दूध का प्रसंस्करण [MILK Processing] बिजनेस कैसे शुरू करें।

Milk Processing Business शुरू करने के लिए 3 से चार करोड़ रूपये निवेश करने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए इसे हम बड़े बिजनेस आईडिया की श्रेणी में रख सकते हैं। हमारे देश भारत की यदि हम बात करें तो यहाँ दुनिया की सबसे अधिक पशुधन आबादी उपलब्ध है।

एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया की कुल भैंस आबादी का 57.3% मवेशी भारत में पाए जाते हैं, और दुनियाँ में उपलब्ध कुल मवेशी की संख्या का 14.7%हिस्सा भारत में ही पाया जाता है। 2007 में हुई 18 वीं पशुधन गणना के अनुसार भारत में 105.34 मिलियन भैंस, 99.07 देशी जानवर और 33.06 मिलियन अन्य नस्ल के मवेशी उपलब्ध थे।

चूँकि पशुधन का दुग्ध उत्पादन में अहम् योगदान है इसलिए यह जानना भी जरुरी हो जाता है की किस राज्य में कौन से पशु सर्वाधिक थे। हरियाणा, बिहार, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान इत्यादि राज्यों में भैंस सर्वाधिक थे, तो वहीँकर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र में क्रॉस नस्ल का पशुधन भी मौजूद था । आज भी यह सिलसिला जारी है इसलिए Milk Processing Business बेहद लाभकारी व्यवसायों में से एक है ।

एक नजर यदि हम दुग्ध उत्पादन के इतिहास पर डालें तो हम पाएंगे की बीतते समय के साथ दुग्ध उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। जहाँ 1951 में देश में दुग्ध का उत्पादन 17 मिलियन टन हुआ करता था, वर्ष 2011-12 में यह बढ़कर 127.9 मिलियन टन हो गया था।

कई राज्यों जैसे तमिलनाडु, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 80% उत्पादन होता था। यही कारण था की हमारे देश भारत में वर्ष 2011-12 में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 290ग्राम पहुँच गई थी, जबकि विश्व औसत 284 ग्राम था।

लेकिन इसके बावजूद भी देश में दुग्ध एवं दुग्ध से उत्पादित उत्पादों की माँग बहुत ज्यादा थी, यही कारण है की इस क्षेत्र के विकास के लिए ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम, गहन डेयरी विकास कार्यक्रम जैसे कई पहल सरकार द्वारा की गई थी। आज भी सरकार का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में Milk Processing जैसे व्यवसायों को प्रमोट करके रोजगार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देना है।

यही कारण है की दूध का उत्पादन स्वच्छता से हो इसके लिए बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना, सहकारी समितियों की सहायता करना, डेयरी के लिए अलग सा पूँजी कोष और डेयरी उद्यमिता विकास योजना जैसे कई कार्यक्रम आज भी इच्छुक उद्यमियों की मदद कर रहे हैं।

milk processing plant

इसके अलावा वर्ष 2011-12 में ही भारत सरकार ने देश में दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों की तेजी से बढती मांग की पूर्ति के लिए, दुधारू पशु में दुग्ध देने की क्षमता को बढ़ाने के लिए, और देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नेशनल डेरी प्लान फेज I स्वीकृत किया, जिसमें 2242 करोड़ रूपये इस काम के लिए आवंटित किये गए। इस कार्यक्रम को 2016-17 तक पूर्ण होना था।

कहने का आशय यह है की दुग्ध और दुग्ध उत्पादकों की माँग देश और विदेशी बाज़ारों में बढती जा रही है, तो सरकार भी लगातार इस क्षेत्र के उत्थान के कामों में लगी हुई है। इसलिए यदि आप कोई लाभकारी व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं, और आपके पास बजट की कोई कमी नहीं है तो आप Milk Processing Business पर भी विचार कर सकते हैं।  

Milk processing क्या है?

Milk Processing से आशय एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसके द्वारा दूध को पैकिंग करके बेचने के योग्य बनाया जाता है। इस प्रक्रिया के विभिन्न चरण जैसे किसानों से दूध प्राप्त करना, पाश्चराइजेशन, क्लेरिफिकेशन, होमोजेनाइजेशन, दूध की पैकिंग, दूध से अन्य प्रोडक्ट बनाना इत्यादि शामिल है। उदाहरण के लिए अमूल कंपनी दूध प्रसंस्करण का एक अच्छा उदाहरण है, जो कई प्रकार का दूध और उसके सह उत्पाद बाजार में बेचती है।  

दूध प्रसंस्करण व्यवसाय क्यों करें?

संगठित डेयरी सेक्टर चाहे वह सहकारिता से जुड़ा हो या निजी क्षेत्र से भारत में उत्पादित दुग्ध उत्पादन का केवल 15% ही प्रसंस्कृत करते हैं। यानिकी 85% दूध अभी भी बिना प्रसंस्करण के ही बिकता है। यह आंकड़ा इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करता है की भारत में Milk Processing Business में अपार संभावनाएँ व्याप्त हैं। आजकल हर छोटे बड़े नगर, महानगर में दुग्ध और इससे जुड़े उत्पादों की भारी माँग है।

पशुधन उत्पादों में दूध और दूध से जुड़े सहायक उत्पाद सबसे प्रमुख हैं, एक आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2013-14में भारत से लगभग 159228.52 मीट्रिक टन उत्पादों का निर्यात हुआ था । उस समय जिसकी कीमत लगभग 3319 करोड़ रूपये थी। मलेशिया, सऊदी अरब, अल्जीरिया, यमन गणराज्य, मिस्र, बांग्लादे, संयुक्त अरब अमीरात इत्यादि भारत के डेयरी उत्पादों के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल थे।

बाहर देशों की ओर निर्यात किये गए प्रमुख उत्पादों में होल मिल्क पाउडर, स्किम्ड मिल्क पाउडर, पनीर, वसा, मक्खन, दूध, क्रीम, बटर मिल्क, घी इत्यादि शामिल थे। इसलिए कहा जा सकता है की Milk Processing Business से उत्पादित उत्पादों की केवल घरेलु बाजार में ही नहीं, बल्कि विदेशी बाज़ारों में भी बड़ी माँग है।

Milk Processing Business करने के तरीके    

इच्छुक उद्यमी Milk Processing Business को प्रमुख तौर पर दो तरीकों मिल्क चिल्लिंग प्लांट की स्थापना करके और मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना करके शुरू कर सकते हैं। आइये जानते हैं इन दोनों तरीकों में क्या अंतर है।

मिल्क चिल्लिंग प्लांट की स्थापना  

यदि उद्यमी के पास बहुत ज्यादा बजट नहीं है, यानिकी यदि मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट को मिलाकर प्रोजेक्ट कास्ट बहुत अधिक आ रही है, तो उद्यमी केवल मिल्क चिल्लिंग प्लांट की स्थापना कर सकता है। इसमें उद्यमी को छोटे, सीमान्त, ग्रामीण किसानों से दूध खरीदकर अपने चिल्लिंग प्लांट में लाना होता है । और यहाँ पर दूध को 3-4 degree Celsius पर ठंडा किया जाता है। और दूध को प्रसंस्करण के लिए मुख्य डेयरी में भेज दिया जाता है, जहाँ पर दूध और दुग्ध उत्पाद बनाये जाते हैं।

Milk Processing Plant     

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस प्लांट में दूध किसानों से खरीदने से लेकर उसे पैकिंग करके बेचने तक पूरी प्रक्रिया यही की जाती है। Milk Processing Plant के लिए भी दूध छोटे, सीमान्त और ग्रामीण किसानों से खरीद लिया जाता है, फिर दूध को ठंडा करने की, मानकीकरण की प्रक्रिया, समरूपीकरण, पाश्चुरीकरण करके दूध की अलग अलग किस्में जैसे फुल क्रीम, टोंड, डबल टोंड इत्यादि तैयार करके और पैकिंग करके बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। यही पर दूध से बनाये जाने वाले अन्य उत्पाद जैसे घी, दही, मक्खन, क्रीम इत्यादि बनाये जाते हैं।

मिल्क प्रोसेसिंग बिजनेस कहाँ शुरू करें

भारत एक कृषि प्रधान देश है, और पशुपालन यहाँ के किसानों की प्रमुख सहायक गतिविधियों में से एक है, यही कारण है की हमारा देश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी है।

वैसे देखा जाय तो भारत के हर राज्य में पशुपालन दुग्ध उत्पादन के उद्देश्य से किया जाता है, इसलिए Milk Processing Business भारत के किसी भी कोने में किया जा सकता है, क्योंकि इस तरह के बिजनेस को संचालित करने के लिए दूध कच्चे माल के तौर पर चाहिए होता है, इसलिए एक ऐसी जगह जहाँ दुग्ध उत्पादन अच्छी मात्रा में होता हो, उसके नज़दीक इस तरह का प्लांट स्थापित किया जा सकता है।

इसमें कोई दो राय नहीं की भारत में दूध का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है, लेकिन इसके बावजूद भी यहाँ दूध की घरेलु माँग की ही पूर्ति नहीं हो पाती है। और त्यौहारी मौसम में तो यह माँग इतनी बढ़ जाती है, की लोग मिलावटी और वास्तविक दूध उत्पादों का फर्क भी भूल जाते हैं।

चूँकि दूध की प्रकृति जल्दी खराब होने की होती है, इसलिए हो सकता है की सभी उत्पादित दूध का अच्छे से उपयोग न हो पा रहा हो, क्योंकि स्टोरेज और Milk Processing Unit की देश में भारी कमी है । इसलिए पूरे देश में खासकर उन राज्यों में जो दुग्ध उत्पादन में अग्रणी हैं, में निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए मिल्क प्रोसेसिंग बिजनेस शुरू किया जा सकता है।

  • एक ऐसी Milk Processing unit जिसकी क्षमता प्रतिदिन 10000 लीटर दूध प्रसंस्कृत करने की हो, वाहनों की पार्किंग से लेकर सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उसके लिए लगभग 2 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है ।
  • प्लांट ऐसे एरिया के नज़दीक स्थापित होना चाहिए जहाँ दुग्ध उत्पादन बहुत अधिक होता हो, ताकि उद्यमी को कच्चा माल के तौर पर दूध उचित दामों पर भरपूर मात्रा में मिल सके ।
  • इसके अलावा उस लोकेशन पर परिवहन जैसे सड़क, रेल, पानी, बिजली के साथ कचरे का प्रबंधन भी होना चाहिए।
  • ध्यान रहे जिस भूमि पर Milk Processing Unit स्थापित हो रही हो, वहां की जमीन का भार वहन करने की क्षमता की जाँच होना अनिवार्य है । और पानी की उचित निकासी भी जरुरी है।  

बिल्डिंग और साईट का निर्माण कैसा होना चाहिए

सिविल वर्क की यदि हम बात करें तो इसमें प्रसंस्करण भवन का निर्माण प्रमुख है। और इस भवन में अनेकों ब्लाक जैसे कच्चा दूध रिसेप्शन डॉक, कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण हॉल, प्रयोगशाला, अन्य उत्पादों के निर्माण के लिए जगह, ऑफिस, गैरेज, सिक्यूरिटी क्वार्टर इत्यादि शामिल हैं। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की दुग्ध उत्पादों प्रसंस्करण, गुणवत्ता, पैकिंग और भंडारण सभी कुछ BIS Specification के अनुसार होना चाहिए। इसलिए Milk Processing unit का सिविल कार्य कराते वक्त इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

10000 लीटर दूध का संयंत्र स्थापित करने के लिए लगभग 4000 वर्ग फुट में भवन निर्माण कराने की आवश्यकता हो सकती है। एक Milk Processing Plant में निम्नलिखित फैसिलिटी का होना आवश्यक होता है।

कच्चे दूध के लिए रिसेप्शन डॉक् जिसमें कैन कन्वेक्टर, कैन वाशर, मापक यंत्र, डंप टैंक शामिल होता है ।

प्रसंस्करण हॉल जिसमें क्रीम सेपरेटर, चिलर, होमोजेनाइज़र, पास्चराइज़र और अन्य मशीनरी और उपकरण विद्यमान होते हैं ।

  • दूध को स्टोर करने का कमरा जिसमें स्टोरेज टैंक होते हैं।
  • ऐसा एरिया जहाँ पर अन्य उत्पादों का निर्माण किया जाता हो, मशीनरी और उपकरण उत्पादों के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं।
  • पैकिंग क्षेत्र जहाँ पर दूध और अन्य उत्पादों की पैकिंग की जाती हो।
  • दूध जल्दी खराब होने वाला उत्पाद है इसलिए इसे और इससे उत्पादित उत्पादों को बाजार में उतारने से पहले कोल्ड स्टोरेज में रखने की जरुरत होती है। एक Milk Processing Plant में कोल्ड स्टोरेज का होना अत्यंत आवश्यक है।
  • उत्पादित उत्पादों जैसे दूध इत्यादि की गुणवत्ता जाँच के लिए लैब।
  • यूटिलिटी एरिया जहाँ पर बायलर, जनरेटर, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और मेंटेनेंस के उपकरण स्थापित किये जा सकें।
  • खराब पानी के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट।
  • कर्मचारियों के लिए ऑफिस और क्वार्टर।
  • वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था।
  • पशुओं को चारा इत्यादि प्रदान करने के लिए क्षेत्र।         

किन किन मशीनरी और उपकरणों की आवश्यकता होती है?

हालांकि Milk processing Business शुरू करने के इच्छुक उद्यमी को एक बात का ध्यान रखना होगा, की उसके द्वारा संग्रहित किये गए दूध के प्रकार और उससे उत्पादित उत्पादों के आधार पर इस बिजनेस में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट अलग अलग हो सकती है । मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी किस प्रकार का दूध खरीदकर क्या क्या उत्पाद बनाने की योजना बना रहा है।

उद्यमी द्वारा इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरण BIS Specification के आधार पर होनी चाहिए। यदि कोई इच्छुक उद्यमी प्रतिदिन 10000 लीटर क्षमता वाला Milk Processing Unit स्थापित करना चाहता है, तो उसे निम्नलिखित मशीनरी और उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है।

रिसेप्शन सेक्शन में काम आने वाली मशीनरी

  • एक तीन मीटर कैन रोलर कन्वेयर ।
  • कैन टिप बार एक ।
  • 500 लीटर क्षमता वाला मापक यंत्र।
  • 1000 लीटर क्षमता का डंप टैंक।
  • डिस्क फ़िल्टर।
  • कैन ड्रिप सेवर जो कम से कम 6 कैन के लिए उपयुक्त हो।
  • 40 लीटर क्षमता का स्टेनलेस स्टील स्क्रबर।
  • 1.5 HP का S.S. पंप।
  • लैब उपकरणों का सेट जिसमें मिलकोस्कैन, मिलकोटेस्टर, डेंसिटी मीटर, क्रयोस्कोप, इमल्शन क्वालिटी एनालाइजर, HPLC इत्यादि शामिल हैं।

प्रोजेक्ट सेक्शन में काम आने वाली मशीनरी

  • 100 लीटर क्षमता का फ्लोट के साथ एसएस बैलेंस टैंक।
  • 2HP एस एस मिल्क पम्प।
  • 3KLPH क्षमता का एस एस मिल्क चिल्लर।
  • एस एस मिल्क फ्लो कण्ट्रोल वाल्व।
  • 2.5 KLPH क्षमता का मिल्क पाश्चराइज़र।
  • एस एस सिम्पलेक्स फ़िल्टर।
  • होल्डिंग Coil
  • फ्लो डाईवर्जन वाल्व।
  • एस एस रिमोट कण्ट्रोल पैनल ।
  • इन्टरकनेक्टिंग एस एस पाइपलाइन और वाल्व।
  • प्रति घंटे 500 लीटर कैपेसिटी का क्रीम सेपेरटर।
  • क्रीम टैंक।
  • 250 लीटर क्षमता का घी बायलर।
  • घी बैलेंस टैंक और पम्प।
  • 250 लीटर क्षमता का घी सेटलिंग टैंक।
  • सीआईपी यूनिट।

स्टोरेज और पैकिंग सेक्शन में काम आने वाली मशीनरी

  • सिंगल कॉम्प एच. एम. एस. टी. एम एस आउटर।
  • डबल कॉम्प एच. एम. एस. टी. एम एस आउटर।
  • 1 HP का एस एस मिल्क पम्प।
  • पाउच पैकिंग मशीन।
  • 200 लीटर क्षमता का एस एस ओवरहेड टैंक कैप।
  • इन्टरकनेक्टिंग एस एस पाइप और वाल्व।
  • टैंकर फिलिंग के लिए स्पेयर एस एस पम्प।
  • हवा के लिए जी आई पाइपलाइन और कण्ट्रोल।
  • पैकिंग मशीन के लिए स्टेबलाइजर।

रेफ्रिजरेशन सेक्शन के लिए मशीनरी

  • लकड़ी ईधन में50,000Kcal प्रति घंटा क्षमता वाला हॉट वाटर जनरेटर।
  • तीन मीटर तक ऊँची चिमनी।
  • मेकअप वाटर टैंक और वाल्व।
  • ड्यूटी के लिए उपयुक्त वाटर सॉफ्टनर।
  • वाटर पम्प, जी आई पाइपलाइन और वाल्व।

देश में ऐसी कई कम्पनियां एवं फर्म विद्यमान हैं जो उद्यमियों को उनके Milk Processing Plant को स्थापित करने में मदद करती हैं। किसी भी एजेंसी को यह काम देने से पहले उसके द्वारा ली जाने वाली फीस इत्यादि अवश्य तय कर लें।

Milk Processing Unit कैसे काम करती है?

सबसे पहले कच्चा माल यानिकी कच्चा दूध छोटे, सीमान्त और दुग्ध उत्पादकों से खरीद लिया जाता है। और उस दूध को एकत्रित करके Milk Processing Unit में लाया जाता है, उसके बाद इस दूध को डंप टैंको में भरा जाता है। फिर दूध को फ़िल्टर करने और शुद्ध करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, जब फिल्टरेशन और क्लेरिफिकेशन प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है, तो इस दूध को कुलिंग करके स्टोरेज टैंक में स्टोर किया जाता है। उसके बाद दूध को गरम किया जाता है, और इसका मानकीकरण किया जाता है।

Milk Processing Unit में तरल दूध बनाने के लिए दूध का होमोजिनाईजेशन जिसमें दूध को एक सार बनाया जाता है के बाद पाश्च्युरिकरण की प्रक्रिया शुरू की जाती है। उसके बाद मानकीकरण के आधार पर फुल क्रीम, टोंड, डबल टोंड अलग अलग किस्मों की पैकिंग की जाती है।

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