Foreign Direct Investment (FDI) को हिंदी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी कहा जाता है। चूँकि आज किसी भी प्रकार के बिजनेस करने के लिए देश के ही नहीं अपितु विदेशों के भी द्वार खुले हुए हैं। यही कारण है की वर्तमान में लगभग सभी देशों में किसी न किसी क्षेत्र में आंशिक या अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लागू है। भारत में भी अनेकों क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें FDI लागू है लेकिन क्षेत्र के आधार पर लागू विदेशी निवेश का प्रतिशत अलग अलग हो सकता है।
यद्यपि जब देश में पहले पहले Foreign Direct Investment लाने की बात हुई थी तो कुछ राजनैतिक पार्टियाँ एवं लोग इसका विरोध भी कर रहे थे। बढ़ते वैश्वीकरण के दौर में देश की प्रगति एवं विकास के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी महत्वपूर्ण हो गया था। यही कारण है की आज भारत में भी अनेकों क्षेत्रों में एफडीआई लागू है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या है.
जब कोई विदेशी कंपनी किसी अन्य देश में किसी बिजनेस इकाई का स्वामित्व ग्रहण करती है अर्थात उस बिजनेस इकाई पर स्वामित्व स्थापित करके नियंत्रण करती है। तो इस स्थिति को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहा जाता है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में विदेशी कम्पनियां अपने बिजनेस से जुड़े नित्य प्रतिदिन के कार्यों में संलिप्त रहती हैं यही कारण है की वे देश में न सिर्फ पैसे अर्थात निवेश लेकर आती हैं। बल्कि रोजगार, ज्ञान, कौशल एवं तकनीक लेकर भी आती हैं।
आम बोलचाल की भाषा में जब कोई विदेशी कंपनी किसी देशी कंपनी का अधिग्रहण कर लेती है अर्थात उस देशी कंपनी पर विदेशी का स्वामित्व हो जाता है। हालांकि पूर्ण स्वामित्व या फिर आंशिक स्वामित्व FDI यानिकी विदेशी कंपनी द्वारा निवेश किये गए प्रतिशत पर निर्भर करता है। अनेकों बार लोगों के मष्तिष्क में यह भी सवाल उठते हैं की यह एफडीआई बनती कहाँ है। अर्थात वे देश कौन से होते हैं जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर पाने में सक्षम होते हैं।
तो उन्हें बता देना चाहेंगे की एफडीआई का निर्माण खुली अर्थव्यवस्थाओं में होता है अर्थात ऐसे देश जहाँ दुसरे देश को निवेश करने की आजादी होती है और वहां कुशल कार्यबल एवं विकास करने की अकूत संभावनाएं होती हैं । यही कारण है की वहां विदेशी कंपनी भविष्य में लाभ प्राप्त करने की दृष्टी से निवेश, कौशल तकनिकी इत्यादि लेके आती है।
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत की आर्थिक विकास के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण मौद्रिक स्रोत है अर्थात भारत को एफडीआई के माध्यम से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है । एक रिपोर्ट के मुताबिक 1991 में आये आर्थिक संकट के कारण ही भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई थी और तब से लेकर आज तक इन तीन दशकों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगातार बढ़ा है। आज की यदि बात करें तो भारत इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की श्रेणी में शीर्ष सौ देशों में सम्मिलित है और ग्रीनफिल्ड एफडीआई रैंकिंग में पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है।
भारत को एफडीआई मिलने के रूट
आटोमेटिक रूट:
इस श्रेणी में वह निवेश शामिल है जो सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि प्राइवेट या निजी सेक्टर की कम्पनियों के माध्यम से आता है।जैसे अनिवासी या भारतीय कंपनी को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक या भारत सरकार की पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
गवर्नमेंट रूट:
विदेशी कम्पनियों को भारत में निवेश करने के लिए भारत सरकार की स्वीकृति अनिवार्य रूप से लेनी होती है। कम्पनी को भारत सरकार द्वारा स्थापित विदेशी निवेश पोर्टल के माध्यम से एक आवेदन भेजने की आवश्यकता होती है। जो इस तरह की कम्पनियों को एकल खिड़की सुविधा प्रदान करता है। सम्बंधित व्यक्तियों या विभाग द्वारा कंपनी के इस आवेदन को सम्बंधित मंत्रालय को भेज दिया जाता है।
जो उद्योग मंत्रालय एवं प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के साथ परामर्श करने के बावजूद ही आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करता है। प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश निति के आधार पर अनुप्रयोगों के प्रसंस्करण इत्यादि के लिए मानक एवं संचालन प्रक्रिया जारी करता है।
आटोमेटिक रूट श्रेणी में 100% एफडीआई के तहत आने वाले सेक्टर
इनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।
- एग्रीकल्चर एवं एनिमल हसबेंडरी
- एयर ट्रांसपोर्ट सर्विस
- एयरपोर्ट्स (ग्रीनफ़ील्ड और ब्राउनफ़ील्ड)
- एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनीज
- ऑटो कंपोनेंट्स
- ऑटोमोबाइल
- बायोटेक्नोलॉजी (ग्रीनफ़ील्ड)
- ब्रॉडकास्ट कंटेंट सर्विसेज
- ब्राडकास्टिंग कैरिज सर्विसेज
- कैपिटल गुड्स
- कैश एंड कैर्री होलसेल ट्रेडिंग
- केमिकल
- कोल् एंड लिग्नाइट
- कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट
- कंस्ट्रक्शन ऑफ़ हॉस्पिटल्स
- क्रेडिट इनफार्मेशन कम्पनीज
- ड्यूटी फ्री शॉप्स
- ई कॉमर्स एक्टिविटीज
- इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम
- फ़ूड प्रोसेसिंग
- जेम्स एंड ज्वेलरी
- हेल्थकेयर
- इंडस्ट्रियल पार्क्स
- आईटी एंड बीपीएम
- लैदर, मैन्युफैक्चरिंग
- अदर फाइनेंसियल सर्विसेज
- सर्विसेज अंडर सिविल एविएशन
- पेट्रोलियम और नेचुरल गैस
- फर्मास्यूटिकल
- प्लांटेशन सेक्टर
- पोर्ट्स एंड शिपिंग
- रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर
- रिन्यूएबल एनर्जी
- रोड एंड हाईवे
- सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग
- टेक्सटाइल एंड गारमेंट
- थर्मल पॉवर
- टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी
- वाइट लेबल एटीएम ऑपरेशन
आटोमेटिक रूट श्रेणी में 100% से कम के तहत आने वाले सेक्टर
- इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी इन द सिक्यूरिटी मार्किट – 49% तक
- इंश्योरेंस सेक्टर – 49% तक
- पेंशन – 49% तक
- पेट्रोलियम रिफाइनिंग – 49% तक
- पॉवर एक्सचेंज – 49% तक
गवर्नमेंट रूट श्रेणी में 100% तक आने वाले सेक्टर
- बैंकिंग एंड पब्लिक सेक्टर – 20% तक
- ब्राडकास्टिंग कंटेंट सर्विस – 49% तक
- कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी – 100% तक
- फ़ूड प्रोडक्ट्स रिटेल ट्रेडिंग – 100% तक
- टाइटेनियम असर खनिजों और अयस्कों का खनन और खनिज पृथक्करण – 100% तक
- मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग – 51%तक
- प्रिंट मीडिया – 100% तक
- सेटेलाइट – 100% तक
किन सेक्टर में एफडीआई मना है
जिनमे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मना है उन सेक्टर की लिस्ट इस प्रकार से है ।
- एटॉमिक एनर्जी जनरेशन
- गैंबलिंग एवं बेटिंग बिजनेस
- ऑनलाइन, प्राइवेट, गवर्नमेंट लाटरीज
- इन्वेस्टमेंट इन चिट फंड्स
- निधि कंपनी
- कृषि एवं वृक्षारोपण से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ
- टाउनशिप, कमर्शियल प्रोजेक्ट को छोड़कर हाउसिंग और रियल एस्टेट
- ट्रेडिंग इन टीडीआर
- तम्बाकू इंडस्ट्री जैसे सिगरेट, सिगार इत्यादि
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लाभ :
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानिकी FDI के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं ।
- देश में एफडीआई बढ़ने से न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलता है बल्कि सर्विस सेक्टर को भी इससे प्रोत्साहन मिलता है। चूँकि बड़ी बड़ी विदेशी कम्पनियाँ देश में निवेश करते हैं जिससे देश की अर्तव्यवस्था को एक नई रफ़्तार मिलती है। यही कारण है की देश में रोज़गार के नए नए अवसर पैदा होते हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा फायदा मानव संसाधनों में विकास भी है चूँकि एफडीआई विदेशो से आता है इसलिए वह अपने साथ न सिर्फ पैसा बल्कि कौशल, ज्ञान एवं तकनीक भी लेकर आता है। और चूँकि इन्हें अपना बिजनेस चलाना होता है इसलिए यह अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं जिससे मानव संसाधनों का विकास होता है।
- चूँकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने की इच्छुक कम्पनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयाँ आबादी से दूर कहीं पिछड़े क्षेत्रों में लगाने को आतुर रहती हैं। इसलिए उस पिछड़े क्षेत्र में कंपनी या सरकार द्वारा बिजली, सड़कें, पानी इत्यादि की व्यवस्था दुरुस्त करनी होती है। इससे उस पिछड़े क्षेत्र का विकास होता है। कहने का आशय यह है की एफडीआई किसी पिछड़े क्षेत्र को औद्योगिक केन्द्रों में बदलने का सामर्थ्य रखता है। इसलिए पिछड़े क्षेत्रों का विकास भी इसके फायदों के लिस्ट में शामिल है।
- जहाँ पर एफडीआई आती है वहां पर नई नई कंपनीयां नए नए विचार एवं नई नई तकनिकी भी लेकर आते हैं। जिससे धीरे धीरे उस तकनिकी का प्रसार पूरे देश में होता है और परिणाम स्वरूप उद्योगों की दक्षता एवं प्रभावशीलता भी बढती जाती है।
- ध्यान रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तहत देश में आने वाली कम्पनियों द्वारा हर उत्पाद या सेवा घरेलू खपत के लिए ही तैयार नहीं किये जाते हैं। बल्कि बहुत सारे उत्पाद ऐसे भी होते हैं जिनकी वैश्विक बाजार में काफी मांग होती है । इसलिए एफडीआई निर्यात को बढ़ावा देने में भी सहायक है।
- किसी भी देश में एफडीआई का निरन्तर प्रवाह का मतलब है की उस देश में विदेशी मुद्रा का प्रवाह भी लगातार हो रहा है इससे देश के सेंट्रल बैंक को विदेशी मुद्रा का स्टॉक रखने में मदद मिलती है। और वहां पर एक्सचेंज रेट स्थिर रहते हैं।
- इसके अलावा कुछ अन्य फायदे जैसे आर्थिक विकास का प्रसार, कैपिटल फ्लो में सुधार एवं प्रतिस्पर्धी मार्किट का निर्माण इत्यादि भी हैं।
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