Biography and Success Story of Ratan Tata in Hindi : भारत के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में रतन टाटा का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। कहते हैं की एक गरीब का दर्द गरीब ही समझ सकता है, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जिन लोगों ने अपने जीवन में कभी गरीबी को देखा ही नहीं, उन्होंने उन गरीबों और गरीबी को दूर करने के लिए अथक प्रयास किये। रतन टाटा भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं।
कहने का आशय यह है की टाटा को भारत में सिर्फ एक उद्योगपति के रूप में नहीं जाना जाता है। बल्कि इन्हें एक परोपकारी पुरुष के रूप में भी जाना जाता है, जो दूसरों की भलाई के लिए सैकड़ों करोड़ों रूपये खर्च करने से भी पीछे नहीं हटते ।
हालांकि रतन टाटा एक ऐसे उद्योगपति हैं, जिन्हें व्यवसाय और धन संपदा विरासत में मिली है। जी हाँ इनके परदादा जमशेदजी टाटा ने टाटा समूह की स्थापना की थी। उसके बाद उनके बेटे रतनजी टाटा और इनके पिता नवल टाटा ने उनके इस बिजनेस को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाई।
लेकिन इतने बड़े व्यवसायिक घराने में जन्म लेने के बाद भी, और हजारों करोड़ों रूपये का स्वामित्व होने के बाद भी उनमें कभी भी अहंकार ने जन्म नहीं लिया। और वे अपनी अकूत सम्पति को ईश्वर का दिया हुआ वरदान समझकर मानव कल्याण में इस पैसे को खर्च करते रहे।

Biography of famous philanthropist & businessman Ratan Tata in Hindi:
रतन टाटा का जीवन परिचय सारांश
पूरा नाम | रतन नवल टाटा |
उपनाम | रतन टाटा |
जन्मतिथि | 28, दिसम्बर, 1937 (मुंबई) |
पिता का नाम | नवल टाटा |
शैक्षणिक योग्यता | कोर्नेल यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर |
टाटा संस और टाटा ग्रुप के चेयरमैन | 1991-2012 और 2016-2017 |
जन्म एवं प्रारम्भिक जीवन
Childhood Story of Ratan Tata in Hindi : रतन टाटा का जन्म एक भारतीय उद्योगपति के परिवार में 28 दिसम्बर 1937 को हुआ था। कहा यह जाता है की ये टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे। और इनके पिताजी नवल टाटा को इनके दादाजी रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद इनकी दादीजी के द्वारा गोद लिया गया था। भारतीय उद्योगों और वाणिज्य के क्षेत्र में टाटा नाम काफी पुराना है।
चूँकि रतन टाटा का जन्म एक समृद्ध व्यवसायिक परिवार में हुआ था। इसलिए इन्होने अपनी शिक्षा भी विदेश में पूरी की थी। कहा यह जाता है की ये हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के छात्र रह चुके हैं। लेकिन बचपन में भले ही इन्हें पैसों की कमी न रही हो, लेकिन माँ बाप के अलगाव का इनके दिमाग में गहरा प्रभाव दिखाई देता है। शायद यही कारण हो सकता है की रतन टाटा ने अपने जीवन में शादी ही नहीं की।
कहा यह जाता है की जब ये मात्र 10 साल के थे तब इनके माता पिता एक दुसरे से अलग हो गए थे। इस वजह से इनका और इनके छोटे भाई जिमी का पालन पोषण इनकी दादी नवजबाई टाटा द्वारा किया गया।
यद्यपि रतन टाटा की प्रारम्भिक शिक्षा मुंबई में ही स्थित कैम्पियन स्कूल से पूरी हुई, और माध्यमिक शिक्षा के लिए उन्होंने कैथेड्रल और जाँन कैनन स्कूल को चुना। इसके बाद उन्होंने बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर की पढाई अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित कोर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में पूरी की। इसके बाद 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम भी पूर्ण किया।
रतन टाटा जी का कैरियर
Career Journey of Ratan Tata in Hindi : उद्योगपति परिवार में जन्म होने के कारण यह तो स्पष्ट था की, उन्होंने अपने पूर्वजों के बिजनेस को ही संभालना है। लेकिन इसके बावजूद कहा यह जाता है, की अमेरिका में भारत लौटने से पहले उन्होंने अपनी दक्षता, कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए लॉस एंजिल्स और कैलीफोर्निया में जोंस और अमोंस नामक कंपनियों में कुछ समय तक कार्य किया।
उसके बाद सन 1961 में उन्होंने टाटा समूह के साथ अपने कैरियर की शुरुआत की थी। टाटा समूह में शुरूआती दिनों में उन्हें टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई, जो की उन्होंने अच्छे ढंग से निभाई। उसके बाद उन्हें टाटा समूह की अन्य कंपनियों में भी काम करने का मौका दिया गया।
इसके बाद रतन टाटा की कैरियर की उड़ान शुरू हो गई, और उन्हें सन 1971 में राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक कंपनी (NELCO) का प्रभारी निदेशक नियुक्त कर दिया गया। इसके दस सालों बाद ही 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर दिया गया।
और टाटा इण्डस्ट्रीज के अध्यक्ष बनने के 10 सालों बाद जब जेआरडी टाटा ने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। तो उसके बाद रतन टाटा को ही उनका उत्तराधिकारी बनाकर टाटा समूह के अध्यक्ष पद की कमान उन्हें सौंप दी गई।
इन्होंने टाटा समूह को नई बुलंदियों तक पहुँचाया
जब से टाटा समूह की कमान रतन टाटा के हाथों में आई, उनके नेतृत्व में समूह की ख्याति और प्रसिद्धि और बढ़ने लगी। उनके नेतृत्व में ही टाटा समूह की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने अपना आईपीओ जारी किया, और शेयर बाज़ार में प्रवेश किया। टाटा समूह की सुप्रसिद्ध कंपनी टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कराया गया।
और भारत में एक दौर वह भी आया जब 1998 में रतन टाटा के नेतृत्व में ही टाटा मोटर्स ने पहली भारतीय यात्री कार टाटा इंडिका को पेश किया। उसके बाद कई ऐसे मौके रतन टाटा की कामयाब नेतृत्व के गवाह बने इनमें चाहे टाटा टी का टेटली को अधिग्रहण करना हो, टाटा मोटर्स का जैगुआर और लैंड रोवर को अधिग्रहण करना हो या फिर टाटा स्टील का कोरस को अधिग्रहण करना हो।
ये सभी ऐसे मौके थे जो चीख चीखकर रतन टाटा को एक बेहतरीन नेता साबित कर रहे थे । भारतीय बाज़ार में लखटकिया कार उतारने का जोखिम भी और किसी ने नहीं बल्कि, महान परोपकारी रतन टाटा ने ही लिया। उनके द्वारा लिया गया यह निर्णय भी परोपकार से ही जुड़ा था, क्योंकि वे बाइक की कीमत पर कार देना चाहते थे। लेकिन दुर्भाग्यवश यह प्रोजेक्ट उतना चला नहीं, जितनी इससे आशा थी।
वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुके हैं टाटा
वर्ष 1991 से लेकर 2012 तक वे टाटा समूह के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रहे, लेकिन टाटा समूह को आगे ले जाने के लिए वे 1961 से कार्य कर रहे थे । और इसमें कोई दो राय नहीं की अपने कार्यकाल में उन्होंने टाटा समूह को कई सफलताओं का स्वाद चखाया। लेकिन 28 दिसम्बर 2012 को वे टाटा ग्रुप की सभी कार्यकारी जिम्मेदारियों से सेवानिवृत्त हो गए।
यद्यपि अभी भी यदि उनको किसी स्टार्टअप में संभावनाएँ नज़र आती हैं, तो वे उस स्टार्टअप में अपना व्यक्तिगत निवेश करने से नहीं चुकते हैं। उन्होंने कई प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप में निवेश किया हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से स्नेपडील, अर्बनलैडर, मोबाइल कंपनी जिओमी के नाम प्रमुख है। टाटा अभी भी टाटा संस के दो ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए हैं, जबकि टाटा समूह की कार्यकारी जिम्मेदारीयों से वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
उपाधि और सम्मान
वैसे देखा जाय तो रतन टाटा जैसे महान परोपकारी को जितना भी बड़ा सम्मान या उपाधि दी जाय, वह कम ही है। टाटा को हमारे देश का दूसरा एवं तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान क्रमश: पद्म विभूषण और पद्म भूषण सन 2008 और 2000 में मिल चुका है। इसके अलावा भी उन्हें कई उपाधि और पुरुस्कारों से अलंकृत किया गया, जिनका विवरण निम्नलिखित है।
- ऑहियो स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा सन 2001 में डॉक्टर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की मानद उपाधि प्रदान की गई।
- वर्ष 2004 में उरुग्वे की सरकार द्वारा उन्हें ‘’उरुग्वे के ओरिएंटल गणराज्य का पदक’’ से सम्मानित किया गया।
- एशियाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी द्वारा वर्ष 2004 में उन्हें डॉक्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- बी नाइ बी रीथ इंटरनेशनल द्वारा वर्ष 2005 में उन्हें अंतराष्ट्रीय गणमान्य अचीवमेंट अवार्ड से अलंकृत किया गया।
- वर्ष 2005 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वार्विक द्वारा डॉक्टर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि से नवाजा गया।
- चेन्नई में स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी द्वारा उन्हें वर्ष 2006 में डॉक्टर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2006 में FIRST नामक संगठन ने उन्हें रीस्पोंसिबल कैपटालिज्म अवार्ड से सम्मानित किया।
- लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस ने वर्ष 2007 में फैलोशिप की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
- कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने उन्हें वर्ष 2007 में कार्नेगी मैडल ऑफ़ फिलोनथ्रोपी से सम्मानित किया।
- यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज ने वर्ष 2008 में रतन टाटा को डॉक्टर ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
- वर्ष 2008 में मुंबई में स्थित IIT ने उन्हें डॉक्टर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि से अलंकृत किया।
- खडगपुर में स्थित आईआईटी ने भी उन्हें वर्ष 2008 में डॉक्टर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि से विभूषित किया।
- सिंगापुर सरकार द्वारा वर्ष 2008 में उन्हें सिटिजन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- द इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने वर्ष 2008 में उन्हें मानद फेलोशिप से सम्मानित किया।
- वर्ष 2008 में द परफॉरमेंस थिएटर ने उन्हें इंस्पायर्ड लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया।
- रानी एलिजाबेथ ने वर्ष 2009 में उन्हें ‘’नाइट कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर’’ से सम्मानित किया।
- इंडियन नेशनल अकैडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग ने वर्ष 2009 में रतन टाटा को ‘’लाइफ टाइम कॉन्ट्रिब्यूशन अवार्ड इन इंजीनियरिंग फॉर 2008’’ से सम्मानित किया।
- इटली की सरकार द्वारा वर्ष 2009 में इन्हें ‘’ग्रैंड ऑफिसर ऑफ़ द आर्डर ऑफ़ मेरिट ऑफ़ द इटालियन रिपब्लिक’’ से सम्मानित किया गया।
- यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज द्वारा वर्ष 2010 में डॉक्टर ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि प्रदान की गई।
- वर्ल्ड मॉन्यूमेंट्स फंड द्वारा वर्ष 2010 में हैड्रियन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2010 में बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन द्वारा ‘’ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवार्ड’’ से सम्मानित किया गया।
- येल यूनिवर्सिटी द्वारा 2010 में लीजेंड इन लीडरशिप अवार्ड से अलंकृत किया गया।
- पीपरडाईन यूनिवर्सिटी द्वारा वर्ष 2010 में डॉक्टर ऑफ़ लॉ की उपाधि दी गई।
- वर्ष 2010 में ही द एशियन अवार्ड्स द्वारा बिजनेस लीडर ऑफ़ द इयर के अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- द रॉयल अकैडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग द्वारा वर्ष 2012 में मानद फेलोशिप से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2012 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स द्वारा डॉक्टर ऑफ़ बिजनेस की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- जापान की सरकार द्वारा वर्ष 2012 में उन्हें ‘’आर्डर ऑफ़ थे राइजिंग सन’’ अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- नेशनल अकैडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग द्वारा वर्ष 2013 में उन्हें फॉरेन एसोसिएट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- इंडियन अफेयर्स इंडिया लीडरशिप कॉन्क्लेव 2013 में उन्हें ट्रांसफॉर्मेशनल लीडर ऑफ़ थे डिकेड से सम्मानित किया गया।
- एम्स्ट एंड यंग द्वारा वर्ष 2013 में उन्हें ‘’एम्स्ट एंड यंग इंटरप्रेन्योर ऑफ़ थे इयर – लाइफटाइम अचीवमेंट पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
- सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी द्वारा वर्ष 2014 में उन्हें डॉक्टर ऑफ़ बिजनेस की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।
- बड़ोदा मैनेजमेंट एसोसिएशन ने वर्ष 2014 में उन्हें सयाजी रत्न अवार्ड से सम्मानित किया।
- यॉर्क यूनिवर्सिटी कनाडा ने वर्ष 2014 में उन्हें डॉक्टर ऑफ़ लॉ की उपाधि से सम्मानित किया।
- वर्ष 2015 में क्लेमसन यूनिवर्सिटी ने रतन टाटा को डॉक्टर ऑफ़ ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग की मानद उपाधि प्रदान की।
- फ्रांस सरकार ने वर्ष 2016 में उन्हें ‘’कमांडर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर’’ से सम्मानित किया।
- वर्ष 2018 में स्वानसी यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की।
- वर्ष 2022 में HSNC यूनिवर्सिटी ने रतन टाटा को डॉक्टरेट ऑफ़ लिटरेचर की मानद उपाधि से अलंकृत किया।
Ratan Tata Biography and inspirational Story in Hindi : भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा परोपकारी पुरुष के तौर पर विश्वविख्यात हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी वे दान पुण्य से लेकर अन्य सामाजिक कल्याणकारी कार्यों में मदद करने और उन्हें प्रोत्साहित करने से झिझकते नहीं है।
यहाँ तक की उन्होंने विभिन्न ऐसे उद्यमियों के स्टार्टअप में भी अपना निजी निवेश किया हुआ है। जिनके पास बिजनेस आईडिया तो था, लेकिन उसे धरातल के पटल पर उतारने के लिए पैसे नहीं थे। रतन टाटा फाउंडेशन ने अकेले और सरकार के साथ मिलकर कई कल्याणकारी प्रोजेक्ट देश भर में चलाये हुए हैं। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि क्षेत्र प्रमुख हैं।
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