कॉपीराईट क्या होता है और इसे कैसे प्राप्त करें। Copyright Registration Process.

भारत में कॉपीराइट अधिनियम १९५७ (Copyright act 1957) में ही पारित कर दिया गया था, लेकिन इसे लागू १९५८ से किया गया । जब से यह अधिनियम लागू हुआ है तब से अब तक इसे ६ बार संसोधित किया जा चुका है। कहने का आशय यह है की इस अधिनियम को वर्ष १९८३, १९८४, १९९२, १९९४, १९९९ और २०१२ में संसोधित किया जा चुका है। इस अधिनियम में निरंतर बदलावों की जरुरत पड़ने के पीछे टेक्नोलॉजी. इन्टरनेट एवं अन्य माध्यम जिनका इस्तेमाल लोग मनोरंजन, शिक्षा एवं संचार के लिए करते हैं में बदलावों का होना है।

शुरूआती दौर में इस अधिनियम को संगीत एवं फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों की चिंताओं को दूर करके उनकी रचनाओं की रक्षा करने के उद्देश्य से की गई। वर्तमान में इसका विस्तार करके इस डिजिटल वातावरण में रचनाओं की सुरक्षा इत्यादि को भी इसमें शामिल कर दिया है। वर्ष २०१२ में हुए इस अधिनियम में संसोधन सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें ही इस अधिनियम को इन्टनेट एवं डिजिटल दुनिया पर लागू किया गया है।      

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कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन क्या होता है (What is a copyright Registration):

ट्रेडमार्क एवं पेटेंट की तरह ही कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन भी एक ऐसा पंजीकरण है जो किसी की बौद्धिक संपदा का संरक्षण करता है। बौद्धिक संपदा से आशय उस पुस्तक से है जो आपने लिखी हो, उस गीत से है जो आपने लिखा हो, उस संगीत से है जो आपने बनाया हो, उस फिल्म से है जिसे बनाने में आपने अपनी पूरी ताकत झोंक दी हो, उस वेबसाइट एवं उसके कंटेंट से है जिसमें आप अपना पूरा अनुभव एवं ज्ञान बांटते हो इत्यादि।  

कहने का आशय यह है की कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन किसी लेखक, फिल्म मेकर, गीतकार, संगीतकार, एवं अन्य रचनाकार जिसने किसी पुस्तक, गीत, संगीत, फिल्म, दृश्य, चित्र इत्यादि की रचना की हो, को उनके रचनात्मक कार्य को सुरक्षा प्रदान करता है। यह रचनाकार को यह अधिकार देता है की यदि किसी ने उसकी रचना का बिना उसकी इजाजत के कुछ गलत या व्यवसायिक इस्तेमाल किया है, तो रचनाकार उस पर क़ानूनी कार्यवाही कर सकता है।

रचनाकार को पूरा अधिकार होता है की वह अपनी रचना को दोहराने, इस्तेमाल में लाने का अधिकार किसी अन्य व्यक्ति या प्राधिकरण को दे सकता है। लेकिन यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की किसी चीज को संचालित करने के तरीकों, प्रक्रियाओं, विचारों एवं गणितीय अवधारणाओं को कॉपीराइट नहीं किया जा सकता है।

किन किन रचनाओं का कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है

कॉपीराईट अधिनियम को देश के आज़ादी के मात्र १० सालों बाद ही १९५८ में लागू कर दिया गया था। इसका मुखु उद्देश्य लोगों की अपनी रचनाओं की सुरक्षा के प्रति होने वाली चिंताओं को दूर करना था। इस पंजीकरण के तहत निम्नलिखित रचनाओं को सुरक्षित किया जा सकता है।

  • सिनेमा के लिए बनने वाली फ़िल्में
  • गीत, संगीत, गाने, डायलोग एवं अन्य चीजें जिन्हें ऑडियो स्वरूप में रिकॉर्ड किया जा सके।
  • लिखी गई पुस्तकें एवं अन्य रचनाएँ।
  • कंप्यूटर प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर।
  • वेबसाइट एवं इसमें निहित सामग्री  ।
  • रेडियो और टेलीविजन पर होने वाले प्रसारित कार्यक्रम।
  • पेंटिंग, फोटोग्राफ जैसे अन्य कई कलात्मक कार्य।
  • किसी रचना का प्रकाशित संस्करण।
  • साहित्यिक रचनाएँ एवं अन्य।  

 जरां सोचिये की आपने लगातार कई महीने काम करके एक पुस्तक लिखी, लेकिन जैसे ही आपने उसे प्रकाशित किया किसी अन्य ने आपकी उस पुस्तक की कॉपी करके बाज़ार में बेचनी शुरू कर दी। आपकी मेहनत तो गई न पानी में, इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही कॉपीराइट अधिनियम को लागू किया गया है ।

कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन करने के लिए क्या क्या चाहिए  

जैसा की हम बता चुके हैं की कॉपीराइट पंजीकरण आपको आपकी रचना का दुरूपयोग या बिना इजाजत के उपयोग होने पर उस उल्लंघनकर्ता पर कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार प्रदान करता है। भारत में किया गया कॉपीराइट पंजीकरण दुनियाभर में मान्य होता है। इसलिए यह आपकी रचना को इन्टरनेट या डिजिटली भी सुरक्षा प्रदान करता है। इस पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों की लिस्ट इस बात पर अंतरित हो सकती है की आप किस तरह की रचना का पंजीकरण करा रहे हैं ।

  • इस पंजीकरण के लिए कुछ आधारभूत जानकारी जैसे उम्मीदवार का नाम, मोबाइल नंबर, पता इत्यादि भरने की आवश्यकता होती है।
  • चूँकि इस तरह का यह पंजीकरण ऑनलाइन किया जाता है, इसलिए आपको अपनी फोटो, हस्ताक्षर, इत्यादि सभी दस्तावेजों को JPEG इत्यादि फॉर्मेट में सॉफ्ट कॉपी के रूप में अपने कंप्यूटर पर सेव करके रखना होता है । यदि आप किसी कंप्यूटर प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर का पंजीकरण करा रहे हैं, तो आपको उसकी सीडी या डीवीडी तैयार करने की आवश्यकता होती है।
  • यदि आप किसी कलात्मक कार्य जैसे पेंटिंग, फोटो इत्यादि के लिए पंजीकरण करा रहे हैं तो आपको सबसे पहले आपको ट्रेडमार्क ऑफिस से जाकर ट्रेडमार्क प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता होगी।
  • किसी अधिकृत फर्म या वकील के माध्यम से इस तरह का पंजीकरण कराने पर रचनाकार को उन्हें पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी सौपनी होगी।       
  • यदि रचनाकार ने किसी पब्लिशर के माध्यम से अपनी रचना पहले ही प्रकाशित कर दी हो, और अब वह उस रचना का पंजीकरण कराना चाह रहा हो, तो इस स्थिति में पब्लिशर से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) की आवश्यकता होगी।
  • जिस काम का पंजीकरण कराना है उसकी दो कॉपी
  • डीमांड ड्राफ्ट
  • उम्मीदवार के केवाईसी डाक्यूमेंट्स
  • यदि रचनाकार अलग है, लेकिन उसने उसके अधिकार किसी और को दिए हुए हैं तो इस स्थिति में वास्तविक रचनाकार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) चाहिए होती है ।

कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन कराने के फायदे (Benefits of Copyright Registration)

  • यह आपके काम या रचना को क़ानूनी रूप से सुरक्षा प्रदान करता है । यह आपको उल्लंघनकर्ता के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाहीं करने का अधिकार प्रदान करता है।  
  • इस पंजीकरण के माध्यम से आप अपने दर्शकों एवं लोगों के बीच अपने काम एवं रचना की ब्रांडिंग करके लोगों में अपने काम के प्रति सद्भावना का संचार कर सकते हैं। यह पंजीकरण आपके दर्शों एवं अन्य लोगों को दिखाता है की आपको अपने काम की बहुत परवाह रहती है।
  • हमारे देश भारत में अन्य देशों में पंजीकृत हुए कॉपीराइट कार्यों एवं रचनाओं को वही अधिकार दिए गए हैं, जो उनके देश में दिए गए हैं । यानिकी यदि कोई ऐसा कार्य जो विदेश में कॉपीराइट के तहत पंजीकृत हुआ हो, तो उसका उल्लंघन करना भारत में भी क़ानूनी रूप से अपराध माना जाता है। ठीक इसके उलट भारत में पंजीकृत कॉपीराइट कार्यों को विदेशों में उल्लंघन करने पर भी अपराध माना जाता है। इसलिए यह पंजीकरण आपके कार्य को देश विदेश तक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह आपके कार्य एवं रचना का दुरूपयोग होने से बचाता है, क्योंकि इस पंजीकरण के बाद लोगों को आपके कार्य को अनधिकृत रूप से इस्तेमाल में लाने पर डर लगता है की कहीं आप उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही न कर दें।
  • अपने काम या रचना का कॉपीराइट पंजीकरण कराने के बाद वह क़ानूनी रूप से आपकी सम्पति हो जाती है। आप चाहें तो उसे बेच सकते हैं, किसी और को इस्तेमाल में लाने के लिए उससे रॉयल्टी ले सकते हैं।

कॉपीराइट पंजीकरण से पहले ध्यान देने योग्य बातें (Things need to be remember before getting Copyright Registration)

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की कॉपीराइट पंजीकरण आपकी रचना और आपके द्वारा किये गए काम को चोरी इत्यादि होने से क़ानूनी तौर पर सुरक्षा प्रदान करता है।लेकिन इससे पहले की आप इसके लिए आगे बढ़ें आपको यह जानना बेहद जरुरी हो जाता है की आप कॉपीराइट कराने के लिए पात्र हैं भी की नहीं।अपनी पात्रता जानने के लिए आपको निम्न बिन्दुओं को समझना आवश्यक हो जाता है।

  • एक ऐसा विचार जो प्रकाशित हो चुका है, जो मूर्त रूप में हमारे सामने उपलब्ध है, उसी का कॉपीराईट पंजीकरण (Copyright Registration) किया जा सकता है। जो आप करने का सोच रहे हैं उसको कॉपीराइट नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए अपने किसी विषय पर किताब लिखी हुई है उसे आप कॉपीराइट कर सकते हैं, लेकिन यदि आप किताब लिखने की सोच रहे हैं तो उस सोच को आप कॉपीराइट नहीं कर सकते।
  • किसी शब्द को आप कॉपीराइट नहीं कर सकते।
  • आप जिस काम को भी कॉपीराइट करना चाहते हैं, उसके वास्तविक रचियता आप होने चाहिए। कहीं से कॉपी पेस्ट की गई सामग्री इत्यादि को आप कॉपीराइट नहीं कर सकते।         

भारत में कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन कैसे किया जाता है (How to get copyright in India)  

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की भारत में कॉपीराईट पंजीकरण करने के लिए आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होती। आप चाहें तो अपने घर बैठे अपने कार्य एवं रचना का पंजीकरण ऑनलाइन करा सकते हैं।

Step 1 : इसके लिए सबसे पहले आपको इसकी अधिकारिक वेबसाइट (https://copyright.gov.in/) पर जाना होता है।

Step 2 – उसके बाद वेबसाइट के बायीं ओर ई फिलिंग ऑफ़ कॉपीराइट एप्लीकेशन सेक्शन के नीचे (Registration of copyright (Form-XIV) पर क्लिक करना होता है।   

Step 3 – जैसे ही आप इस पर क्लिक करते हैं आपके सामने एक पेज खुल जाता है जो आपसे लॉग इन आईडी और पासवर्ड मांगता है। लेकिन आपको उसके नीचे छोटे से अक्षरों में लिखे हुए (New user registration) पर क्लिक करना होता है।

Step 4 – इस पर क्लिक करते ही एक Sign up form खुल जाता है जिस पर आपको अपनी कई तरह की डिटेल्स और यूजर आईडी और पासवर्ड भी बनाने होते हैं। जब आप यह काम सफलतापूर्वक कर लेते हैं तो आप इस पोर्टल पर अपनी लॉग इन आईडी और पासवर्ड से लॉग इन करके, दिशानिर्देशों का पालन करते हुए कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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