कम निवेश के साथ चॉकलेट बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें। Chocolate Making Business.

Chocolate making business plan in Hindi : चॉकलेट का नाम सुनकर हठी से हठी बच्चा भी आपकी बात मानने लगता है। जैसे ही आप उसे कहते हैं की आप उसे चॉकलेट देंगे वह प्रफुल्लित होकर आपकी बात मानने को तैयार हो जाता है। वर्तमान में सिर्फ बच्चे ही नहीं अपितु हर वर्ग के लोग चॉकलेट खाना बेहद पसंद करने लगे हैं। यही कारण है की आपको बाज़ारों में कई तरह की कई कंपनियों की चॉकलेट देखने को मिल जाती है। लेकिन यदि आप एक गृहिणी हैं, या कोई ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें नई नई खाने की चीजें बनाने का शौक है, तो आपके लिए अपने घर पर ही चॉकलेट बनाना कोई मुश्किल काम नहीं होना चाहिए।

कहने का आशय यह है की चॉकलेट बनाने के लिए जरुरी नहीं है की आपको भारी भरकम मशीनों की ही आवश्यकता होगी। बल्कि यह एक ऐसे कन्फेक्शनरी आइटम है जिसे आप अपने घर पर भी आसानी से बना सकते हैं। लेकिन यदि आप अपनी चॉकलेट बनाने की कला को अपने व्यवसाय के रूप में बदलकर इससे पैसे कमाना चाहते हैं। तो आज का हमारा यह लेख चॉकलेट बनाने के बिजनेस (Chocolate Making Business) पर ही आधारित है ।

chocolate banane ka business

चॉकलेट क्या होती है (What is Chocolate):  

यह दुनिया का एक बेहद लोकप्रिय मीठा खाद्य पदार्थ है। यह कई रंगों में बनायीं जाती है लेकिन डार्क ब्राउन रंग की चॉकलेट दुनिया में सभी जगह प्रसिद्ध है। चूँकि यह कन्फेक्शनरी आइटम है इसलिए इसे घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है। खास तौर पर यह बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है, और बच्चे हमेशा चॉकलेट खाने की जिद पकड़ लेते हैं। लेकिन वर्तमान में इसका उपयोग आपसी मनमुटाव को दूर करने के लिए भी किया जाता है।

भारत में चॉकलेट के लिए बाज़ार ( Chocolate Market )

यदि आप इस बिजनेस को बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए सबसे पहले इस बिजनेस के लिए मार्किट रिसर्च करना जरुरी है। इसमें आपको सिर्फ बाज़ार में उपलब्ध माँग का ही आकलन नहीं करना होता है, बल्कि बाज़ार में माँग और उसकी पूर्ति का अन्तर भी पता करना होता है। यदि माँग के मुताबिक पूर्ति नहीं हो पा रही है तो इसका मतलब यह है की आपके बिजनेस के लिए भी इसमें पूरे अवसर विद्यमान हैं। लेकिन यदि बाज़ार में चॉकलेट माँग से अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं, तो इसका मतलब है की आपको कड़ी प्रतिस्पर्धा का मुकाबला अपने बिजनेस को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए करना पड़ेगा।

इसलिए मार्किट रिसर्च में आपको बाज़ार की स्थिति, बाज़ार में उपलब्ध प्रतिस्पर्धा, वर्तमान में जो कंपनियाँ चॉकलेट बना रही हैं उनकी कमियाँ, उनकी खूबियाँ इत्यादि बातों की जानकारी होना भी आवश्यक ताकि उद्यमी उनसे निपटने के लिए पहले ही कोई मजबूत योजना बना सके। और अपने जोखिम को कम कर सके।

लेकिन इतना जरुर है की वर्तमान में चॉकलेट के इस्तेमाल पहले के मुकाबले बहुत अधिक बढ़ गए हैं। आज अनेक त्यौहारों और ख़ुशी के मौकों पर लोग एक दुसरे को चॉकलेट गिफ्ट में देना पसंद कर रहे हैं । लोग विदेशों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से वहां से चॉकलेट बनाना नहीं भूलते। बच्चों में तो इसकी दीवानगी है ही, किशोर, युवा, अधेड़, वृद्ध सभी चॉकलेट खाना पसंद करते हैं। यही कारण है की इनकी माँग बाज़ार में हमेशा बनी रहती है।

चॉकलेट बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to start Chocolate Making Business)

यदि आप एक गृहिणी हैं, और अपने घर परिवार के सदस्यों के लिए कई तरह की चॉकलेट बनती रहती हैं । और आपके द्वारा बनाई गई चॉकलेट न सिर्फ आपके घरवालों को बल्कि आपके नाते रिश्तेदारों को भी खूब पसंद आती हैं। तो आपके लिए चॉकलेट बनाने का बिजनेस शुरू करना बेहद आसान हो जाता है। शुरूआती दौर में आप इसे (Chocolate business) अपने घर के किसी खाली कमरे से भी शुरू कर सकते हैं। और बाद में अपने बिजनेस को विस्तृत कर सकते हैं। लेकिन इसे एक व्यवसायिक उद्यम के रूप में स्थापित करने के लिए उद्यमी द्वारा निम्न कदम उठाये जाने की आवश्यकता हो सकती है।

चॉकलेट बनाने की ट्रेनिंग लें (Get Training of chocolate making)

यदि आपको चॉकलेट बनानी आती है तो ठीक है यदि नहीं आती है तो आपको चॉकलेट बनाने का काम सीखना होगा, तभी आप इस बिजनेस को सफलतापूर्वक चला पाने में सक्षम हो पाएंगे। यद्यपि चॉकलेट एक सामान्य कन्फेक्शनरी आइटम है, इसलिए इसे बनाने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। आप चाहें तो किसी प्रसिद्ध हलवाई या फिर कोई ऐसा उद्यमी जो पहले से इस तरह का बिजनेस कर रहे हों से इस बिजनेस की ट्रेनिंग ले सकते हैं। इसके अलावा कुछ खादी ग्रोमोद्योग प्रशिक्षण केंद्र भी इस तरह के बिजनेस का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ।   

जगह का प्रबंध करें (land & building)

छोटे स्तर पर तो आप इसे अपने घर के किसी कमरे से भी शुरू कर सकते हैं। लेकिन यदि आप खुद की कंपनी और ब्रांड स्थापित करके इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कम से कम 1000 से 1500 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है । जिसमें आपको निर्माण एरिया से लेकर, स्टोर, ऑफिस, सिक्यूरिटी रूम इत्यादि चाहिए होता है।

यदि बाज़ार के नज़दीक जगह या बिल्डिंग का किराया अधिक हो तो आप स्थानीय बाज़ार के १० किलोमीटर के रेडियस में जहाँ भी आपको सस्ते किराये पर जमीन या बिल्डिंग मिलती हो, वहीँ से इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं। लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखें की वहां पर बिजली, पानी, सड़क, मजदूर जैसी बुनियादी सुविधाओं का होना आवश्यक है।     

जरुरी लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्राप्त करें (Get license for chocolate business)

चॉकलेट बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है।

  • बिजनेस रजिस्ट्रेशन – सबसे पहले आपको अपने उद्यम को वैधानिक स्वरूप प्रदान करना होगा, जिसके लिए आपको प्रोप्राइटरशिप, वन पर्सन कंपनी, साझेदारी फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि में से किसी एक के तहत अपने बिजनेस को रजिस्टर कराना होगा।
  • टैक्स रजिस्ट्रेशन – कर पंजीकरण के तौर पर आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता होगी।
  • फ़ूड रजिस्ट्रेशन – चॉकलेट एक खाद्य पदार्थ है इसलिए इसके लिए आपको FSSAI लाइसेंस की आवश्यकता होगी।  
  • ट्रेड रजिस्ट्रेशन – स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस की भी आवश्यकता हो सकती है।  
  • ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन – चूँकि चॉकलेट पैक करके आप उसे अपने ब्रांड नाम से बेचेंगे तो ब्रांड नाम को सुरक्षित करने के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता होगी।
  • उद्यम रजिस्ट्रेशन – यदि उद्यमी अपनी इकाई को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाई के तौर पर रजिस्टर कराना चाहता है तो वह उद्यम रजिस्ट्रेशन भी करा सकता है।  

आवश्यक मशीनरी और कच्चा माल खरीदें (Machinery &  raw materials)

इस बिजनेस को शुरू करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित मशीनरी एवं कच्चे माल की आवश्यकता हो सकती है।

  • 10 से १०० किलोग्राम क्षमता वाला वेट स्टोन ग्राइंडर।
  • चॉकलेट को आकृति प्रदान करने वाली चॉकलेट मोल्डिंग मशीन।
  • १५ से ३० किलो क्षमता वाली चॉकलेट को पिघलाने वाली चॉकलेट मेल्टिंग और टेम्परिंग मशीन।
  • १० से १०० किलोग्राम की क्षमता वाली चॉकलेट ग्राइंडिंग मशीन।
  • ५० किलो क्षमता वाली आटोमेटिक रोअस्टिंग मशीन।
  • १०० किलो क्षमता वाला चॉकलेट रेफ्रीजिरेटर।
  • पैकेजिंग रैपिंग मशीन ।

चूँकि इसमें हम डार्क ब्राउन चॉकलेट बनाने के बारे में बात कर रहे हैं, तो इसको बनाने में इस्तेमाल में लाये जाने वाले कच्चे माल की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • कोको पाउडर
  • कोको लिकर
  • कोको बटर
  • चीनी
  • लेसिथिन
  • वेनिला

 इसके अलाव कच्चे माल की लिस्ट चॉकलेट के स्वाद प्रकार इत्यादि के आधार पर अलग अलग हो सकती है ।

जरुरी स्टाफ नियुक्त करें (Appoint Staffs)

हालांकि इस बिजनेस को कोई गृहिणी बेहद छोटे स्तर पर यानिकी कुटीर उद्योग के तौर पर अपने घर से भी शुरू कर सकती है। जिसमें मशीनरी के तौर पर उसे कुछ सिलिकॉन से बने सांचों और पैकेजिंग सामग्री की आवश्यकता होती है। जिसमें उसको कोई स्टाफ नियुक्त करने की भी आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन यहाँ पर हम बात चॉकलेट की एक छोटी सी फैक्ट्री लगाने की कर रहे हैं, तो इसमें तो उद्यमी को स्टाफ भी नियुक्त करने की आवश्यकता होगी।

  • उद्यमी को एक ऑफिस कम अकाउंटेंट नियुक्त करने की आवश्यकता होगी।
  • एक मैनेजर नियुक्त करने की आवश्यकता होगी।
  • एक सेल्स मैन रखने की आवश्यकता होगी ।
  • १ सिक्यूरिटी गार्ड और दो मजदूर रखने की आवश्यकता होगी।
  • १ मशीन ओपेरटर और १ सुपरवाइजर की भी आवश्यकता हो सकती है। 

इस तरह से देखें तो उद्यमी को अपने चॉकलेट फैक्ट्री के लिए कम से कम ८ स्टाफ की आवश्यकता होगी।        

चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया शुरू करें (Chocolate making process)

यदि आप कोई अनुभवी मशीन ऑपरेटर न रखकर किसी फ्रेशर को रख रहे हैं तो आप उसे जहाँ से अपने मशीन खरीदी हो वहां प्रशिक्षण दिलाना न भूलें। और उसके बाद ही चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया अपने प्लांट में शुरू करें। आम तौर पर उपर्युक्त बताई गई मशीनों के माध्यम से चॉकलेट बनाने में निम्नलिखित प्रक्रियाओं का अनुसरण किया जाता है।

कोको बीन्स को भूनने और विनोइंग की प्रक्रिया – सबसे पहले कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल में लायी जाने वाली कोको बीन्स को भूनने की प्रक्रिया की जाती है, ताकि इनका स्वाद और रंग बेहतर किया जा सके। भूनने के बाद कोको बीन्स के बाहरी आवरण को हटा दिया जाता है, और अन्दर बीन को तोड़ दिया जाता है, जिन्हें कोको निब्स कहा जाता है। उसके बाद इन निब्स को एक छलनी से पास कराया जाता है, और यह छलनी इन निब्स को उनके आकार के हिसाब से अलग अलग करती है इसी प्रक्रिया को विनोइंग कहा जाता है। 

कोको निब्स को ग्राइंडिंग करने की प्रक्रिया – इस प्रक्रिया में चॉकलेट ग्राइंडिंग मशीन की मदद से कोको निब्स को ग्राइंड करके पाउडर स्वरूप में बदल दिया जाता है।और उसके बाद इस पाउडर को मशीन अपने स्टोन ग्राइंडर का इस्तेमाल करके पिघलाने का काम करती है इस प्रक्रिया में प्राप्त गाढे सांद्रण को कोको लिकर के नाम से जाना जाता है।

मिश्रित करने की प्रक्रिया – उसके बाद कोको लिकर के साथ अन्य कच्चे माल को मिश्रित करने के लिए एक मिक्सर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। यह मिश्रित करने की प्रक्रिया काफी धीमी होती है और यह चॉकलेट बनाने के लिए ब्लेंड प्राप्त करने में काफी समय ले सकती है।

ब्लेंडिंग और मोल्डिंग प्रक्रिया – उपर्युक्त प्रक्रिया के बाद इस मिश्रण को ब्लेंडिंग प्रक्रिया से गुजारा जाता है ताकि इसमें जोड़ा गया कच्चा माल जैसे चीनी, कोको बटर इत्यादि को और महीन किया जा सके। और चॉकलेट बनाने के लिए एक बहुत ही बढ़िया ब्लेंड तैयार किया जा सके। जब ब्लेंड पूरी तरह तैयार हो जाता है, उसके बाद इस मिश्रण को मोल्डिंग मशीन की मदद से चॉकलेट का आकार दे दिया जाता है। और उसके बाद चॉकलेट को जमाने के लिए रेफ्रीजिरेट किया जाता है।

पैकेजिंग प्रक्रिया – उद्यमी द्वारा अलग अलग मात्रा में चॉकलेट की पैकिंग की जा सकती है। उद्यमी चाहे तो रैपिंग पैकिंग भी कर सकता है और चाहे तो निर्मित चॉकलेट को डिब्बों में भी पैक कर सकता है।                  

मार्केटिंग करें (Promote your chocolate business)

आपने देखा होगा की बाज़ार में पहले से ही कई तरह की कंपनियों के चॉकलेट उपलब्ध हैं। इसमें डेरी मिल्क, ५ स्टार इत्यादि ऐसे ब्रांड हैं जिन्होंने इस बिजनेस में अपनी साख बनाई हुई है। यदि आप अपने बिजनेस को सफलतापूर्वक चलाना चाहते हैं तो आपको इन कंपनियों की कोई न कोई कमजोरी ऐसी खोज निकालनी होगी, जिन्हें इनके ग्राहक पसंद नहीं करते हैं ।

जैसे उदाहरण के लिए ५ रूपये में बिकने वाली ५ स्टार और डेरी मिल्क की चॉकलेट में यदि ग्राहकों को लगता है की वह बहुत कम चॉकलेट देते हैं । तो आप अपनी ५ वाली चॉकलेट में चॉकलेट की मात्रा बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा कंपनियाँ भी अपने कर्मचारियों को विभिन्न मौकों पर चॉकलेट गिफ्ट करना पसंद करती हैं । इसलिए आपको आपके एरिया में स्थित सभी सरकारी और निजी कार्यालयों में जाकर अपने चॉकलेट एवं ब्रांड के बारे में उन्हें बताना चाहिए।

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