिल प्रक्रिया और प्रलेखन ही होगा।

यह भी पढ़ें

Leave a Comment