जिरेनियम तेल बनाने का बिजनेस। Geranium Oil Manufacturing Business.

हालांकि Geranium Oil सामान्य तौर पर इस्तेमाल में लाया जाने वाला तेल नहीं है बल्कि यह एक ऐसा तेल है जो प्रति लीटर कई हज़ार रुपयों में बाजार में बिकता है। जहाँ तक जिरेनियम के पौधे का सवाल है यह छोटे गुलाबी फूलों और नुकीले पत्तों वाला एक बारहमासी पौधा या झाड़ी की तरह है और मूल रूप से यह दक्षिण अफ्रीका में पाया जाता है। 

कहने का आशय यह है की जिरेनियम की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से हुई थी वर्तमान में यह कई देशों में पाया जाता है। इस पौधे की कई किस्में होती हैं लेकिन जिरेनियम जिसका वैज्ञानिक नाम जिरेनियम – पेलेग्रोनियमग्रेवोलेंस है जिससे पौधे और फूल को खुशबु वाला तेल बनाया जाता है। इसी तेल को Geranium Oil के नाम से जाना जाता है आम तौर पर इस तरह का यह तेल जिरेनियम पौधे की पत्तियों के आसवन (distillation) करके प्राप्त किया जाता है।

प्राचीन लोककथाओं के अनुसार इस तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की एक विस्तृत श्रंखला का समाधान करने के लिए किया गया था। और वर्तमान में यह यूरोप और एशिया के कई देशों में उगाया जाता है ताकि इसके औषधीय गुणों का फायदा लिया जा सके। इसका फूल जो की गुलाबी होता है कई किस्मों और खुशबु के साथ विभिन्न देशों में पाया जाता है।

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जिरेनियम की प्रत्येक किस्म या प्रकार सुगन्ध इत्यादि में भिन्न हो सकती है लेकिन संरचना, लाभ एवं इस्तेमाल में यह लगभग एक समान ही रहती है। इसलिए Geranium Oil का विनिर्माण करने के लिए किसी भी सुगन्ध वाली किस्म का इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है।

Geranium Oil के इस्तेमाल और बाजार:

Geranium Oil की यदि हम बात करें तो यह एक प्रकार का सुगन्धित एवं खुशबूदार तेल है जिसका इस्तेमाल आम तौर पर बड़े पैमाने पर अरोमाथेरेपी के लिए किया जाता है। जैसा की हम बता चुके हैं की वैज्ञानिक नाम पेलेग्रोनियमग्रेवोलेंस के नाम के पौधे के फूलों और पत्तियों का इस्तेमाल करके बनाये जाने वाले तेल का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए किया जाता है।

इस तेल में स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए कई यौगिक मौजूद होते हैं जिनमें सिट्रोनेलोल और गेरानोल प्रमुख हैं। इसके तेल में जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं जिन्हें यदि त्वचा के बाहरी आवरण में लगाया जाता है तो यह मुहांसे, त्वचा में जलन, त्वचा के संक्रमण को कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। Geranium Oil के एंटी इन्फ्लेमेंटरी गुण इसे और भी कई इन्फ्लेमेंटरी स्थितयों को नियंत्रित करने के लिए फायदेमंद बनाते हैं।

भारत में ही नहीं बल्कि पूरे वैश्विक स्तर पर खुशबूदार तेलों की मांग लगातार बढ़ रही है वह इसलिए क्योंकि लोगों की उत्पाद और स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। इस तरह के औषधीय तेलों की मांग में वृद्धि के और भी कई कारण जैसे एक बढ़ती वैश्विक आबादी, तेजी से शहरीकरण, एक बढ़ता हुआ फार्मास्युटिकल क्षेत्र, और बढ़ती जरा-चिकित्सा जनसंख्या भी है।

इसके अलावा Geranium Oil की बढती माँग के पीछे एक जो सबसे अहम् और प्रमुख कारण है वह यह की प्राकृतिक तत्वों या अवयवों का दूसरा कोई विकल्प नहीं है । और यदि है भी तो वह अधिकतर जनसँख्या को पसंद नहीं है।

जिरेनियम तेल बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to Start Geranium Oil Business):

Geranium Oil बनाने का बिजनेस शुरू करने वाले उद्यमी वह भी खास तौर पर भारत में इस तरह का प्लांट स्थापित करने की योजना बना रहे उद्यमी को एक बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए की जिरेनियम नामक पौधे का मूल निवास दक्षिण अफ्रीका है। लेकिन भारत में भी यह कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, हिमांचल प्रदेश और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में उगाया जाता है।

इसके अलावा सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स जिरेनियम की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों तरह से किसानों की मदद के लिए प्रयासरत है। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह Geranium Oil Plant स्थापित करने से पहले जहाँ वह यह प्लांट लगाने की योजना बना रहा हो वहां पर इसकी उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त करे।

अर्थात यदि उद्यमी ने अपना प्लांट किसी ऐसे क्षेत्र में लगा लिया जहाँ इस तरह के पौधों की खेती ही न होती हो तो फिर उद्यमी को कच्चा माल प्राप्त करने के लिए खासी मेहनत और कीमत दोनों देनी पड़ सकती हैं।

इसलिए उद्यमी चाहे तो किसी ऐसे क्षेत्र में ही इस तरह का यह प्लांट स्थापित करे जहाँ उसे कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से हो जाय और उद्यमी को स्थानीय किसानों को जिरेनियम की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए। आइये जानते हैं की कैसे कोई व्यक्ति खुद का जिरेनियम तेल बनाने का व्यवसाय शुरू कर सकता है।

उपयुक्त लोकेशन का चुनाव करें

जैसा की अब तक की वार्तालाप से स्पष्ट हो चूका है की भारत में जिरेनियम की खेती आम खेती नहीं है इसके बारे में आज भी किसानों के पास उचित जानकारी का अभाव है। यही कारण है की विभिन्न सरकारी विभाग देश में इस तरह के औषधीय पौधों की कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों कार्यक्रम चलाये हुए हैं। इन्हीं के चलते भारत के कुछ राज्यों के कुछ क्षेत्रों में किसानों द्वारा जिरेनियम की खेती की जा रही है लेकिन फिर भी यह एक ऐसा उत्पाद है जिसकी मांग देशी बाजार में तो है ही विदेशी बाजार में भी है लेकिन मांग की तुलना में सप्लाई बेहद कम है।

इसलिए Geranium Oil Plant हरु करने वाले उद्यमी को सर्वप्रथम एक ऐसी लोकेशन का चयन करना होगा जहाँ पर उसे उसके व्यवसाय को वर्ष के बारह महीने चालू रखने के लिए आवश्यक कच्चा माल आसानी से उचित दरों पर प्राप्त हो जाय। और ये उपयुक्त लोकेशन वही हो सकती है जहाँ पर पहले से जिरेनियम की पैदावार की जा रही हो।

जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करें

 Geranium Oil Business को छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए उद्यमी को बहुत बड़ी जगह या बिल्डिंग की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि शुरूआती दौर में उद्यमी छोटी छोटी मशीन और बर्तनों का इस्तेमाल करके भी जिरेनियम के तेल का विनिर्माण कर सकता है । इसलिए शुराती दौर में इस तरह का यह व्यवसाय शुरू करने के लिए 300-400 वर्गफीट जगह भी पर्याप्त होगी।

यदि उद्यमी के पास स्वयं की कोई गैर कृषि योग्य बुमी है तो उद्यमी वहीँ पर कंस्ट्रक्शन का कार्य शुरू करवा सकता है लेकिन यदि उद्यमी का बजट और भी कम है तो वह किराये पर कोई बनी बनाई छोटी सी जगह ले सकता है। 

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्राप्त करें

Geranium Oil Plant स्थापित करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है ।

  • व्यवसाय का प्रोप्राइटरशिप, पार्टनरशिप, कंपनी इत्यादि के तौर पर रजिस्ट्रेशन ।
  • जीएसटी या टैक्स रजिस्ट्रेशन।
  • पोल्यूशन और फायर डिपार्टमेंट से एनओ सी।
  • स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका से लाइसेंस।
  • कॉस्मेटिक और ड्रग बोर्ड से लाइसेंस।
  • उद्यम रजिस्ट्रेशन।
  • ब्रांड नाम और ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन।
  • यदि बाहर देशों को उत्पाद निर्यात करना है या बाहर देशों से कच्चा माल मंगाना है तो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड की भी आवश्यकता हो सकती है ।

मशीनरी और कच्चे माल की खरीदारी करें

Geranium Oil Manufacturing Business में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट इस प्रकार से है ।

  • गर्म करने के लिए बर्तन (Heating Vessel)
  • कंडेंसर
  • स्टीम पाइप
  • सेपरेटर
  • वाटर पम्प
  • कुलिंग टावर
  • वाटर टैंक
  • फिलिंग मशीन

आवश्यक कच्चे माल के तौर पर जिरेनियम की पत्तियाँ, फूल, जिरेनियम शूट इत्यादि चाहिए होते हैं और पैकिंग सामग्री जैसे बोतल इत्यादि की भी जरुरत होती है। 

तेल विनिर्माण कार्य शुरू करना

Geranium Oil Manufacturing Process शुरू करने से पहले जिरेनियम शूट नामक कच्चा माल स्थानीय किसानों से खरीद लिया जाता है और अस्थायी तौर पर उसे छांवयुक्त स्टोर में स्टोर करने के लिए रख दिया जाता है। आम तौर पर इस तर्क का तेल निकालने के लिए भाप और हाइड्रो आसवन विधियों का इस्तेमाल किया जाता है।

आगे इस प्रक्रिया में जिरेनियम शूट नामक कच्चे माल को पानी के साथ लगभग 3 से चार घंटों तक किसी बर्तन में उबाला जाता है इस प्रक्रिया के दौरान भाप के साथ जिरेनियम का तेल भी उत्पन्न होता है क्योंकि यह पौधें के शूट के भीतर से वाष्पीकृत होकर प्राप्त किया जाता है।

उसके बाद प्रक्रिया के तहत उत्पन्न भाप को स्टीम पाइप के माध्यम से कंडेंसर में स्थानांतरित कर दिया जाता है क्योंकि कंडेंसर को एक पम्प का लगातार उपयोग करके ठंडे पानी के साथ परिचालित किया जाता है। इस तरह से आसवन प्रक्रिया को पूर्ण करने वाले कंडेंसर से भाप को स्थानांतरित कर दिया जाता है जबकि आसवन प्रक्रिया (distillation process) को पूर्ण करने के लिए ठंडा पानी भेजा जाता है।यहाँ वह अपने तापमान को कम करने के लिए बाष्पीकरणीय कुलिंग से गुजरता है और कुलिंग हेतु दुबारा इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाता है।

कुलिंग टावर पम्प में ठंडे पानी को समय समय पर दुसरे पानी की टंकी के माध्यम से भरा जाता है। Geranium Oil Manufacturing Process में इसके बाद कंडेंसर से पारपत आवश्यक सामग्री जिसमें पानी और तेल दोनों मौजूद होते हैं को सेपरेटर की ओर सप्लाई किया जाता है और फिर इस तरल को नीचे सेट होने की अनुमति दी जाती है थोड़ी देर बाद पानी नीचे बैठ जाता है जबकि जिरेनियम तेल पानी की परत के ऊपर रहता है।

सेपरेटर के नीचे एक वाल्व लगा होता है जिसका इस्तेमाल सेपरेटर से सभी पानी को निकालने के लिए किया जाता है और तेल उसी सेपरेटर में रहता है जिसे अंत में दुसरे बर्तन में निकाल दिया जाता है। इसके अलावा इस पानी की आपूर्ति वापस हीटिंग वेसेल में संवर्धन हेतु की जाती है। ताकि इस पानी में जितना भी तेल रहा गया हो वह दूसरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद सब निकल जाय। 

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