यद्यपि देखा जाय तो Wholesale Business यानिकी थोक का व्यापार बेहद लाभकारी हो सकता है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है की इस तरह के बिजनेस को शुरू करने के लिए भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता होती है। लेकिन इसके बावजूद बहुत सारे इच्छुक लोग इस तरह का बिजनेस शुरू करने की ओर प्रयासरत रहते हैं और जानने की कोशिश करते हैं की कैसे वे भारत में होलसेल बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की थोक विक्रेताओं का प्रमुख कार्य रिटेल स्टोरों तक आर्डर के मुताबिक उस उत्पाद विशेष को पहुँचाना होता है। इसलिए देखा जाय तो थोक विक्रेताओं के पास उपभोक्ता कम ही आते हैं और ग्राहक अधिक आते हैं। उपभोक्ता कोई भी आवश्यक उत्पाद रिटेल स्टोरों से खरीदते हैं और रिटेल स्टोरों को उत्पाद प्रदान करने की जिम्मेदारी थोक विक्रेताओं के कन्धों पर ही होती है।
कहने का अभिप्राय यह है की जहाँ रिटेल स्टोरों द्वारा उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं को बेचे जाते हैं वहीँ थोक व्यापार करने वाले ग्राहकों को उत्पाद बेचते हैं। यही कारण है की रिटेल स्टोरों द्वारा खरीदी जाने वाली किसी भी उत्पाद की मात्रा अधिक होती है। इसलिए होलसेल का व्यापार करने वाले उद्यमी को निरन्तर माल मेन्टेन करने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है।
थोक व्यापार क्या है (What is Wholesale Business)
हालांकि यहाँ पर पहले एक बात स्पष्ट कर देना जरुरी यह है की थोक व्यापार किसी भी वस्तु या उत्पाद का किया जा सकता है। जहाँ तक इसकी परिभाषा या होलसेल का बिजनेस क्या है? का सवाल है। उसके बारे में हम आगे बताने जा रहे हैं । थोक व्यापार यानिकी एक ऐसा व्यापार जब कोई उद्यमी बड़ी मात्रा में किसी उत्पाद को सीधे विनिर्माणकर्ताओं या डिस्ट्रीब्यूटर से खरीदकर इन्हें रिटेल स्टोरों को बेचता है।
चूँकि इस तरह के उद्यमियों द्वारा उत्पादों की खरीदारी थोक में अर्थात अधिक मात्रा में खरीद की जाती है यही कारण है की इन्हें ये उत्पाद कम कीमत पर आसानी से मिल जाते हैं। और इस बात से शायद सभी लोग अच्छी तरह से वाकिफ होंगे की रिटेल कीमतों के मुकाबले थोक की कीमतें काफी सस्ती एवं कम होती हैं।
कहने का आशय यह है की जब किसी उद्यमी द्वारा थोक कीमतों पर विनिर्माणकर्ताओं या डिस्ट्रीब्यूटर इत्यादि से उत्पाद खरीदकर इन्हें रिटेल स्टोरों या अंतिम उपभोक्ता को बेचा जाता है तो उसके द्वारा किया जाने वाला यह बिजनेस थोक व्यापार कहलाता है।
थोक व्यापार कैसे शुरू करें (How to Start Wholesale Business)
यद्यपि बहुत सारे लोगों को लगता होगा की भारत में थोक व्यापार शुरू करना आसान होगा । लेकिन यह सच नहीं है थोक का व्यापार शुरू करने में जो सबसे बड़ी चुनौती है वह यह है की उद्यमी को इसे शुरू करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए इसके लिए वित्त का प्रबंध करना सबसे बड़ी चुनती है। इसके अलावा ऐसे उत्पाद का चयन जिसकी मांग तो अधिक है ही साथ में ब्रांड एवं कंपनी का चुनाव करने के लिए भी काफी विश्लेषण एवं परिश्रम की आवश्यकता होती है।
इस बिजनेस को शुरू करने के इच्छुक व्यक्ति को सर्वप्रथम इस बात का आकलन करना होगा की ऐसा कौन सा उत्पाद है जिसकी उसके एरिया में अधिक मांग है और जिसे वह आसानी से रिटेल स्टोरों को बेच पायेगा। क्योंकि यदि उद्यमी ने किसी ऐसे उत्पाद को बड़ी मात्रा में खरीद लिया जिसका उसके एरिया में मांग ही नहीं है या है तो बहुत कम है तो उद्यमी के लिए उस उत्पाद को बेच पाना काफी कठिन हो जाएगा। बिक्री की संभाव्यता के अलावा उद्यमी को यह भी देखने की आवश्यकता होती है की उत्पाद ऐसा होना चाहिए जिसे आसानी से हैंडल एवं मेन्टेन किया जा सके।
जिसके सड़ने, गलने, खराब होने इत्यादि की कम संभावनाएं हों क्योंकि इस तरह के उत्पाद यदि समय रहते नहीं बिके तो उद्यमी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए उद्यमी किसी भी उत्पाद चाहे वह पहनने में इस्तेमाल में लाया जाता हो, घर के किसी काम को करने में इस्तेमाल में लाया जाता हो, खाने में इस्तेमाल में लाया जाता हो या फिर और कुछ उत्पाद का चयन अच्छे ढंग से मार्किट रिसर्च के बाद ही करना बेहतर होता है। एक थोक उद्यमी के लिए सही उत्पाद वही है जिसे वह आसानी से मेन्टेन एवं बेच सके ताकि उसे नुकसान न उठाना पड़े।
2. जरुरी लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन प्राप्त करें (Get License & registration)
उद्यमी चाहे तो अपने बिजनेस को प्रोप्राइटरशिप के तहत रजिस्टर करा सकता है। ताकि वह अपने बिजनेस के नाम से चालू खाता इत्यादि आसानी से खोल सके। ध्यान रहे होलसेल बिजनेस करने वाले उद्यमी को भी बिजनेस इकाइयों से ही डील करने की आवश्यकता होती है इसलिए उसे किसी भी बैंक में चालू खाता खुलवाने की नितांत आवश्यकता होती है। यद्यपि चालू खाता इत्यादि खोलने के लिए बैंक द्वारा बिजनेस का पता प्रमाण पत्र, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट इत्यादि की मांग की जा सकती है।
इसके अलावा बिजनेस के नाम से पैन कार्ड एवं जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है। चूँकि यह एक थोक व्यापार है इसलिए इसका टर्नओवर आसानी से जीएसटी की रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी छूट सीमा को पार कर सकता है। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह पहले से ही टैक्स रजिस्ट्रेशन करा ले। इसके अलावा उद्यमी को शॉप्स एंड एस्टाब्लिश्मेंट एक्ट के तहत भी अपने व्यवसाय को रजिस्टर करने की आवश्यकता हो सकती है और ट्रेड लाइसेंस के लिए स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका इत्यादि से भी संपर्क करना पड़ सकता है।
जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में एक ही उत्पाद का निर्माण अनेकों कम्पनियाँ करती हैं लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है की हर कंपनी का उत्पाद बराबर मात्रा में बिकता है। अर्थात यह जरुरी नहीं है की उपभोक्ता हर कंपनी के उत्पाद को पसंद करें। इसलिए इस व्यापार को शुरू करने वाले उद्यमी को चाहिए की वह किसी ऐसी कंपनी के उत्पाद को ही अपने बिजनेस का हिस्सा बनाये जिसे लोग बेहद पसंद करते हों और उसके बिकने की संभावना अन्य उत्पादों से जल्दी बिकने की हो।
ऐसे उत्पाद का चुनाव करने के बाद उद्यमी को उसकी कंपनी या डिस्ट्रीब्यूटर ढूँढने में अधिक परेशानी नहीं आएगी। क्योंकि अक्सर देखा गया है की प्रसिद्द ब्रांड की कंपनी एवं डिस्ट्रीब्यूटर का पता बड़ी जल्दी लग जाता है । हालांकि अक्सर यह भी देखा गया है की यदि उद्यमी बड़ी मात्रा में उत्पाद खरीदने के लिए सीधे विनिर्माणकर्ता कंपनी से संपर्क करेगा। तो कंपनी के अधिकारी कीमतें तो कम कर सकती हैं लेकिन वे माल सप्लाई उस एरिया में स्थित उनके डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से ही करेंगे।
इसलिए कंपनी से बात करने में संशय न करें और यह भी विचार अपने मन में न लायें की कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तो आपके एरिया के आस पास है नहीं वे उत्पाद को यहाँ कैसे डिलीवर करेंगे। कहने का अभिप्राय यह है की डिस्ट्रीब्यूटर की तुलना में कंपनी से ही बात करने को प्राथमिकता दें।
4. बड़ी सी जगह का प्रबंध करें
जैसा की हम सबको ज्ञात है की थोक व्यापार (Wholesale business) में उद्यमी को उत्पाद की एक बहुत बड़ी मात्रा खरीदने की आवश्यकता होती है । ताकि उसे माल कम कीमत में अर्थात सस्ते दामों में मिल सके और वह भी रिटेल स्टोरों को उचित दामों में बेचकर लाभ की कमाई कर सके। इसलिए इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को एक बड़ी जगह की आवश्यकता होती है जहाँ वह ख़रीदे गए उत्पादों को आसानी से स्टोर कर सके। उद्यमी को एक वेयरहाउस खोलने तक की जगह का प्रबंध करने की आवश्यकता हो सकती है।
यदि उद्यमी के पास स्वयं की जमीन नहीं है तो वह इसे किराये पर या लीज पर ले सकता है। लेकिन उद्यमी को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा की उसका यह थोक स्टोर रिटेल स्टोरों के इर्द गिर्द होना चाहिए। ताकि उत्पादों को आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सके। इसके अलावा उद्यमी को अपने कर्मचारियों को बैठाने के लिए भी उपयुक्त जगह का प्रबंध करना होगा । ताकि डिलीवरी एवं पिकअप व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
5. खरीदी और बिक्री दोनों का ट्रैक रखें (Maintain proper Record of your Wholesale Business)
होलसेल का बिजनेस करने वाले उद्यमी को चाहिए की वह जो माल विनिर्माण करने वाली कम्पनियों या डिस्ट्रीब्यूटर से खरीद रहा है उसका उचित ढंग से रिकॉर्ड रखे। इसके लिए उद्यमी चाहे तो एक रजिस्टर मेन्टेन कर सकता है या वर्तमान में बहुत सारे एकाउंटिंग सॉफ्टवेर चल रहे हैं इसलिए यदि उद्यमी को कंप्यूटर इत्यादि चलाना आता हो तो वह कंप्यूटर की मदद से भी ऐसे रिकॉर्ड मेन्टेन कर सकता है। सिर्फ खरीदी का ही नहीं बल्कि बिक्री का भी ढंग से रिकॉर्ड रखना बेहद आवश्यक है।
इसके अलावा ग्राहकों एवं सप्लायर दोनों की कांटेक्ट डिटेल मेन्टेन करना भी नितांत आवश्यक है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं की जो रिटेलर नियमित तौर पर उद्यमी से माल खरीदेगा उससे उद्यमी की जान पहचान तो बढ़ ही जाएगी। और वह रिटेलर उद्यमी से कभी कभी उधार भी मांग सकता है और उद्यमी को देना भी पड़ेगा। लेकिन यदि Wholesale Business करने वाला उद्यमी चाहता है की उसे नुकसान न हो तो उसे प्रति रिटेलर उधार देने की एक सीमा तय करनी होगी।
चूँकि इस तरह के बिजनेस को सफल बनाने के लिए एक बेहतरीन योजना एवं रणनीति की आवश्यकता होती है। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह व्यापार से सम्बंधित सभी परिस्थितियों पर विचार करके ही कोई ठोस योजना एवं रणनीति बनाये। जो उसके थोक बिजनेस को दीर्घकालिक बनाने में मददगार होगी।
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