Motivation क्या है? इसकी प्रकृति, प्रकार, विशेषताएँ एवं कार्यप्रणाली।

Motivation यानिकी अभिप्रेरण एक बेहद महत्वपूर्ण कारक है, जो लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने और कंपनी या संगठन को उसके लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायता प्रदान करती है। Motivation सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती है। जहाँ एक सकारात्मक मोटिवेशन कर्मचारियों में नया जोश लाकर उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का काम करती है, वहीँ एक नकारात्मक मोटिवेशन कर्मचारियों के काम करने की क्षमता को कम कर देती है। इसलिए कार्मिक प्रबंधन में मोटिवेशन एक महत्वपूर्ण अवयव है।

कहने का आशय यह है की, किसी भी संगठन या कंपनी में प्रभावी प्रबंधन और नेतृत्व के लिए Motivation महत्वपूर्ण होती है। अक्सर देखा गया है की जिस संगठन के कर्मचारी सकारात्मक रूप से मोटिवेट नहीं होते हैं, उस संगठन की उत्पादकता में काफी गिरावट आ जाती है। इसलिए समय समय पर कर्मचारियों को मोटिवेट करने के लिए संगठन एवं नेतृत्व द्वारा अनेकों गतिविधियाँ की जाती हैं। तो आइये जानते हैं की आखिर यह मोटिवेशन है क्या?

motivation kya hai

मोटिवेशन क्या है (definition of Motivation in Hindi)  

Motivation की यदि हम बात करें तो इसे Motive शब्द से लिया गया है। मोटिव शब्द का अर्थ लोगों के भीतर निहित जरूरतें, इच्छाएँ, चाहत से लगाया जा सकता है। मोटिवेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों को प्रेरित या प्रोत्साहित करने की एक प्रक्रिया है। कार्य लक्ष्यों के संदर्भ में लोगों के व्यवहार को उत्तेजित करने वाले कई मनौवैज्ञानिक कारक भी हो सकते हैं। इनमें पैसे की चाहत, सफलता, मान्यता, जॉब सेटिस्फेक्शन, टीम वर्क इत्यादि हो सकते हैं।

प्रबंधन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में कर्मचारियों में उनकी क्षमता के मुताबिक उनसे काम करवाना होता है, इसके लिए प्रबंधन को अपने कर्मचारियों को सर्वोत्तम प्रदर्शन करने के लिए मोटिवेट करना पड़ता है। Motivation को एक मनौवैज्ञानिक घटना भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें लोगों को प्रेरित करने के लिए उनकी मनोदशा को समझना और उन्हें प्रेरित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाना शामिल है।

मोटिवेशन की प्रकृति

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की, Motivation एक मनौवैज्ञानिक घटना है, जो एक व्यक्ति के भीतर पैदा होती है। व्यक्ति के पास भले ही सब कुछ क्यों न हो, लेकिन उसके बावजूद भी वह किसी न किसी जरुरत की कमी अवश्य महसूस करता है। और इसे प्राप्त करने के लिए वह मोटिवेट हो जाता है, और उसे पाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है । जरुरत को पूरा करने का जूनून ही किसी व्यक्ति को सामान्य से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है।     

मोटिवेशन काम कैसे करता है

Motivation के बारे में दिलचस्प बात यह है की, यह व्यक्ति में निहित एक आंतरिक जरुरत होती है। इसे कोई भी व्यक्ति अपने आप पर लागू कर सकता है। यदि आप कोई कंपनी चला रहे हैं, और आप चाहते हैं की आपके सभी कर्मचारी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। तो आपको उन्हें मोटिवेट करना होगा।

और इसके लिए आपको उनकी जरूरतों, भावनाओं और लक्ष्यों को समझकर उनकी एक लिस्ट बनानी होगी। इस बात से मार्केटर, सेल्स प्रोफेशनल और राजनेता अच्छी तरह से वाकिफ होते हैं। किसी भी व्यक्ति को कोई भी कुछ भी करने को मजबूर नहीं कर सकता, अगर मजबूर किया तो व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कभी नहीं कर पाएगा। किसी व्यक्ति की जरूरतें अन्य कोई व्यक्ति निर्धारित नहीं कर सकता, और उस पर यह भी जोर नहीं दे सकता की उसे किन चीजों को महत्व देना चाहिए, किन्हें नहीं।

किसी भी व्यक्ति में Motivation (उसकी जरूरतें, मूल्य और लक्ष्य) उसी के भीतर से आती हैं। किसी अन्य व्यक्ति के दबाव में वे पैदा नहीं हो सकती हैं। जब कोई अन्य व्यक्ति किसी व्यक्ति से कुछ काम करवाता है वह उस व्यक्ति का बॉस भी हो सकता है। तो इसका मतलब यह जरुरी नहीं है, की जिस व्यक्ति को करने का आदेश दिया गया है, वह उस काम को करना चाहता है या पसंद करता है। कुल मिलाकर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दिया गया आदेश या बताया गया काम Motivation का हिस्सा नहीं होता है।

कुछ करने की मोटिवेशन व्यक्ति के स्वयं के भीतर से उत्पन्न होती है, हाँ लेकिन किसी अन्य द्वारा इसको प्रोत्साहित या उत्तेजित अवश्य किया जा सकता है। ताकि व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे।

मोटिवेशन क्यों महत्वपूर्ण है (Why Motivation is Important)  

किसी संगठन में Motivation केवल टीम के सदस्यों या कर्मचारियों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि टीम को नेतृत्व प्रदान कर रहे मैनेजर इत्यादि की सफलता के लिए भी मोटिवेशन बेहद महत्वपूर्ण है।

यदि आप एक मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं, तो आपका दायित्व बनता है की आप अपनी टीम के सदस्यों से उनकी क्षमता के मुताबिक कार्य करवाएं। ताकि संगठन या बिजनेस के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सके। कहने का आशय यह है की यदि एक मैनेजर अपने टीम के सदस्यों को मोटिवेट रखकर काम कराएगा, तो इसमें कोई दो राय नहीं की, टीम के सदस्य अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करेंगे। जिससे मैनेजर को भी पदोन्नति इत्यादि मिलने में आसानी होगी।

वरिष्ठ नेतृत्व हमेशा ऐसे प्रबंधकों को पदोन्नति देते हैं, जो अपनी टीम के साथ प्रभावी ढंग से काम करने में सफल होते हैं। Motivation के माध्यम से एक मैनेजर अपने टीम के सदस्यों की कार्यक्षमता में वृद्धि कर सकता है, यह इसलिए क्योंकि उस काम को टीम के सदस्य भी पूर्ण करना चाहते हैं।

मोटिवेशन की विशेषताएँ

Motivation की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार से हैं।

  1. मोटिवेशन एक आंतरिक भावना है, जो किसी व्यक्ति को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करती है ।
  2. किसी व्यक्ति की जरूरतें, भावनाएँ, इच्छाएँ उस व्यक्ति को कोई विशेष कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  3. व्यक्ति की असंतुष्ट जरूरतें उसके प्रदर्शन में गिरावट कर सकती हैं।
  4. Motivation प्रक्रिया में कोई व्यक्ति अपनी असंतुष्ट जरूरतों को पूर्ण करने के लिए दुगुनी शक्ति से आगे बढ़ता है।
  5. मोटिवेशन के माध्यम से व्यक्ति में निहित निष्क्रिय उर्जा सक्रीय उर्जा में तब्दील हो जाती है।   

मोटिवेशन के प्रकार (Types of Motivation in Hindi):

Motivation के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं।

1. इंसेंटिव मोटिवेशन

जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तब प्रेरित होता है, जब उसे इन्सेन्टिव मिलने की संभावना होती है तो इसे प्रोत्साहन प्रेरणा कहा जा सकता है।  ऐसे लोग जो प्रोत्साहन को लेकर प्रेरित होते हैं वे तब तक किसी कार्य पर पूर्ण रूप से ध्यान केन्द्रित नहीं का पाते जब तक की उन्हें इंसेंटिव के रूप में कुछ इनाम न दिया जाय। व्यक्ति चाहे तो अपने लिए स्वयं भी इंसेंटिव निर्धारित करके उसे पाने के लिए भरसक प्रयत्न कर सकता है।

कहने का आशय यह है की यदि आपकी सैलरी कम है तो उच्च जीवन स्तर के बारे में सोचकर आप और अधिक मेहनत करके अपनी सैलरी को बढ़ा सकते हैं। और फिर उच्च जीवन स्तर प्राप्त कर सकते हैं। कंपनी और संगठन भी अपने कर्मचारियों को प्रेरित करने के लिए इंसेंटिव Motivation का उपयोग करते रहते हैं।

2. अचीवमेंट मोटिवेशन    

अचीवमेंट का अर्थ है कुछ हासिल करना जब आप किसी विशिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित रहते हैं, तो यह प्रेरणा अचीवमेंट Motivation कहलाती है। यहाँ पर व्यक्ति कोई पुरुस्कार प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि अपने किसी विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है क्योंकि वह उस लक्ष्य को हर हाल में प्राप्त करना चाहता है। मोटिवेशन का यह प्रकार आंतरिक मोटिवेशन का एक बेहतरीन उदाहरण है।

3. पॉवर मोटिवेशन   

एक कंपनी या संगठन में कई अहम् ओहदे एवं पद होते हैं, जब आप अपने मौजूदा पद, प्रतिष्ठा से खुश न होकर किसी कंपनी या संगठन में और बड़ा बनना चाहते हैं। और अपनी उस चाहत को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयत्न और जी तोड़ मेहनत करते हैं तो यह Power Motivation कहलाती है। वह इसलिए क्योंकि आप जो जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं वह इसलिए कर रहे हैं ताकि आप किसी संगठन या कंपनी में और अधिक ताकतवर बन पाएँ।

4. डर से प्रेरित

डर भी एक ऐसा अवयव है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए मजबूर कर देता है। मान लीजिये आप किसी कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत हैं, लेकिन इसी बीच बाज़ार में रिसेशन की स्थिति पैदा हो जाती है। अब चूँकि कंपनी आपको मोटी सैलरी दे रही है, तो आपको लगता है की आपकी नौकरी कभी भी जा सकती है ।

आपकी नौकरी न जाय इसके लिए आप पहले से दुगुनी मेहनत करने लगते हैं, काम करने की यह प्रेरणा जो आपके पास आई उसे ही डर की प्रेरणा (Fear Motivation) कहते हैं। यह डर कई अन्य कारणों जैसे डिमोशन, मुकद्दमा, भुमिका इत्यादि को लेकर भी हो सकता है।  

5. सोशल मोटिवेशन

हर कोई चाहता है की समाज में उसकी अच्छी पैठ हो, और लोग उसे उसके अच्छे सामाजिक कार्यों के लिए याद करें। जब आप भी ऐसा सोचकर समाज में अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के उद्देश्य से समाज के हित में कोई कार्य करते हैं, तो यह कार्य करने के लिए आपको जो प्रेरणा प्राप्त हुई उसे ही Social Motivation कहते हैं। कहने का आशय यह है की इस प्रेरणा का उद्गम मनुष्य को दूसरों की भलाई करने के लिए प्रेरित करता है, और समाज में मनुष्य की छवि में सुधार होता है। बहुत सारे समाजसेवी जो कल राजनेता बनने की महत्वकांक्षा लिए हुए होते हैं वे इसी प्रेरणा से ओत – प्रोत रहते हैं।

6. कॉम्पीटेंसी मोटिवेशन     

आप कुछ भी कार्य कर रहे हों, लेकिन आप जो भी कर रहे हों आप हमेशा उससे बेहतर ही करना चाहते होंगे। कहने का आशय यह है की जब कोई व्यक्ति अपने आप को और अधिक योग्य, कुशल बनाने के लिए मेहनत या कोर्स करता है तो वह Competency Motivation से ही प्रेरित होता है। एक सामान्य डॉक्टर सर्जन एक सर्जन किसी विशेष हिस्से को लेकर विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए जो भी प्रशिक्षण कोर्स करता है वह सब कॉम्पीटेंसी मोटिवेशन का ही हिस्सा है।

7. एटीट्युड मोटिवेशन

जब आप अपने अड़ोस पड़ोस या समाज में कोई बुराई देखते हैं लेकिन लोगों को वह बुराई नहीं बल्कि एक परम्परा लगती है, जिसे वे वर्षों से निभाते आ रहे हैं। ऐसे में यदि आप उस बुराई के प्रति लोगों की धारणा और विचारों को बदलने के लिए कृत संकल्पित होकर मेहनत करने लगते हैं। तो हम कह सकते हैं की आप Attitude Motivation से प्रेरित होकर ऐसा कर रहे हैं। इस तरह की मोटिवेशन का इस्तेमाल कंपनी और संगठन अपने बारे में फैली भ्रांतियों और गलत बातों को बदलने के लिए करती हैं।

सकारात्मक और नकारात्मक मोटिवेशन

जब कोई मैनेजर अपने टीम के सदस्यों से अधिक काम प्राप्त करना चाहता है, तो उसे उनके प्रदर्शन में सुधार के लिए उन्हें मोटिवेट करना होगा। यह मोटिवेशन उनकी आंतरिक जरुरत के आधार पर होगी, तो निश्चित है की वे अपनी दुगुनी शक्ति से उस काम को करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा हो सकता है की मैनेजर अपनी टीम के सदस्यों में नौकरी का डर दिखाकर भी उनसे अधिक काम करवाने की कोशिश करे। इसलिए Motivation को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।

सकारात्मक मोटिवेशन

सकारात्मक मोटिवेशन को प्रोत्साहन मोटिवेशन भी कहा जाता है, यह Motivation पुरुष्कार पर आधारितहोती है। मैनेजर द्वारा संगठन के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए टीम के सदस्यों को प्रोत्साहन  की पेशकश की जा सकती है। यह प्रोत्साहन अतिरिक्त राशि, वेतन में बढ़ोत्तरी, पदोन्नति इत्यादि कुछ भी हो सकती है। इसमें टीम के सदस्यों को रिवॉर्ड दिए जाने का ऑफर दिया जाता है, इसलिए वे स्वेच्छा से अपने प्रदर्शन में सुधार करने का पूरा प्रयास करते हैं।

नकारात्मक मोटिवेशन

नकारात्मक मोटिवेशन डर पर आधारित Motivation होती है। इसका भी उपयोग कर्मचारियों से बेहतर प्रदर्शन करवाने के लिए किया जाता है। क्योंकि डर भी कर्मचारियों को एक निश्चित तरीके से काम करने का कारण बनता है। यदि कोई कर्मचारी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो उसे छंटनी या डीमोशन करके दण्डित किया जाता है। और ऐसे कर्मचारियों को नौकरी पर बने रहने के लिए उनके प्रदर्शन में सुधार करने की हिदायत दी जाती है। इसमें कर्मचारी स्वेच्छा से नहीं, बल्कि सजा से बचने के लिए कार्य को करते हैं।

लेकिन इस प्रकार के Motivation में कर्मचारी केवल उतना ही कार्य करते हैं, जिससे वे सजा से बच सकें। और इस प्रकार की मोटिवेशन के कारण उनमें निराशा और क्रोध की भी उत्पति हो सकती है। जिससे संगठन के कार्यक्षेत्र में अशांति की आशंका बढ़ जाती है। इस तरह की Motivation में कई तरह की कमियाँ हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

आंतरिक और बाहरी मोटिवेशन

यदि आप किसी कंपनी या संगठन में निर्णय लेने की भूमिका में हैं तो ध्यान रहे आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और समय से कार्यों को पूर्ण कराने के लिए Motivation का इस्तेमाल करने की आवश्यकता हो सकती है । चाहे आप किसी भी प्रकार के मोटिवेशन को अपना रहे हों, आम तौर पर सभी प्रकार के मोटिवेशन जिन दो श्रेणियों के तहत आती हैं, वे निम्न हैं।

आन्तरिक मोटिवेशन

आन्तरिक मोटिवेशन से आशय ऐसे प्रेरणा से लगाया जा सकता है, जो व्यक्ति के अंतर्मन से उत्पन्न होती है। अर्थात इस तरह की प्रेरणा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं दी जाती है, बल्कि व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए स्वयं ही प्रेरित हो उठता है।

लेकिन या प्रेरणा जो व्यक्ति के अन्दर पैदा होती है, वह उसके व्यक्तिगत मूल्यों, संस्कारों के आधार पर ही होती है, यह अलग बात है की उस समय उस कार्य को करने को उसे कोई नहीं कह रहा होता है, उसके अंतर्मन से आवाज आती है, और वह उस कार्य को करने के लिए निकल पड़ता है। यदि आप कहीं पर रोज जाकर गरीबों में भोजन बाँटते हैं, तो यह एक आंतरिक Motivation का ही उदाहरण है।  

बाहरी मोटिवेशन

जब कोई व्यक्ति पैसे कमाने के लिए या फिर बाहरी लोगों से प्रसंशा पाने के लिए कोई कार्य कर रहा होता है तो इसे बाहरी Motivation कह सकते हैं। कहने का आशय यह है की बाहरी प्रेरणा व्यक्ति को प्रोत्साहन राशि कमाने, वृद्धि करने, बोनस प्राप्त करने, पुरुस्कार प्राप्त करने और अपनी आजीविका कमाने के लिए प्रेरित करती है।

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