पनीर बनाने का बिजनेस भी हो सकता है, बेहतर कमाई का जरिया।

पनीर बनाने से आशय पनीर की कोई डिश बनाने से नहीं बल्कि दूध से कच्चा पनीर तैयार करने से है। जी हाँ शायद ही ऐसा कोई मनुष्य होगा जो पनीर नामक इस आवश्यक डेरी उत्पाद से अनभिज्ञ होगा। वैसे देखा जाय तो जिस तरह से अधिकतर विभिन्न डिश को पसंद करते हैं। भारतीय घरों में आज भी चलन है की जब कोई मेहमान आता है तो उसकी खातिरदारी के लिए मीट, मांस इत्यादि बनाया जाता है, लेकिन जब मेहमान मांसाहारी न हो तो इस स्थिति में उसके लिए पनीर की कोई न कोई डिश अवश्य बनाई जाती है।

चूँकि भारत जैसे विशालकाय देश में पनीर का उपभोग करने वालों की कोई कमी नहीं है इसलिए बनाने के  बिजनेस के बारे में बात करना बेहद जरुरी हो जाता है। पनीर की यदि हम बात करें तो दुग्ध से निर्मित उत्पाद होने के कारण इसमें प्रोटीन की तो प्रचुर मात्रा होती ही होती है, साथ में भारतीय समाज में वह भी विशेषकर ग्रामीण इलाकों में इसे एक विशिष्ट खाने के तौर पर जाना जाता है। यही कारण है की लोग इसका इस्तेमाल अपने मेहमानों की खातिरदारी के लिए भी करते हैं।

पनीर बनाने का बिजनेस

पनीर क्या है?

पनीर बनाने की प्रक्रिया  को समझने से पहले हमें पनीर को समझना होगा यह एक दक्षिण एशियाई किस्म का सॉफ्टcheese है जिसे एसिड और दूध को एक साथ गरम करके प्राप्त किया जाता है। यह भारत का एक बेहद ही लोकप्रिय स्वदेशी डेयरी उत्पाद है और यह सॉफ्ट cheese की ही एक अप्रकाशित किस्म के समान है। इसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के खाने के व्यंजनों और स्नैक्स इत्यादि के तौर पर भी किया जाता है।

पनीर को बनाने की विधि काफी आसान एवं प्रचलित है इसलिए आज भी भारत में पनीर सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय विक्रेताओं द्वारा ही की जा रही है। इसका निर्माण करने के लिए दूध को गरम करके उसमें एसिडिक पदार्थ का इस्तेमाल करके इसे फाड़ दिया जाता है और उसके बाद इसे कपड़े में छानकर पनीर तैयार किया जाता है ।

इसमें पशुओं में पाए जाने वाले प्रोटीन, वसा, खनिज और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं । इसलिए जब किसी व्यक्ति द्वारा पनीर बनाने का काम व्यवसायिक दृष्टी से कमाई के लिए किया जाता है तो उसके द्वारा किया जाने वाला यह कार्य ही पनीर बनाने का बिजनेस कहलाता है।

पनीर के उपयोग और बाजार  

भारत में कई तरह की खाने की डिश बनाने में पनीर का इस्तेमाल किया जाता है और इसे ज्यों का त्यों या फिर फ्राई करके भी खाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की मिठाई, स्नैक्स और सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। पनीर बनाने का बिजनेस  कर रहे उद्यमी को इसके अन्य उपयोग भी जानने चाहिए जिनकी लिस्ट निम्नवत है।

  • पनीर को आलू, टमाटर, मटर इत्यादि की करी में शामिल किया जा सकता है।
  • सूप में टेक्सचर प्रदान करने के लिए पनीर के क्यूबस को सूप में डाला जा सकता है।
  • ताजे पनीर को चीनी की चाशनी में उबालकर इसे मिठाई के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  • वैसे देखा जाय तो पनीर अपने आप में ही एक अच्छा स्वाद होता है इसलिए इसे स्वाद वाहक के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक विश्वसनीय आंकड़े के मुताबिक भारत में पनीर का बाजार 2014 से 2019 तक 12.5% के सीएजीआर की दर से बढ़ा। जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की जो लोग मांसाहारी नहीं हैं वे पनीर का इस्तेमाल खाने में बहुत अधिक करते हैं देश दुनिया में शाकाहारी लोगों की बढती जनसँख्या पनीर के इस्तेमाल को और बढ़ावा दे रही हैं।

इसके अलावा जनसँख्या में वृद्धि, बढ़ता हुआ शहरीकरण, कोल्ड सप्लाई चेन का विस्तारीकरण, डीप फ्रीजर के बढ़ते उपयोग के चलते बाजार की वृद्धि भी प्रभावित हो रही है। इसलिए उम्मीद यही जताई जा रही है की आने वाले वर्षों में यह बाजार और अधिक विकसित होगा।

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोई भी इच्छुक व्यक्ति खुद का पनीर बनाने का बिजनेस शुरू कर सकता है और पनीर को स्थानीय स्तर पर बेचने के लिए भी कोई खास मार्केटिंग प्रयासों को करने की आवश्यकता नहीं होती है। तो आइये आगे इस लेख में यही जानने का प्रयत्न करते हैं की कैसे कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का पनीर बनाने का व्यवसाय शुरू कर सकता है।

कच्चा पनीर बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? :

पनीर बनाने का बिजनेस खाद्य से जुड़ा हुआ बिजनेस है इसलिए आपके द्वारा उत्पादित उत्पाद का असर सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाला है। चूँकि वर्तमान में बहुत सारे ऐसे वहशी, दरिन्दे लोग समाज में पैदा हो गए हैं जो अपना मुनाफा कमाने के लिए खाद्य पदार्थों में भी मिलावट करने से नहीं चूकते हैं। सम्बंधित सरकारी विभाग के पड़े छापों में कई बार यह साबित हो चूका है की बाज़ारों में नकली पनीर भी बेचा जा रहा है, जो मनुष्य स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

इसलिए वर्तमान में पनीर या अन्य दुग्ध उत्पादों को खरीदने से पहले लोगों के बीच में जो डर होता है वह यह होता है की उनके द्वारा पैसे लगाकर खरीदी जाने वाली चीज कहीं मिलावटी तो नहीं है। इसलिए पनीर बनाने का बिजनेस करने वाला उद्यमी यदि वहां के स्थानीय लोगों के बीच से उसके उत्पाद के प्रति यह डर निकालने में कामयाब हो गया, तो उसको इस व्यवसाय में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। तो आइये जानते हैं की उद्यमी को खुद का पनीर बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए क्या क्या करने की आवश्यकता हो सकती है।

बिजनेस प्लान तैयार करें

यद्यपि देखा जाय तो पनीर बनाने का बिजनेस सर्वप्रथम स्थानीय लोगों की मांग को ध्यान में रखकर ही किया जाना उचित होता है। और भारत में अधिकतर पनीर बनाने का काम असंगठित इकाइयों द्वारा ही किया जा रहा है यानिकी स्थानीय लोगों की मांग स्थानीय विक्रेताओं द्वारा स्वयं पनीर बनाकर की जा रही है।

इसलिए देखा जाय तो इस व्यवसाय का स्वरूप छोटा होने के कारण कोई लम्बी चौड़ी योजना बनाने की आवश्यकता तो नहीं है, लेकिन इतना जरुर है की उद्यमी को यह तय करना होगा की वह स्थानीय स्तर पर बिना ब्रांड के पनीर बेचेगा या फिर अपना ब्रांड नाम बनाकर पनीर बेचेगा।

वैसे देखा जाय तो पनीर खरीदते समय भारतीय लोगों की मानसिकता थोड़ी अलग है जैसे यदि कोई व्यक्ति पनीर खरीदने जाता है और दुकानदार उसे पैकेट में पैक किया हुआ पनीर दिखाता है तो ग्राहक को लगता है की यह बहुत दिनों का पैक हुआ पनीर है इसलिए वह उसे खरीदने में संकोच करता है।

लेकिन वही ग्राहक खुला पनीर को ताजा एवं शुद्ध पनीर समझता है और उसे खरीदने में जरां भी संकोच नहीं करता है। इसलिए पनीर बनाने का बिजनेस शुरू कर रहे उद्यमी को स्थानीय लोगों की पनीर खरीदारी को लेकर क्या मानसिकता है? यह बात ध्यान में रखते हुए भी बिजनेस की योजना बनानी चाहिए।     

दुकान का प्रबंध करें

स्थानीय स्तर पर बिना ब्रांड नाम के इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत अधिक जगह और बड़ी सी बिल्डिंग की भी आवश्यकता नहीं होती है। उद्यमी चाहे तो किसी स्थानीय बाजार या भीड़ भाड़ वाली जगह पर छोटी सी दुकान किराये पर लेकर भी पनीर बनाने का बिजनेस शुरू कर सकता है।

दुकान का किराया राज्य, शहर, स्थान इत्यादि के आधार पर अलग अलग हो सकता है लेकिन उद्यमी को दुकान किराये पर लेते वक्त रेंट एग्रीमेंट इत्यादि अवश्य बनवा लेने चाहिए। ताकि जरुरत पड़ने पर इस दस्तावेज को पता प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सके।  

दूध सप्लायर का चुनाव करें

जैसा की हम सब जानते हैं की पनीर का निर्माण दूध से ही किया जाता है और जहाँ तक पनीर बनाने के बिजनेस में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की बात है।

दूध, सिट्रिक एसिड और पैकिंग सामग्री इसमें मुख्य कच्चा माल है जहाँ सिट्रिक एसिड और पैकिंग सामग्री तो उद्यमी स्थानीय बाजार से भी खरीद सकता है वहीँ दूध खरीदने के लिए उद्यमी को या तो स्थानीय पशु पालकों से संपर्क करना होगा या फिर किसी अधिकृत स्थानीय सप्लायर से संपर्क करके प्रत्येक दिन दूध अपनी दुकान पर मँगवाना होगा।  

आवश्यक मशीनरी और उपकरण खरीदें 

कच्चा पनीर बनाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल में लायी जाने वाली प्रमुख मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • मिल्क पेस्च्युराइजर
  • आईबीटी टाइप चिलिंग मशीन
  • पम्प
  • पनीर प्रेस
  • मापक यंत्र
  • मिल्क स्टोरेज टैंक
  • पनीर कोगुलेषन टैंक
  • बैलेंस टैंक
  • बायलर
  • अन्य मशीनरी और उपकरण

हालांकि घरेलू तौर पर पनीर बनाने के लिए बेहद कम बर्तन और उपकरणों का इस्तेमाल होता है। उपर्युक्त लिस्ट व्यवसायिक इकाई के लिए है।   

पनीर बनाने का कार्य शुरू करें

पनीर बनाने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले स्थानीय विक्रेता से दूध खरीद लिया जाता है और इसे स्टोरेज टैंक में रख दिया जाता है। उसके बाद बायलर का इस्तेमाल इस प्रक्रिया में कई बार दूध को गरम करने के लिए किया जाता है कहने का आशय यह है की बायलर में भाप उत्पन्न की जाती है और इस भाप का इस्तेमाल पास्चराइजेशन हेतु दूध को गरम करने के लिए किया जाता है।

उसके बाद दूध को दुसरे होल्डिंग टैंक में भेजा जाता है जो दूध को स्टोर करता है ताकि इसे जिसका तापमान अभी 80®C उसे 75®C किया जा सके। यदि इसे और जल्दी ठंडा करा हो तो होल्डिंग टैंक के जैकेट के माध्यम से उपयुक्त मात्रा में जल परिसंचरण किया जा सकता है।

जब दूध का निश्चित तापमान प्राप्त कर लिया जाता है तो उसके बाद इसे एक कोगुलेशन टैंक में डाला जाता है इस टैंक में दूध के तापमान को बनाये रखने के लिए स्टीम जैकेट लगे होते हैं। उसके बाद जब दूध की स्थिर अवस्था तापमान (जो की भैंस के दूध के लिए 70 डिग्री सेल्सियस और गाय के दूध के लिए 80 डिग्री सेल्सियस है) को प्राप्त कर लिया जाता है, तो इसमें साइट्रिक एसिड, लैक्टिक एसिड इत्यादि मिलाया जाता है।

और दूध को तब तक धीरे धीरे हिलाया जाता है जब तक की दूध से मट्ठा अलग न हो जाय उसके बाद मट्ठे को बाहर निकाल दिया जाता है और जमे हुए दृव्यमान को पनीर प्रेस में डाला जाता है। पनीर बनाने की प्रक्रिया में पनीर प्रेस मशीन का काम इस मोटे द्रव्यमान के भीतर बचे पानी को बाहर निकालने का होता है इसलिए यह मशीन इसमें जरुरी दबाव डालती है ।

इन पनीर के ब्लाक को आवश्यक शेप, आकार व वजन में काट लिया जाता है और आईबीटी चिलिंग मशीन में भेजा जाता है । यह मशीन पनीर में बैक्टीरिया के विकास को रोकती है जिससे पनीर को थोड़े लम्बे समय तक संग्रहित किया जा सकता है।

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