डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर कौन होते हैं? और इन दोनों में क्या अंतर होता है|

क्या आप जानते हैं? डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर में काफी सारी समानताएं होने के बावजूद भी यह एक दूसरे से बिलकुल भिन्न हैं | अक्सर लोगों द्वारा डीलरशिप एवं डिस्ट्रीब्यूटरशिप को एक ही समझ लिया जाता हैं जबकि डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर में काफी सारी भिन्नताएं होती हैं | जिनका वर्णन हम इस लेख के माध्यम से करने वाले हैं |

हालाँकि यह सच है की डीलर या डिस्ट्रीब्यूटर कोई एक व्यक्ति या इकाई हो सकती है जो वितरण प्रणाली (Distribution Process) में एक मिडिल मैन की भूमिका अदा करते हैं |

लेकिन ये दोनों अलग अलग होते हैं जहाँ डीलर का उत्पाद के अंतिम ग्राहक के साथ सीधा सम्पर्क होता है | वही डिस्ट्रीब्यूटर का सीधा कनेक्शन उत्पाद के निर्माणकर्ता से होता है क्योंकि वे उनसे वस्तु खरीदते हैं | चूँकि डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर दोनों वितरण प्रक्रिया से जुड़े हुए हैं इसलिए सबसे पहले यह जान लेते हैं की यह प्रक्रिया है क्या? |

डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर

वितरण प्रक्रिया क्या है (What is distribution process in Hindi):

वितरण प्रक्रिया (Distribution Process) से हमारा आशय उस प्रक्रिया है जिसमे कंपनी अपने उत्पाद या सेवाओं को ग्राहकों को उपलब्ध कराती है | कंपनी के उत्पाद ग्राहकों तक विभिन्न माध्यमों जैसे स्टोर, ई-कॉमर्स वेबसाइट, एक से अधिक फूटकर विक्रेताओं, टेलीमार्केटर इत्यादि के द्वारा पहुँचते हैं |

इस प्रणाली में एक नहीं बल्कि अनेकों मध्यस्थ शामिल होते हैं जो उत्पाद को अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने में मदद करते हैं | इस प्रणाली अर्थात सप्लाई चेन से सम्बंधित दो मुख्य मध्यस्थों को ही डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर कहा जाता है | इससे पहले की हम इन दो मध्यस्थों के बीच पाए जाने वाली असमानताओं अर्थात अंतर की बात करें सबसे पहले डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर की परिभाषा जान लेते हैं |

डीलर कौन है डीलर की परिभाषा (Definition of Dealer in Hindi)

डीलर से अभिप्राय एक ऐसे  व्यक्ति या बिज़नेस इकाई से है जो अपने खाते से सामान खरीदने की गतिविधियों में शामिल है और उस सामान को स्टॉक करके बेचता है | साधारण शब्दों में एक डीलर वह व्यक्ति या इकाई होती है जो किसी विशेष उत्पाद की ट्रेडिंग करता हो |

वह स्वयं का एक खाता संचालित करता है जिस पर नियमित व्यवसाय के तौर पर स्वयं के कमर्शियल ट्रेडिंग करता है | डीलर माल के वितरक एवं उपभोक्ता के बीच मध्यस्थ होता है जो वितरक से माल लेकर उपभोक्ता को बेचता है |

वे उस विशेष क्षेत्र में वस्तुओं के अधिकृत विक्रेता कहलाते हैं | एक डीलर दूसरे डीलर के या एक अलग क्षेत्र के ग्राहकों को आकर्षित कर सकता है । यही कारण है की  विभिन्न डीलरों के बीच एक भयंकर प्रतिस्पर्धा चलती है और हर एक डीलर को अपने ग्राहकों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए ग्राहकों के साथ अच्छी तरह से व्यवहार करना पड़ता है ।

अलग अलग ब्रांड के डीलर अलग अलग लाभ की प्राप्ति करते हैं जहाँ एक डीलर के पास ग्राहकों का मजबूत आधार होता है वही दूसरे के पास कुछ ही ग्राहक होते हैं |

वितरक कौन है वितरक की परिभाषा (Definition of Distributor in Hindi):

वितरक से हमारा अभिप्राय ऐसे व्यक्ति या इकाई से है जो उत्पादों के निर्माता एवं डीलर के बीच मिडिल मैन की भूमिका अदा करता है | वे वे व्यक्ति या इकाई होती हैं जो पूरे बाजार में माल की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार होती हैं | चूँकि वितरक यानिकी (Distributor) एक एजेंट के रूप में कार्य करता है इसलिए इनका विनिर्माण इकाइयों के साथ सीधा संपर्क रहता है | वितरक विनिर्माण इकाइयों से सामान खरीदता है और उन वस्तुओं को उनकी तरफ से अन्य पार्टियों को बेचता है |

साधारण शब्दों में बात करें तो डिस्ट्रीब्यूटर यानिकी वितरक को निर्माण करने वाली कंपनी द्वारा किसी विशेष क्षेत्र में अपने उत्पादों को बेचने के लिए नियुक्त और अधिकृत किया जाता है | इसलिए वितरक को छोड़कर उस कंपनी के उत्पाद उस निर्धारित क्षेत्र में किसी अन्य को बेचने का अधिकार नहीं होता है | इसलिए डीलर एवं खुदरा विक्रेताओं द्वारा वितरक यानिकी डिस्ट्रीब्यूटर से ही माल ख़रीदा जाता है |

वितरक द्वारा कंपनी से थोक में माल ख़रीदा जाता है और उस माल को छोटे मोटे व्यवसाय एवं दुकानों में छोटे लॉट में बेचा जाता है | डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा ग्राहकों को कुछ अन्य सेवाएँ जैसे बिक्री सेवा, प्रतिस्थापन सेवा, तकनीकी सहायता इत्यादि प्रदान की जाती है |

डायरेक्ट इनडायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन:

जब एक वितरक द्वारा यानिकी डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा ही अंतिम उपभोक्ता को सामान बेचा जाता है तो इस प्रक्रिया को डायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन कहते हैं | जबकि यदि अंतिम उपभोक्ता तक सामान पहुँचाने के लिए अनेक मध्यस्थों का सहारा लिया जाता है तो यह प्रक्रिया इनडायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन कहलाती है |

डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर में अंतर (Differences Between Dealer and Distributor):

डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर में प्रमुख अंतर इस प्रकार से है |

  • डीलर वितरक और उपभोक्ता के बीच एक लिंक बनाता है जबकि वितरक विनिर्माण इकाई को डीलर से कनेक्ट करता है | कहने का आशय यह है की डीलर वितरक एवं उपभोक्ता के बीच की कड़ी है तो वहीँ वितरक विनिर्माण इकाई और डीलर के बीच की कड़ी है |
  • डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर में दूसरा सबसे बड़ा अंतर यह है की डीलर वस्तुओं को अपने खाते से खरीदता है और फिर अपने स्टॉक से उन वस्तुओं को अंतिम उपभोक्ता को बेचता है | जबकि वितरक सीधे कंपनी से माल खरीदता है और इसे डीलर एवं उपभोक्ता दोनों को बेचता है |
  • चूंकि डीलर अपनी तरफ से कारोबार करता है, इसलिए उनका काम प्रिंसिपल की तरह होता है । इसके विपरीत, एक वितरक (Distributor) कंपनी के नाम पर माल की आपूर्ति करता है; इसलिए कहा जा सकता है की वितरक कंपनी के एजेंट के तौर पर कार्य करते हैं ।
  • डीलर किसी विशेष श्रेणी के उत्पाद में सौदा करता है जबकि वितरक विभिन्न प्रकार के उत्पादों में सौदा करते हैं |
  • डीलर को उच्च प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है जबकि वितरक इस मामले में थोड़े भाग्यशाली हैं |
  • डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर में यह अंतर सेवा क्षेत्र (Serving Area) से जुड़ा हुआ है, डीलरों का सेवा क्षेत्र किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित होता है, लेकिन वितरक तुलनात्मक रूप से बड़े क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं, जरुरत पड़ने पर, उनके संचालन के क्षेत्र को विभिन्न शहरों, और राज्यों तक बढ़ाया जा सकता है ।
  • निर्माता, वितरक, डीलर और ग्राहक एक ऐसी आपूर्ति श्रंखला के हिस्से हैं जिसके माध्यम से एक उत्पाद उपभोक्ताओं के हाथों तक पहुँचने में सफल होता है | कई बार लोगों द्वारा डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर को एक ही समझ लिया जाता है लेकिन इस लेख में स्पष्ट कर चुके हैं की ये दोनों शब्द अलग अलग हैं | वितरक एक बड़े क्षेत्र की सेवा में संग्लन रहते हैं इसलिए एक वितरक (Distributor) कई डीलरों को अपना उत्पाद बेचते हैं | डीलर को दूसरे शब्दों में खुदरा वितरक (Retail Distributor) भी कहा जाता है |

यह भी पढ़ें:

एंजेल इन्वेस्टर और वेंचर कैपिटलिस्ट में अंतर |

प्राइवेट एवं पब्लिक लिमिटेड कंपनी में क्या अंतर होते हैं |

Leave a Comment