मनी लांड्रिंग क्या है कैसे की जाती है, उदाहरण सहित जानकारी।

मनी लांड्रिंग शब्द से भले ही आज आप अच्छी तरह से वाकिफ हों, लेकिन कहते हैं की अमेरिका में एक समय ऐसा था जब वहां पर कुछ ऐसे माफिया सक्रीय हुआ करते थे, जो जबरन वसूली, जुआ इत्यादि अवैध कामों से हुई कमाई को वैध स्रोत से कमाया हुआ पैसा दिखाते थे। वही से इस मनी लांड्रिंग नामक शब्द की उत्पति हुई थी।

1980  के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए मनी लांड्रिंग नामक यह शब्द चिंता का कारण बन गया था। उसके बाद वहां की सरकार ने इससे निपटने के लिए कठोर निति पर काम करना शुरू किया।

हमारे देश भारत में भी हम आए दिनों मनी लांड्रिंग जैसे शब्द बार बार सुनते हैं। इसे भारत में एक अन्य नाम हवाला के नाम से भी जानते हैं। हमारे देश में ऐसे मामलों में अधिकतर नाम नेताओं के आते हैं, इसलिए यह एक राजनितिक विषय भी बनता है। 1990 के दशक में जब कई नेताओं के नाम इस तरह के मामलों में उजागर हुए, तब से यह शब्द हमारे कानों में आए दिनों बार बार गूंजता रहता है।

ऐसे में सवाल उठता है की भारतीय राजनीती में भूचाल ले आने वाला शब्द मनी लांड्रिंग होता क्या है। आज हम आपको इसके बारे में ही जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे हैं।

मनी लांड्रिंग क्या है (What is money laundering in Hindi)

आम बोलचाल की भाषा में बात करें तो गलत तरीके से कमाए गए धन को सही तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलने की प्रक्रिया ही मनी लांड्रिंग कहलाती है। गलत तरीका यानिकी जिस तरीके से धन कमाने की इजाजत हमारा कानून हमें नहीं देता।

मनी लांड्रिंग अवैध तरीके से कमाए गए धन को छुपाना और उसे वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अवैध तरीके से कमाए हुए धन को ऐसे ऐसे प्रोजेक्ट या निवेश के विकल्पों में निवेश किया जाता है, की जांच एजेंसीयों को उसे काला धन सिद्ध करने में पसीने छूट जाते हैं।

इस शब्द की मूल उत्पति अंग्रेजी के शब्द Launderer से हुई है। जो व्यक्ति धन की हेरा फेरी करने में शामिल होता है उसे अंग्रेजी में Launderer कहा जाता है और पैसे को अंग्रेजी में Money कहा जाता है। यही से मनी लांड्रिंग शब्द की उत्पति होती है।

मनी लांड्रिंग कैसे की जाती है, इसके चरण

अब तक हमने यह तो समझ लिया की अवैध तरीके से कमाए हुए पैसों को वैध तरीकों से कमाए हुए पैरों के रूप में बदलने की प्रक्रिया ही मनी लांड्रिंग कहलाती है।

अब आगे हमें यह समझना है की इस प्रक्रिया को अंजाम कैसे किया जाता है। आम तौर पर देखा जाय तो इस प्रक्रिया को प्रमुख तीन चरणों के माध्यम से अंजाम तक पहुँचाया जाता है। वे तीन चरण इस प्रकार से हैं।  

मनी लांड्रिंग के तीन चरण

पहला चरण काले धन की प्लेसमेंट

इस पहले चरण में हेरा फेरी करने वाला व्यक्ति अवैध तरीके से कमाए हुए धन (जो उसके पास नकदी के रूप में मौजूद रहती है ) को बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों में जमा करता है। वह यह इसलिए करता है ताकि बाद में वह इस पैसे को वैध पैसे के तौर पर परिवर्तित कर सके।

एकाउंटिंग बहि खातों में गड़बड़ी करके जमा धन को एडजस्ट करना  

इस प्रक्रिया को लेयरिंग भी कहा जाता है। इसमें हेर फेर करने वाले व्यक्ति की मुख्य प्राथमिकता अपने सीए के साथ मिलकर अपने बही खातों एवं एकाउंटिंग को इस तरह से मेनुप्लेट करने का होता है। ताकि जो उसने बैंक में नकदी जमा कराई वह भी इसमें एडजस्ट हो जाए, और उसकी आय के असली स्रोत के बारे में कोई पता ही न कर सके।

इसमें वह अपने पैसे को विभिन्न निवेश के साधनों में जैसे बांड, स्टॉक और ट्रेवलर चेक में निवेश करता है, और पैसे को विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है। और Launderer द्वारा विदेशी खाते ऐसे देशों में खोले जाते हैं, जो मनी लांड्रिंग जैसे मामलों में मदद नहीं करते हैं।

काला धन को वैध धन करके, वापस मँगाना   

मनी लांड्रिंग के इस अंतिम चरण को एकीकरण भी कहते हैं। इसमें हेरा फेरी करने वाला व्यक्ति अब अपनी अवैध तरीके से कमाई हुई सम्पति को वैध तरीके से बदलकर वापस मँगाता है। इस अंतिम प्रक्रिया में देश में खपाए गए पैसे को और बाहर भेजे गए पैसे को Launderer वैध पैसे के रूप में वापस अपने पास मँगा लेता है।  

आम तौर पर इस तरह का धन किसी कंपनी में निवेश के जरिये, अचल सम्पति खरीदने के जरिये, कोई  लक्जरी सामान खरीदने के माध्यम से हेरा फेरी करने वाले व्यक्ति के पास वापस आता है ।

मनी लांड्रिंग के उदाहरण (Example of Money Laundering):

यद्यपि लोग कई तरीकों से मनी लांड्रिंग करते हैं, लेकिन इनमें जो सबसे प्रचलित तरीका है। वह है फर्जी कंपनी बनाकर, इन्हें शैल कंपनियों के नाम से भी जाना जाता है।  फर्जी कंपनी या शैल कंपनी भी एक वास्तविक कंपनी की तरह ही होती है, लेकिन वास्तव में न तो यह किसी वस्तु का उत्पादन कर रही होती है, और न ही अपने ग्राहकों को कोई सेवा प्रदान कर रही होती है।

इनका अस्तित्व सिर्फ कागजों तक ही सिमित होता है और हेरा फेरी करने वाले लोग इनकी बैलेंस शीट में बड़े बड़े वित्तीय लेन देनों को दिखाकर, कंपनी के नाम पर लोन लेते हैं, टैक्स में छूट प्राप्त करते हैं।

इसके अलावा मनी लांड्रिंग के कई अन्य उदाहरण जैसे किसी बड़े भवन, मकान, दुकान को अधिक दामों में खरीदकर उसकी कीमत को कम दिखाना भी शामिल है । कीमत कम दिखाने के पीछे सबसे बड़ा कारण उस पर टैक्स कम देना होता है।

जब किसी व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से कमाए हुए धन को किसी ऐसे देश में जमा किया जाता है, जहाँ बाहर के देश उस धन की जांच नहीं कर सकते । यह भी मनी लांड्रिंग का ही उदाहरण होता है, स्विट्जर्लैंड ऐसा देश है जहाँ बाहर देश की सरकार को कोई जांच करने का अधिकार नहीं होता है।

मनी लांड्रिंग रोकने के लिए कानून (Law for preventing money laundering in India)  

भारत में मनी लांड्रिंग को रोकने के लिए Prevention Of Money Laundering Act- PMLA 2002 को शुरू किया गया है। इसे वर्ष 2002 में तैयार किया गया था, और इमं बीस सालों में इस अधिनियम में कई बार संसोधन हो चुके हैं।

यह अधिनियम सभी संस्थाओं और व्यक्तिगत व्यक्तियों पर लागू होता है। कोई व्यक्तिगत व्यक्ति हो, कंपनी हो, फर्म हो, साझेदारी फर्म हो, समूह हो, निगमन हो सभी इस कानून के तहत आते हैं। इसी कानून के तहत मनी लांड्रिंग को एक अपराध माना गया है।

यदि कोई व्यक्ति अवैध तरीके से अर्जित आय को छिपाता है, उस पर अपना स्वामित्व जताता है, उसका अधिग्रहण करता है, उस सम्पति को वैध सम्पति में बदलने का प्रयास करता है, या उस अवैध सम्पति को वैध होने का दावा करता है तो उस पर PMLA की धारा 3 के अनुसार मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया जाएगा।   

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