अक्सर होता क्या है असंगठित क्षेत्र में बकरी पालन व्यवसाय से प्रत्यक्ष रूप से किसान जुड़ा हुआ होता है, और यह व्यवसाय उन किसानों की आजीविका यानिकी कमाई का मुख्य स्रोत होता है, बरसात में या अन्य मौसम में बकरियों की तरह तरह की बीमारियाँ फैल सकती हैं। ऐसी स्थिति में यदि किसान के पास लक्षणों के आधार पर बीमारियों को पहचानने की जानकारी उपलब्ध हो तो, हो सकता है की बीमारियों से ग्रसित बकरियों का उपयुक्त ईलाज चाहे वह घरेलू ही सही हो पाय। चूँकि यह भी सच्चाई ही है की, बहुत बार ऐसा भी होता है जब बकरियों की बीमारी के चलते बहुत सारे किसानों के सपने ही चकनाचूर हो जाते हैं वह किसान जो यह सपने पाले हुए था की इस बार सारी बकरियों को बेचकर गुड़ियाँ की शादी करा दूंगा उसका यह छोटा सा लेकिन बहुत जरुरी सपने को भी बकरी पर लगने वाली बीमारियाँ लील कर जाती हैं । इसलिए आज हमारे इस लेख का उद्देश्य हमारे पाठक गणों से रोग अर्थात बीमारी के लक्षणों के आधार पर बकरियों के रोग की पहचान कराना होगा ।
- रोग का लक्षण : बकरी को तीव्र बुखार यानिकी बकरी के शरीर का तापमान सामान्य तापमान 102.5 डिग्री फर्नेहाईट से अधिक होना ।
संभावित रोग : बकरियों को तीव्र बुखार खुरपका मुहंपका रोग, पशुमाता, PPR, गलघोटू जिसे हिमोरेजिक सेप्टीसीमिया भी कहते हैं, लंगड़ा बुखार ,एंथ्रेक्स, संक्रामक गर्भपात, बेबेसिओसिस, निमोनिया, हीट स्ट्रोक इत्यादि में आ सकता है ।
2. लक्षण: यदि किसी बकरी की कोई लक्षण नज़र आने से पहले ही मृत्यु हो जाए तो
संभावित रोग: बकरी की अचानक मृत्यु विषक्रिया, सांप के काटने, हीट स्ट्रोक, एंथ्रेक्स , रिंडरपेस्ट, PPR गलघोंटू, लंगड़ा बुखार, बेबेसिओसिस इत्यादि रोग होने पर हो सकती है।
3. लक्षण: यदि बकरी को दस्त, अतिसार या डायरिया और साथ में खून भी आ रहा हो तो।
संभावित रोग : ऐसे में बकरी को अपच, कृमि संक्रमण, जीवाणु के कारण दस्त, हिमोरेजिक सेप्टीसीमिया, एंथ्रेक्स, उतकक्षयी आंत्रशोध, विषाणु जानी रोग जैसे PPR, Rinderpest , coxideosis इत्यादि रोग हो सकते हैं।
4. लक्षण: मूत्र में रक्त आना या पेशाब का रंग लाल होना ।
संभावित रोग : इस स्थिति में बेबेसिओसिस, मूत्र मार्ग में संक्रमण एवं घाव या मूत्र पथरी के कारण ऐसा हो सकता है।
5. लक्षण : बकरी के जबड़ों में या शारीर के अन्य भाग में ऐंठन होना ।
संभावित रोग: टिटनेस नामक रोग में जबड़े अटक जाते हैं और शारीर धनुष की आकृति जैसा टेढ़ा हो जाता है। जलांतक में बकरी में पागलपन असमान्य आचरण वाले लक्षण दिखाई देते हैं।
6. लक्षण: पक्षाघात या पैरालाइसिस होना।
संभावित रोग : यदि बकरी हाल ही में ब्याई हुई है तो उसे मिल्क फीवर, हो सकता है इसके अलावा जलांतक, मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी सम्बन्धी कोई रोग या फिर इनमे चोट ब्रुसेलोसिस यानिकी कुल्हे के पास पेशी में पक्षाघात इत्यादि के कारण यह हो सकता है।
7. लक्षण: मुहं में घाव होना या मुहं से लार टपकाना।
संभावित रोग: बकरी के मुहं के अन्दर स्टोमाटाईटिस, खुरपका मुहँ पका रोग, तेज बुखार जिसमे जीभ के ऊपर छाले या फफोले निकल आते हैं जलांतक रोग में भी मुहं में घाव हो सकते हैं रिनडरपेस्ट में भी मुहं से लार टपकता है।
8. लक्षण: यदि बकरी लंगड़ा कर चले तो।
संभावित रोग : पैरों में घाव या खुर सडन, पैर में चोट, पैर में मोच, पैरों में सूजन, लंगड़ा बुखार जिसमे पैर के उपरी हिस्से के मांसपेशी में सूजन, तेज बुखार इत्यादि होता है।
9. लक्षण: बकरी के पेट में सूजन हो तो।
संभावित रोग : ब्लॉट या tympanitis बकरी के पेट में जब अपच के कारण गैस बन जाती है तो तब यह रोग होता है।
10. लक्षण : बकरी के थनों में सूजन हो तो।
संभावित रोग : थनों में प्रदाह या mastitis जिन बकरियों में दूध का उत्पादन अधिक होता है अर्थात जो बकरियां अधिक दूध देती हैं उनमे यह रोग अधिक होने की संभावना होती है।
11. लक्षण: बकरी को सर्दी जुकाम लग जाए तो ।
संभावित रोग : bronchitis, निमोनिया, सामान्य सर्दी जुकाम, बुखार, इत्यादि रोग हो सकते हैं ।
12. लक्षण : यदि बकरी की आँखे बेजान नज़र आयें तो।
संभावित रोग : यदि बकरी की आँखे बेजान नज़र आये तो उसमे खून की कमी या एनीमिया हो सकता है।
13. लक्षण : यदि बकरी की आँखे पीली हो जाएँ तो ।
संभावित रोग : यदि बकरी की आँखे पीली नज़र आये तो यह जोंडिस, लीवर फ्लूक कृमि के संक्रमण, बेबेसिओसिस, hepititis इत्यादि रोगों के कारण हो सकता है।
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