फ्लोर वाइपर बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? प्रक्रिया, रजिस्ट्रेशन, लागत, कमाई।

इस बिजनेस (Floor Wiper Business) से आप अवगत हों या फिर न हों, लेकिन फ्लोर वाइपर से तो आप अच्छी तरह से अवगत होंगे । वह इसलिए क्योंकि भले ही आप अपने घर में रहते हों या फिर किराये के घर में रहते हों, कहीं भी रहते हों वहां पर फर्श साफ़ करने के लिए या फर्श से पानी इत्यादि हटाने के लिए आप फ्लोर वाइपर का इस्तेमाल तो करते ही होंगे।

आप किसी अस्पताल, शॉपिंग माल, रेलवे स्टेशन इत्यादि सार्वजनिक जगहों पर चले जाईये, आपको कोई न कोई कर्मचारी हाथ में फ्लोर वाइपर लिए हुए पोछा लगाते हुए दिख जाएगा । जहाँ पहले वाइपर का इस्तेमाल केवल किसी गीली जगह पर पानी इत्यादि को साफ करने के लिए किया जाता था, वर्तमान में फ्लोर वाइपर के आगे कपड़े का पोछा फंसाकर इससे पोछे लगाने का भी काम बड़े पैमाने पर किया जाता है ।

ऐसे में सिर्फ घरों में ही नहीं बल्कि हर तरह के सार्वजनिक और प्राइवेट बिल्डिंग में साफ सफाई करने के लिए फ्लोर वाइपर की आवश्यकता होती है। और ऐसा भी नहीं है की एक बार जिसने फ्लोर वाइपर खरीद लिया तो फिर दुबारा वह इसे खरीदेगा ही नहीं, इनका जितना इस्तेमाल होगा उतना इनके खराब या निष्क्रिय होने की संभावना भी अधिक रहती है, ऐसे में लोग फिर से नया वाइपर खरीदना पसंद करते हैं।

यही कारण है की सर्दी, गर्मी, बरसात वर्ष के बारह महीने फ्लोर वाइपर की माँग बाज़ारों में हमेशा विद्यमान रहती है। ऐसे में जो उद्यमी खुद का कोई मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करने पर विचार कर रहे हैं, वे चाहें तो फ्लोर वाइपर बनाने का बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं ।

floor wiper business
Image: Floor wiper Business Plan in Hindi
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फ्लोर वाइपर बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to Start Floor Wiper Manufacturing in India):

फ्लोर वाइपर के इस्तेमाल से तो हम सभी अच्छी तरह से अवगत है, जब भी फर्श पर पानी गिर जाता है तो हम फ्लोर वाइपर का इस्तेमाल पानी को हटाने के लिए करते हैं। इतना ही नहीं कभी कभी साफ सफाई के लिए हमें खुद भी फर्श पर पानी गिराना पड़ता है, और उसके बाद फर्श की सफाई के लिए वाइपर का इस्तेमाल करना होता है ।

इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं की फ्लोर वाइपर एम् आम आइटम है जिसे लगभग हर घर में इस्तेमाल में लाया जाता है, लेकिन इसकी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस आम नहीं है। और इस बिजनेस को शुरू करने के लिए उद्यमी को वह सभी जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता होती है, जो किसी अन्य बिजनेस को शुरू करने के लिए, तो चलिए जानते हैं की ऐसे कौन कौन से कदम हैं। जो इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए जरुरी हो जाते हैं।

बिजनेस प्लान तैयार करें

फ्लोर वाइपर बनाने का यह प्रोजेक्ट स्थापित करने में उद्यमी को 22 से 25 लाख खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है । इसलिए उद्यमी के लिए बेहद जरुरी हो जाता है की यदि वह इस बिजनेस में अपना रिस्क कम करना चाहता है तो वह एक व्यवहारिक बिजनेस प्लान के साथ आगे बढ़ सकता है। चूँकि एक व्यवहारिक बिजनेस प्लान में उद्यमी को उसकी प्रस्तावित परियोजना की छोटी से छोटी जानकारी भी लिखित रूप में लिखनी होती है, यही कारण है की यह एक अहम् दस्तावेज हो जाता है।

इस दस्तावेज में मार्किट रिसर्च से लेकर उद्यमी अपनी फैक्ट्री द्वारा उत्पादित उत्पाद को कहाँ बेचने वाला है? कौन कौन सी मशीनरी और कच्चे माल का इस्तेमाल करने वाला है ? किसी विनिर्माण विधि का इस्तेमाल करके अपने उत्पाद को बनाना चाहता है? जमीन और बिल्डिंग कितनी चाहिए? क्या कोई सरकारी योजना इसके लिए सब्सिडी ऋण प्रदान कर रही है? इत्यादि सभी बातों का व्यवहारिक उल्लेख होता है।

सिर्फ इतना ही नहीं उद्यमी आने वाले पांच वर्षों या फिर दो वर्षों या एक निश्चित समय के बाद अपने बिजनेस को आर्थिक रूप से कहाँ पर देखना चाहता है। और वहाँ तक पहुँचने के लिए वह क्या क्या रणनीति अपनाने वाला है। इसके अलावा अनुमानित लागत और एक निश्चित समय के लिए अनुमानित कमाई का ब्यौरा इस दस्तावेज में निहित होता है।

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वित्त का प्रबंध करें

अब जब उद्यमी इस बात से अवगत हो जाता है की उसकी परियोजना की लागत कितनी है तो उसके बाद उसका अगला कदम अपने बिजनेस के लिए वित्त का प्रबंध करने का होना चाहिए। वर्तमान में अपने बिजनेस के लिए वित्त का प्रबंध करने के उद्यमियों द्वारा अनेकों तरीके अपनाए जाते हैं । इनमें सबसे पहले उद्यमी अपनी बचत के पैसों पर नजर डालते हैं, उसके बाद वे अपने पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों से अनौपचारिक ऋण लेना पसंद करते हैं, ताकि उन्हें ऋण पर ज्यादा ब्याज देने की आवश्यकता न हो।

लेकिन जब इन स्रोतों से वित्त का प्रबंध नहीं हो पाता है तो उसके बाद वे लोन लेने के औपचारिक स्रोतों जैसे बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से ऋण के लिए अप्लाई करते हैं । कुछ उद्यमियों द्वारा एंजेल इन्वेस्टर, वेंचर कैपिटलिस्ट, क्राउड फंडिंग इत्यादि के माध्यम से भी अपने बिजनेस के लिए पैसे एकत्रित किये जाते हैं, आप भी इनमें से कोई एक या फिर अनेकों तरीके अपने बिजनेस के लिए पैसों का प्रबंध करने के लिए अपना सकते हैं।  

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जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करें

इस बिजनेस (Floor Wiper Making) के लिए उद्यमी को लगभग 1800 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है । क्योंकि इसी परिसर में उद्यमी को वर्कशॉप के अलावा स्टोर रूम, विद्युत् उपकरणों के लिए जगह, ऑफिस इत्यादि बनाने के लिए भी जगह चाहिए होती है ।

  • कुल मिलाकर देखें तो लगभग 1000 वर्गफीट जगह तो उद्यमी को वर्कशॉप स्थापित करने के लिए ही चाहिए होती है।
  • इसके अलावा 500 वर्गफीट जगह स्टोर रूम, विद्युत् रूम इत्यादि के लिए चाहिए होती है।
  • ऑफिस के लिए 200 वर्गफीट जगह चाहिए हो सकती है।
  • और लगभग 100 वर्गफीट जगह पार्किंग और बाहरी विद्युत् सम्बन्धी उपकरणों के लिए चाहिए हो सकती है।  

हालांकि यदि उद्यमी खुद की जमीन पर यह सब कंस्ट्रक्शन का काम कराएगा तो इस बिजनेस में आने वाली लागत बढ़ जाएगी, इसलिए हम यहाँ पर 40000 रूपये किराया किसी बनी बनाई बिल्डिंग का मान के चल रहे हैं । 

जरुरी लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करें

जगह का प्रबंध हो जाता है तो आपके पास जमीन या बिल्डिंग का रेंट एग्रीमेंट, लीज एग्रीमेंट इत्यादि आ जाता है। अब आप इस एग्रीमेंट को अपने बिजनेस के पता प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल में ला सकते हैं। इस तरह के बिजनेस को वैधानिक रूप से संचालित करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरणों की आवश्यकता हो सकती है।

  • उद्यमी को चाहिए की वह अपने बिजनेस को प्रोप्राइटरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या फिर किसी अन्य लागू बिजनेस एंटिटी के तहत अपने व्यवसाय को रजिस्टर कराये।
  • एक रजिस्टर्ड व्यवसाय के पास उसका अपना पैन कार्ड और बैंक में चालू खाता होने की जरुरत होती है ।
  • टैक्स रजिस्ट्रेशन के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
  • ट्रेड लाइसेंस के लिए स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम , नगर पालिका के ऑफिस में संपर्क कर सकते हैं ।
  • फैक्ट्री अधिनियम के तहत व्यवसाय को रजिस्टर कराने की आवश्यकता हो सकती है।
  • यदि उद्यमी चाहता है की एमएसएमई सेक्टर के लिए बनी सरकारी योजनाओं का लाभ उसकी इकाई को भी मिले तो वह अपने व्यवसाय का उद्यम रजिस्ट्रेशन करा सकता है।
  • फायर और पोल्यूशन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है।
  • यदि उद्यमी अपनी फैक्ट्री द्वारा उत्पादित फ्लोर वाइपर को अपने ब्रांड नाम के साथ बेचना चाहता है, तो उसे ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराने की भी जरुरत होती है ।
  • फ्लोर वाइपर का निर्माण और गुणवत्ता से सम्बंधित ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड द्वारा मानक निर्धारित हैं, इसलिए उद्यमी को बीआईएस सर्टिफिकेशन की भी आवश्यकता होती है।   

जरुरी मशीनरी और कच्चा माल खरीदें

फ्लोर वाइपर बनाने के बिजनेस में जो भी मशीनरी और कच्चे माल की आवश्यकता होती है, वह भारत में ही बड़े शहरों में आसानी से मिल जाती है । लेकिन उससे पहले उद्यमी को मशीनरी और कच्चा माल खरीदने का एक स्टैण्डर्ड प्रोसीजर फॉलो करने की आवश्यकता होती है। 

और वह यह है की पहले कई सारे विक्रेताओं से मशीनरी और कच्चे माल की कोटेशन मँगाना, फिर उनका तुलनात्मक आकलन करना। और फिर शीर्ष तीन चार विक्रेताओं को नेगोशियेशन करने के लिए फोन करना और फिर वेंडर द्वारा दी गई फाइनल प्राइस एवं अन्य टर्म्स का विश्लेषण करना और अपने बिजनेस के लिए बेस्ट सप्लायर का चुनाव करना ।

फ्लोर वाइपर बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी की लिस्ट  

  • इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन इस मशीन का इस्तेमाल प्लास्टिक उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इस मशीन की कीमत ₹9 लाख तक हो सकती है ।
  • वर्टीकल फोम कटिंग मशीन जिसकी कीमत ₹1.5 लाख मान के चल सकते हैं।
  • हीट श्रिंक पैकेजिंग मशीन इसकी कीमत ₹50 हज़ार मान के चल सकते हैं।
  • पाउच सीलिंग मशीन इसकी कीमत ₹90 हज़ार मान के चल सकते हैं।
  • स्क्रू प्रेस मशीन इसकी कीमत ₹1.6 लाख मान के चल सकते हैं।
  • हथौड़े और अन्य उपकरण जिनकी कीमत भी लगभग ₹1.6 लाख मान के चल सकते हैं।

अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं की कोई इच्छुक उद्यमी जो खुद का फ्लोवर वाइपर बनाने का बिजनेस शुरू करने पर विचार कर रहा है, उसे लगभग ₹15.1 लाख तो मशीनरी और उपकरणों पर ही खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है।

वाइपर बनाने के बिजनेस में इस्तेमाल में लाये जाने वाले कच्चे माल की लिस्ट  

  • पालीप्रपोलीन प्लास्टिक के दाने
  • लोहे का पाइप
  • ईवीए रबर शीट
  • प्लास्टिक की कील, नट, बोल्ट इत्यादि
  • आयरन बुशिंग
  • पैकेजिंग सामग्री

स्टाफ की नियुक्ति करें

फ्लोर वाइपर बनाने के बिजनेस के लिए भी उद्यमी को कई सारे स्टाफ की आवश्यकता होती है। यदि उद्यमी चाहता है की उसे अपने स्टाफ को ज्यादा ट्रेनिंग इत्यादि देने की आवश्यकता न पड़े तो उसे अनुभवी स्टाफ को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह के बिजनेस को ढंग से संचालित करने के लिए उद्यमी को निम्न स्टाफ को नियुक्त करने की जरुरत होती है।

  • दो मशीन ऑपरेटर
  • तीन हेल्पर
  • दो स्किल्ड अनस्किल्ड स्टाफ
  • अकाउंटेंट कम एडमिन
  • एक सुपरवाईजर
  • एक क्वालिटी इंजिनियर
  • सेल्समेन    

इस प्रकार दे देखें तो उद्यमी को शुरूआती दौर में 10-12 कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।  

फ्लोर वाइपर का निर्माण शुरू करें

उपर्युक्त दर्शाए गए मशीनरी, उपकरणों और कच्चे माल से फ्लोर वाइपर का निर्माण आसानी से किया जा सकता है । यद्यपि यदि उद्यमी द्वारा अनुभवी मशीन ऑपरेटर को काम पर रखा गया है तो उन्हें इसकी निर्माण प्रक्रिया के बारे में पहले से अच्छी तरह से पता होगा । लेकिन इसके बावजूद भी उद्यमी चाहे तो मशीनरी और कच्चा माल विक्रेताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली फ्री ट्रेनिंग का भी फायदा उठा सकता है।

फ्लोर वाइपर का निर्माण ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिए। और क्वालिटी इंजिनियर द्वारा मार्किट में इसे बेचने के लिए भेजने से पहले परीक्षण किया जाना भी आवश्यक होता है ।  

फ्लोर वाइपर कैसे बनाया जाता है

  1. फ्लोर वाइपर बनाने की प्रक्रिया सबसे पहले वाइपर के बाहर से इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बॉडी के बनाने से शुरू होती है । यानिकी इस प्रक्रिया में सबसे पहले वाइपर की प्लास्टिक की बॉडी बनाई जाती है जिसके लिए इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है ।
  2. इसके लिए इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन में सही स्थान पर वांछित प्रोफाइल लगा दी जाती है, अब इस मशीन के हॉपर में पालीप्रपोलीन प्लास्टिक के दानों को डाला जाता है।
  3. तभी इसी मशीन में ये दानें पिघलाए जाते हैं और इन्हें इसी मशीन के माध्यम से सांचों में इंजेक्ट किया जाता है, जब पिघला हुआ प्लास्टिक सांचे का आकार ले लेता है, तो फिर उसका ठंडे होने का इंतजार किया जाता है और उसे मशीन से बाहर निकाल लिया जाता है ।
  4. अब जो वाइपर की बॉडी बनकर तैयार हो गई है उसी के हिसाब से ईवीए रबर की शीट को काटा जाता है, और प्लास्टिक नट बोल्ट कील की मदद से इन दोनों को एक दुसरे के साथ मैन्युअली फिट किया जाता है।
  5. जब यह काम हो जाता है तो उसके बाद इस वाइपर पर लोहे का पाइप फिट करने के लिए स्क्रू प्रेस मशीन की मदद ली जाती है। और लोहे के पाइप और वाइपर को पैकेजिंग के उद्देश्य से प्लास्टिक की पन्नी लपेटने के लिए हीट श्रिंक पैकेजिंग मशीन की मदद ली जाती है।    

फ्लोर वाइपर बिजनेस शुरू करने में आने वाली लागत

यद्यपि फ्लोर वाइपर बिजनेस शुरू करने में आने वाली लागत भी इसी बात पर निर्भर करती है की उद्यमी इसे किस स्तर पर शुरू कर रहा है। लेकिन इस तरह का यह छोटा प्लांट स्थापित करने में आने वाली लागतों का ब्यौरा कुछ इस प्रकार से है ।

  • मशीनरी और उपकरणों को खरीदने में आने वाली लागत लगभग ₹15.1 लाख हो सकती है ।
  • तीन महीने का किराया लगभग ₹1.2 लाख हो सकता है।
  • फर्नीचर और फिक्सिंग का खर्चा ₹90 हज़ार मान सकते हैं ।
  • कार्यकारी लागत जैसे सैलरी, कच्चा माल, उपभोज्य चीजें इत्यादि खरीदने में आने वाली लागत ₹6.3 लाख मान के चल सकते हैं ।  

इस बिजनेस (Floor Wiper Making Business) को शुरू करने में आने वाली अनुमानित लागत लगभग ₹23.5 लाख हो सकती है ।

FAQ (सवाल/जवाब)

फ्लोर वाइपर बनाने का बिजनेस करने के लिए कितना एरिया चाहिए होता है?

इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को लगभग 1800 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

उत्पादित फ्लोर वाइपर को कहाँ बेच सकते हैं?

फ्लोर वाइपर हर जगह इस्तेमाल में लाया जाता है इसलिए लोग इसे ग्रोसरी स्टोर इत्यादि से खरीदते हैं ।

फ्लोर वाइपर बनाने के बिजनेस से कमाई     

फ्लोर वाइपर बिजनेस से होने वाली कमाई कई कारकों पर निर्भर करती है । इसमें उद्यमी द्वारा निर्धारित अपने प्रोडक्ट की कीमतों से लेकर बिक्री होने वाली वस्तुओं की मात्रा इत्यादि शामिल है ।

कहने का आशय यह है की यदि आपने फैक्ट्री में फ्लोर वाइपर का निर्माण तो बहुत ज्यादा कर लिया लेकिन आप उन्हें बेच नहीं पा रहे हैं, तो स्वाभाविक है की आप फिर कमाई भी नहीं कर पाएंगे। लेकिन यदि उद्यमी अपने उत्पादों को बेचने में सफल रहता है तो वह इस बिजनेस (Floor Wiper Manufacturing Business) में सालाना लगभग ₹5.7 लाख तक का शुद्ध लाभ अर्जित कर सकता है।

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