बबल शीट बनाने का व्यापार | Bubble Sheet Making Business.

Bubble sheet making business में संभावनाओं का अंदाज़ा हम खुद की रोजमर्रा की आदतों का विश्लेषण करके भी लगा सकते हैं | Bubble sheet को भले ही हम अपना सामान निकालने के बाद फ़ेंक देते होंगे, लेकिन कभी क्या हमने सोचा है जो सामान हमने किसी विक्रेता से मंगवाया था उसको हम तक सुरक्षित बिना तोड़ फोड़ के पहुँचाने में Bubble packing paper का कितना योगदान है | जी हाँ दोस्तों चाहे हम ऑनलाइन कोई फ़ोन मंगाए या कुछ अन्य उपकरण वह जब हमारे पास पहुँचता है तो वह Bubble sheet से Wrap/pack किया होता है |

वह इसलिए ताकि वह सुरक्षित हम तक पहुँच पाय, इस Bubble sheet/paper की कीमत हमारा सामान सुरक्षित हमें मिल जाने के बाद भले ही हमारे नज़र में शून्य हो, लेकिन सच तो यह है की इसको अपना उत्पाद Packaging करने हेतु बड़ी, छोटी सभी कंपनियों द्वारा ख़रीदा जाता है | इसलिए India में बहुत सारे उद्यमियों द्वारा bubble sheet making business करके कमाई की जा रही है | 

वर्तमान में इसकी उपयोगिता को देखते हुए और शहरों में Online Shopping की ओर लोगों की रूचि और संख्या में बढ़ोत्तरी होने के कारण हर प्रकार की दुकान, छोटी से लेकर बड़ी बड़ी कंपनियों में तक इसकी मांग बढ़ने लगी है | यद्यपि Bubble sheet से उद्यमी चाहे तो ग्राहकों की मांग के मुताबिक Bubble sheet bag, bubble roll इत्यादि भी तैयार करके अपने ग्राहकों को मुहैया करा सकता है |

bubble sheet making-business

Bubble Sheet बनाने का व्यापार क्या है:

Bubble sheet wrapping/packing में use होने वाली एक लचीली और पारदर्शी प्लास्टिक की चादर होती है, जिसमे छोटे छोटे हवा भरे बुलबुले (bubbles) बने होते हैं | Plastic sheet पर बुलबुले बन जाने के कारण यह Sheet गद्दीदार किस्म की हो जाती है, जिससे इसमें लपेटा हुआ कोई भी सामान यदि जमीन पर गिरता भी है तो bubbles होने के कारण सामान का कोई भी हिस्सा जमीन से नहीं टकराता है |

जिससे सामान में टूट फूट होने की आशंका कम होती है या फिर कम वजन वाले सामान में होती ही नहीं है | Bubble sheet making business start करने से पहले उद्यमी को यह भी जान लेना चाहिए की Sheet पर Bubbles अर्थात बुलबुलों का साइज़ या आकार सामान के भार पर निर्भर करता है | उदाहरणार्थ: एक टीवी की Packaging में use होने वाली bubble sheet और एक फ़ोन me use होने वाली bubble sheet के बुलबुलों में साइज़ का अंतर हो सकता है |

परम्परागत तौर पर जहाँ पहले घास फूस, छीली हुई लकड़ी की छीलन, कटे हुए कागज़ के टुकड़े इत्यादि Packaging में लाये जाते थे, इनकी जगह बाद में Corrugated pads ने ले ली, और उसके बाद और अधिक सहजता, सरलता एवं सुरक्षा के चलते विभिन्न प्रकार के Plastic Foam का उपयोग Packaging Industry में किया जाने लगा किन्तु अब अधिकतर तौर पर Packaging Material Polystyrene से तैयार किया जाता है | Bubble Sheet Making Business से हमारा तात्पर्य कमाई करने की उसी प्रक्रिया से है, जब कोई उद्यमी इसको बनाकर अपनी कमाई कर रहा होता है |

Bubble Sheet की बिक्री संभावना:

Bubble sheet Making business Packaging Industry से जुड़ा हुआ बिज़नेस है, और इस Industry की शुरुआत देश में सविधान लागू होते ही 1950 में हो गई थी | और तब से यह Industry धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी लेकिन 70 एवं 80 के दशक में Materials यानिकी सामानों  में असाधारण तेजी देखने को मिली, इसके बावजूद  फिर भी Packaging Industry की Growth 80 के दशक में 4-5% पर ही बनी रही | उसके बाद 90 के दशक में ब्रांड के प्रति जागरूकता पैदा होने के कारण यह industry 15-20% तक की Growth Rate पर पहुँच गई |

एक आंकड़े के मुताबिक  India में Packaging Industry का 11500 करोड़ का कारोबार था, जो सालाना 18% की दर से आगे बढ़ रहा है |  जहाँ तक Bubble Sheet making business का Market Potential का सवाल है, इसमें यह समझ लेना जरुरी है की Bubble sheet किस प्रकार की वस्तुओं को Pack करने में अधिक मात्रा में उपयोग में लायी जाती है |

नाजुक आइटम अर्थात टूटने फूटने वाले सामान, लगभग सभी प्रकार के Electronics Items की Packaging में, Plastic मशीनरी एवं उपकरणों की पैकेजिंग में,  कीमती प्राचीन वस्तुओं की पैकेजिंग में, दवा की बोतलों एवं अन्य सामान जो शीशे से निर्मित हो, कुछ खास प्रकार के केमिकल को पैक करने में भी bubble sheet का उपयोग किया जाता है | इसके अलावा E Commerce Companies और उनसे जुड़े Business Partner द्वारा भी लगभग हर सामान की पैकेजिंग के लिए Bubble Sheet का उपयोग किया जाता है |

Industrial use होने के अलावा भविष्य में इसके सामान्य जन, छोटे मोटे व्यवपारियो, दुकानदारों के द्वारा use होने की भी संभावना है | Packaging Industry में पहले से प्रवेश कर चुके उद्यमी ग्राहकों की मांग को पूरा करने की चुनौती से जूझ रहे हैं, इसलिए कहा जा सकता है की किसी नए उद्यमी के लिए Bubble sheet making business में अवसर ही अवसर हैं |

आवश्यक कच्चा माल और मशीनरी :

Bubble Sheet making business के लिए उद्यमी को Automatic Bubble Sheet making machine की आवश्यकता होती है | जिसमे एक मशीन में ही Resin, Extruder, Die, Chiller इत्यादि Section होते हैं, हो सकता है की  यह मशीन India के उद्यमियों को बाहर से Import करनी पड़े जिसकी कीमत 25-40 लाख हो सकती है  | और जहाँ तक Raw Materials की बात है इस Bubble Sheet making business में मुख्य रूप से use होने वाला Raw Material Low Density Polyethylene (LDPE Granules) हैं |

इससे निर्मित Sheet जहाँ पानी प्रतिरोधक है वही, वायुमंडलीय प्रतिरोधक भी है | इस प्रकार की Sheet किसी भी वस्तु को पूरी तरह ढंकने का एवं उसे सफ़ेद चीटी, दीमक जैसे कीट पतंगों से बचाने का भी सामर्थ्य रखती है | लगभग सभी प्रकार के एसिड एवं क्षार भी कुछ समय के लिए इस पर निष्क्रिय नज़र आते हैं | इस प्रकार की Sheet का भार तो कम होता ही होता है, साथ में ये दिखने में आकर्षित एवं धोकर भी उपयोग में लायी जा सकती हैं |

Bubble Sheet कैसे बनती है :

LDPE यानिकी Low Density Polyethylene के दानो को Extruder के होपर में डाला जाता है, जहाँ इन्हें Extruder की ओर पास कराया जाता है | Extruder में LDPE की कणिकाएं पिघल जाती हैं, और दाब के कारण Plastic में तब्दील हो जाती हैं | Extruder से Plastic को डाई की तरफ ले जाया जाता है जहाँ पर प्लास्टिक की Layers Ring के रूप में परिवर्तित होती हैं यही पर Bubble sheet की चौड़ाई इत्यादि माप की Adjustment की जाती है | Die में LDPE Sheets की दोनों Layers की मोटाई का गठन एक साथ किया जाता है |

उसके बाद इन दोनों LDPE Layers को Three roll finisher  की ओर अग्रसित कराया जाता है | वैसे सामन्यतया ये Stainless Steel से निर्मित होते हैं इसलिए इन्हें Stainless Steel Rollers भी कहा जाता है, जहाँ एक Roller पर air bubble thermo Formed हो रहे होते हैं, और दूसरी लेयर में दबाव बढ़ने के कारण Air bubbles  लैमिनेट भी हो रहे होते हैं |

इस समय इन Rollers द्वारा बहुत सारी प्रक्रियाओं जैसे Bubble vacuuming, Lamination, बाहरी सतह को ठंडा करने का काम इत्यादि को एक साथ अंजाम दिया जाता है | Bubble sheet पूरी तरह तैयार होने के बाद Cooling rollers अर्थात Chillers के माध्यम से ठंडी करायी जाती हैं, और सुव्यवस्थित करके इनको वाईनडर किया जाता है |

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