निरमा के संस्थापक कर्शनभाई खोदीदास पटेल की सफलता की कहानी।

कर्शनभाई खोदीदास पटेल को भले ही कम लोग जानते हों । लेकिन इनके द्वारा उत्पादित ब्रांड निरमा को तो ग्रामीण भारत में रहने वाले अशिक्षित या कम पढ़े लिखे लोग भी जानते हैं ।  जिस प्रकार यह सत्य है की सफलता किसी भी व्यक्ति को जन्मजात नहीं मिलती, उसी प्रकार यह भी सत्य है की सफलता पाने के लिए व्यक्ति को स्वयं के लिए दिशनिर्देश एवं नियम निर्धारित करने पड़ते हैं। कर्शनभाई खोदीदास पटेल ने भी डिटर्जेंट पाउडर के बिज़नेस में प्रवेश तो कर लिया था।

लेकिन बहुत सारे ऐसे मौके आये जब उन्होंने अपनी सूझ बूझ से रिस्क भी उठाये । और वे रिस्क उनके बिज़नेस में चार चाँद लगाने में कामयाब भी हुए । वर्तमान में निरमा ग्रुप द्वारा विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों, साबुनो, डिटर्जेंट पाउडर, केमिकल्स, सीमेंट, रेंड़ी का तेल, पेपर और प्लास्टिक कपों का विनिर्माण किया जा रहा है । 2011 में प्रसारित एक आंकड़े के अनुसार निरमा ग्रुप का सालाना टर्नओवर 5008 करोड़ रूपये है ।
Karsanbhai Khodidas Patel quote

कर्शनभाई खोदीदास पटेल का प्रारम्भिक जीवन:

कर्शनभाई खोदीदास पटेल का जन्म गुजरात के मेहसाना जिले में एक किसान परिवार में वर्ष 1945 को हुआ था।  इन्होने केमेस्ट्री विषय में बैचलर ऑफ़ साइंस की शिक्षा 21 साल की उम्र में पूरी कर ली थी। केमिस्ट्री में बीएससी करने के बाद इन्होने अहमदाबाद में एक कॉटन मिल में लैब तकनीशियन के पद पर काम किया। वहां से नौकरी छोड़ने के उपरांत कर्शनभाई खोदीदास पटेल ने राज्य के भूविज्ञान और खनन विभाग में भी कार्य किया ।

Starting of Nirma(निरमा की शुरुआत):

कहते हैं की कर्शनभाई खोदीदास पटेल ने निरमा डिटर्जेंट पाउडर बनाने की शुरुआत वर्ष 1969 में नौकरी पर रहते हुए की थी। नौकरी से घर लौटने के बाद वे डिटर्जेंट पाउडर बनाने और उसको लोगो के घर घर जाकर बेचने के लिए निकल पड़ते थे । इस डिटर्जेंट पाउडर का विनिर्माण वे अपने घर के पिछवाड़े में बने आँगन में किया करते थे। उन्होंने अपने हाथों द्वारा उत्पादित डिटर्जेंट पाउडर का नाम निरमा अपनी बेटी के नाम से प्रेरित होक रखा था । इस डिटर्जेंट पाउडर निरमा की कीमत उनके द्वारा 3 रूपये प्रति किलो तय की गई थी।

जबकि उस समय बाजार में जो सबसे सस्ते डिटर्जेंट पाउडर उपलब्ध थे, उनकी कीमत 13 रूपये प्रति किलो से कम नहीं थी। लगभग तीन सालों तक वे साइकिल पर ही अपने पड़ोसियों और अन्य को अपने उत्पाद की डिलीवरी करवाते रहे । और जब उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया की यह बिज़नेस चल निकलेगा तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। और जल्द ही उन्होंने अहमदबाद के एक उपनगर में अपनी प्रथम कार्यशाला (Workshop) प्रारम्भ कर दी।

उनकी मेहनत और ईमानदारी से जल्द ही उनका बिज़नेस रफ़्तार पकड़ने लगा, और अब उनके डिटर्जेंट पाउडर के ग्राहक गुजरात से लेके महाराष्ट्र के लोग भी हो गए थे। उच्च गुणवत्ता और सस्ती कीमत इनके बिज़नेस को आगे बढ़ाने में मील के पत्थर साबित हुए। उच्च गुणवत्ता का डिटर्जेंट पाउडर उत्पादित करने के पीछे कारण यह था, की कर्शनभाई खोदीदास पटेल को केमिकल्स की अच्छी जानकारी थी । वे जानते थे की एक अच्छी गुणवत्ता वाला डिटर्जेंट पाउडर बनाने के लिए कौन कौन सी सामग्री कितनी चाहिए।

डिटर्जेंट बनाने की स्वदेशी विधि अपनाने के कारण इनके द्वारा उत्पादित उत्पाद पर्यावरण के अधिक अनुकूल था। वर्ष 1980 में निरमा अब सर्फ के बिज़नेस से आगे बढ़ना चाहता था। इसलिए अब निरमा ने साबुन के बिज़नेस में भी प्रवेश कर लिया । और कुछ ही सालों में निरमा डिटर्जेंट पाउडर बनाने में नंबर 1 और साबुन का उत्पादन करने वाली भारतवर्ष में दूसरे नंबर की कंपनी बन गई । उसके बाद 1994 में कंपनी ने शेयर बाजार में अपना नाम दर्ज करा लिया।

निरमा की मार्केटिंग रणनीति

यह वह समय था जब निरमा भारतीय बाजार में अपना अस्तित्व स्थापित करने के लिए भरसक प्रयत्न कर रहा था। लेकिन अक्सर होता क्या है की ब्रांड नया होने के कारण रिटेलर अर्थात दुकानदार आपके उत्पाद पर कोई ध्यान नहीं देते। यही सब घटनाएं निरमा के सेल्समैन के साथ भी घटित हुई। कहा जाता है की जैसे ही निरमा अच्छी कमाई करने लगी, तो कर्शनभाई खोदीदास पटेल ने सेल्समैन की एक टीम को कार्य पर रख के उनसे रिटेलर अर्थात दुकानदारों से संपर्क साध के निरमा बेचने को कहा ।

लेकिन जब भी निरमा का कोई सेल्समैन किसी दूकान पर पहुँचता, तो उसकी तरफ दूकानदार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। क्योकि दुकानदार बाजार में पहले से स्थापित ब्रांड के उत्पाद बेच रहे होते थे। तो बहुत सारे दुकानदारों द्वारा माल छोड़ देने और पैसे माल बिक जाने के बाद ले जाने को कहा जाता था। लेकिन एक समय वह भी आया जब दूकानदार माल तो बेच लेते थे । और पैसे देते वक्त बहाना बना लेते थे, की सारा का सारा माल यही पड़ा है।

आप चाहें तो ले जा सकते हैं, सेल्समेन बिज़नेस रिलेशनशिप ख़राब होने और इस निर्णय के लिए अधिकृत न होने के कारण बिना पैमेंट लिए वापस कंपनी लौट जाया करते थे । इस वजह से कंपनी के बहुत सारे पैसे मार्किट में फँस गए थे । यह बात कर्शनभाई खोदीदास पटेल को पता चली, तो उन्होंने सारे सदस्यों को बुलाकर एक मीटिंग की जिसमे उन्हें आदेश दे दिए गए की या तो पैसे लेकर आएं या फिर माल ही वापस ले आएं। सारे सेल्समेन ने ऐसा ही किया। अब बाजार में निरमा नहीं दिखाई दे रहा था । लेकिन कर्शनभाई खोदीदास पटेल विज्ञापन और मीडिया की ताकत को समझते थे।

इसलिए इस समय उन्होंने विज्ञापन पर काफी खर्च किया और  निरमा का नाम लोगो तक पहुँचाया । अब लोग दुकानों में जाके निरमा  के बारे में पूछने लगे। तो रिटेलर्स भी निरमा को अपनी दूकान का हिस्सा बनाने के लिए लालायित हो उठे। कर्शनभाई खोदीदास पटेल जैसे इसी समय का इंतज़ार कर रहे हों, अब उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों के साथ दुबारा मीटिंग की। और उनसे कहा की माल की सारी डिलीवरी कैश लेके करो। बस यही से निरमा ने फिर मुड़ के पीछे नहीं देखा और देखते ही देखते निरमा बन गया डिटर्जेंट पाउडर का नंबर 1 ब्रांड।

Corporate Social Responsibility:

कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारियों के अंतर्गत निरमा ग्रुप ने शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है। वर्ष 1994 में निरमा ग्रुप ने निरमा एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की । इस शिक्षण संस्थान का उद्देश्य देश को केवल अच्छे पेशेवर व्यक्ति देना ही नहीं अपितु अच्छे और योग्य नागरिकों का निर्माण करना भी है। शिक्षण संस्थान चाहता है की उसके विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता का वैज्ञानिक और तकनिकी ज्ञान प्राप्त हो। इसलिए इस शिक्षण संस्थान ने शिक्षा से जुड़ी निम्न श्रेणियों को अपना हिस्सा बनाया हुआ है।

  • निरमा ग्रुप के द्वारा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की स्थापना वर्ष 1995 में की गई।
  • उसके बाद वर्ष 1996 इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट
  • 1997 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिप्लोमा स्टडीज
  • वर्ष 2003 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी
  • 2004 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस
  • और 2007 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ की स्थापना की गई।

वर्तमान स्थिति and awards:

वर्तमान में कंपनी 25 से अधिक उत्पादों का उत्पादन कर रही है। जिनमे मुख्य रूप से सोडा ऐश,Linear alkyl बेंजीन, साबुन, डिटर्जेंट, नमक, Alpha olefin sulphonate इत्यादि हैं। 2011 के आंकड़े के अनुसार कमपनी की सालाना Kamai 5008 करोड़ रूपये की है।वर्तमान में निरमा कंपनी से 400 डिस्ट्रीब्यूटर और 20 लाख से अधिक छोटी मोटी दुकानें जुड़ी हुई हैं। सोडा ऐश उत्पादन में पूरे विश्व में कंपनी का सातवां स्थान है। वर्तमान में कंपनी में 15000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। कर्शनभाई खोदीदास पटेल ने वर्ष 2013 में एक छह सीट वाला हेलीकाप्टर 40 करोड़ में खरीदा। वर्ष 2009 में फोर्ब्स सूचि के अनुसार कर्शनभाई खोदीदास पटेल भारतवर्ष में सबसे अमीर व्यक्तियों में  12 वे स्थान पर थे।

कर्शनभाई खोदीदास पटेल की उपाधियाँ (Awards):

  • फ्लोरिडा अटलांटिक यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2001 में कर्शनभाई खोदीदास पटेल को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया ।
  • भारत के लघु उद्योग महासंघ ने वर्ष 1990 में दिल्ली में इन्हे उद्योग रत्न अवार्ड से सम्मानित किया।
  • वर्ष 1990 में गुजरात वाणिज्य चैम्बर ने उन्हें 80 के दशक का उत्कृष्ट उद्योगपति के सम्मान से अंलकृत किया।
  • उन्हें दो बार तेल, साबुन और डिटर्जेंट के विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया गया।
  • वर्ष 2010 में कर्शनभाई खोदीदास पटेल को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पदम श्री अवार्ड से अलंकृत किया गया।

5008 करोड़ का साम्राज्य खड़े करने वाले कर्शनभाई खोदीदास पटेल का अपने बिज़नेस के लिए मार्केट मंत्र यह है की ‘’अपने ग्राहकों को वह दो जो वह चाहते हैं, तब दो जब वे चाहते हैं, वहां दो जहाँ वे चाहते हैं और उस कीमत पर दो जिस कीमत पर वे चाहते हैं’’। इसी बिज़नेस मंत्र की बदौलत कर्शनभाई खोदीदास पटेल अरबों का साम्राज्य स्थापित करने में कामयाब रहे हैं ।

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