सकल घरेलू उत्पाद : GDP क्या है और कैसे तय होती है।

जब भी देश की उन्नति और प्रगति की बात आती है, तो उसमें GDP शब्द का इस्तेमाल होना आम बात है। कौन सा देश कितना समृद्ध और धनी है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है की, उस देश का सकल घरेलू उत्पाद कितना है।

शायद यही कारण है की जब भी किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बढ़ता है, तो कहा जाता है की वह देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। और जिस देश की GDP घटती जाती है, उसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

यद्यपि एक आम आदमी को जीडीपी से कोई लेना देना नहीं होता है। लेकिन सच तो यह है की सकल घरेलू उत्पाद का घटना बढ़ना आम जनजीवन को भी प्रभावित करता है। GDP के बढ़ने का मतलब है की देश प्रगति की रह पर आगे बढ़ रहा है। जहाँ आम लोगों के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, आवास, सड़के, बिजली पानी सभी कुछ मौजूद होगा।

GDP kya hai

GDP क्या होती है?

एक निर्धारित समय सीमा के भीतर देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का जो कुल मौद्रिक मूल्य या मार्किट वैल्यू होती है उसे ही सकल घरेलू उत्पाद या GDP कहा जाता है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का पता लगाने के लिए जीडीपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।

जीडीपी किसी भी देश की घरेलू उत्पादन को मापने का एक माध्यम है, आम तौर पर इसे हर वर्ष मापा जाता है । लेकिन भारत में तिमाही के आधार पर भी सकल घरेलू उत्पाद की गणना की जाती है।

संक्षेप में कहें तो किसी भी देश में एक वर्ष के दौरान जो भी वस्तुएं उत्पादित होती हैं और जो भी सेवाएं बेचीं जाती हैं। उन वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य ही जीडीपी कहलाता है। 

जीडीपी मापने की जिम्मेदारी किसकी है

भारत में सकल घरेलू उत्पाद यानिकी GDP को मापने की जिम्मेदारी सांख्यिकी सांख्यिकी और प्रोग्राम  क्रियान्वयन मंत्रालय के अधीन कार्यरत केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय की होती है।

इस कार्यालय का काम देश भर से एक निर्धारित समय में आंकड़े इकट्ठे करके जीडीपी कैलकुलेशन के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद का आंकड़ा जारी करना होता है।

GDP के प्रकार

सकल घरेलू उत्पाद यानिकी जीडीपी के चार प्रकार होते हैं। चूँकि इसका प्रत्येक प्रकार एक अलग ही आर्थिक दृष्टिकोण पेश करता है इसलिए इनके बीच के अंतर को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है।

वास्तविक जीडीपी (Real GDP)

इस तरह की जीडीपी की गणना वस्तुओं और सेवाओं की पूर्व निर्धारित कीमतों या फिर पिछले वर्ष के मूल्य स्तरों का इस्तेमाल करके किया जाता है। इसे मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किया जाता है । वास्तविक GDP ही किसी देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास दर का सही से चित्रण करने का सबसे प्रचलित माध्यम माना जाता है।  

नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP)

इस तरह की जीडीपी की गणना मुद्रास्फीति के साथ की जाती है। और इसमें वर्तमान मूल्य स्तरों के आधार पर वस्तुओं एवं सेवाओं की गणना की जाती है।

एक्चुअल जीडीपी (Actual GDP)

वर्तमान समय में किसी देश की अर्थव्यवस्था का माप लेने की प्रक्रिया और उसका परिणाम एक्चुअल जीडीपी कहलाती है।

संभावित जीडीपी (Potential GDP)

जब किसी देश की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में होती है। यानिकी जब देश में महंगाई कम हो, लोगों के पास पैसे हों, सभी लोग रोजगार पर हों जैसी आदर्श परिस्थिति में अर्थव्यवस्था की गणना की जाती है, तो इसे संभावित जीडीपी कहते हैं।

GDP की गणना कैसे की जाती है?

किसी देश की जीडीपी की गणना के तीन अलग अलग तरीके हैं। लेकिन इन तीनों तरीकों से आने वाला परिणाम एक ही होना चाहिए। तभी वह गणना सही मानी जाएगी।

व्यय के आधार पर –

इस विधि में देश के भीतर खरीदी गई प्रत्येक वस्तुओं और सेवाओं को इसमें शामिल किया जाता है। इसके अलावा अन्य देशों को किया गया शुद्ध निर्यात भी इसमें शामिल किया जाता है।  

व्यय विधि से GDP की गणना करने के लिए निम्न सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

GDP = C+I+G+X-M

इस सूत्र को अब आगे और अच्छी तरह समझ लेते हैं।

  • सूत्र में C खपत यानिकी Consumption को इंगित करता है। इसमें लोगों द्वारा भोजन, कपड़ों सहित कोई भी ऐसा सामान जिसे लोगों को बार बार खरीदने की आवश्यकता होती है, शामिल होता है। प्रॉपर्टी खरीदना इत्यादि गतिविधियाँ इसमें शामिल नहीं होती है।
  • इस सूत्र में I (Investment) यानिकी निवेश को इंगित करता है, इसमें व्यवसाय के लिए कंप्यूटर खरीदना, ऋण पर प्रॉपर्टी खरीदना, इत्यादि शामिल हैं। शेयरों की खरीद फरोख्त इसमें शामिल नहीं होती है।
  • G का अर्थ सरकारी खर्चों से है इसमें वह सब कुछ शामिल होता है जो सरकार द्वारा ख़रीदा गया या खर्चा किया गया है। इसमें एयरक्राफ्ट करियर, कर्मचारियों के वेतन पर खर्चा इत्यादि शामिल हैं। लेकिन मानव कल्याण या सुरक्षा पर हुआ खर्चा इसमें शामिल नहीं होता है।
  • इस सूत्र के माध्यम से GDP कैलकुलेशन में X का मतलब Export यानिकी निर्यात से लगाया गया है। इसमें वे सभी वस्तुएँ शामिल हैं, जिनका उत्पादन देश में करके बाहर देशों को बेच दिया जाता है।
  • M का मतलब Import यानिकी आयात से लगाया गया है, इसमें वे सभी सामान शामिल होते हैं, जिन्हें कोई देश बाहरी देशों से खरीदता है।          

आय के आधार पर –

इस तरह से GDP कैलकुलेशन करने के लिए देश के भीतर रहने वाले सभी व्यक्तियों और व्यवसायों की आय को इसमें शामिल किया जाता है। इसे घरेलू आय के नाम से भी जाना जाता है ।

आय के आधार पर GDP Calculation के लिए निम्नलिखित सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

GDP = कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन + सकल परिचालन अधिशेष + सकल मिश्रित आय + (टैक्स – प्रोडक्शन और इम्पोर्ट पर दी गई सब्सिडी)

इस सूत्र में कर्मचारियों के वेतन से आशय सभी कर्मचारियों एवं मजदूरों को किया गया कुल भुगतान से है। इसमें सामजिक सुरक्षा एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर किया गया खर्चा भी शामिल है।

सकल परिचालन अधिशेष से अभिप्राय निगमित व्यवसायों के लाभ से है। इसमें अधिकतर बड़ी कंपनियाँ शामिल होती हैं।

सकल मिश्रित आय से अभिप्राय अनिगामित व्यवसायों के लाभ से है।  इसमें अधिकतर छोटे व्यवसाय या कंपनियाँ शामिल होती हैं।      

उत्पादन के आधार पर –

इसमें एक निर्धारित समय के तहत देश में उत्पादित होने वाली हर उत्पाद को शामिल किया जाता है। उत्पादन के आधार पर GDP Calculation के लिए कुल उत्पादित उत्पादों में से बेचे गए उत्पादों की गणना करके की जाती है। इसमें उस मूल्य को शामिल किया जाता है जिस मूल्य पर विक्रेता उत्पाद को बेच रहा होता है। हालांकि उस कीमत को घटा दिया जाता है जिस कीमत पर विक्रेता ने आपूर्तिकर्ता से वह उत्पाद ख़रीदा हो।

सकल घरेलू उत्पाद की गणना में कमियाँ

GDP की कुछ प्रमुख कमियों की लिस्ट निम्न है।

  1. हालांकि जीडीपी को जीवन स्तर से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन सच्चाई यह है की यह समग्र रूप से जीवन स्तर को प्रदर्शित नहीं करता है। चीन की GDP बहुत बड़ी है, लेकिन वहाँ के लोगों का जीवन स्तर उस तरह से नहीं है।
  2. किसी भी देश की जीडीपी में अवैध काम धंधे जैसे ड्रग्स, ड्रग्स डीलिंग, अवैध वैश्यावृत्ति एवं अन्य अवैध श्रम शामिल नहीं होता है।
  3. जीडीपी में घरेलू कार्यों को शामिल नहीं किया जाता है, जबकि सच्चाई यह है की गृहणियों को घरेलू कामों से फुर्सत ही नहीं मिलती है।
  4. GDP में पर्यावरणीय लागत को शामिल नहीं किया जाता है। जैसे प्लास्टिक के कप को तो शामिल कर लिया जाता है, लेकिन उससे होने वाले पर्यवारण के नुकसान को शामिल नहीं किया जाता।   

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