क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कैसे बनें ? आरटीओ ऑफिसर के कार्य, योग्यता ।

RTO Officer Kaise Bane : आरटीओ की आवश्यकता एक क्षेत्र विशेष में परिवहन व्यवस्था को बनाये रखने एवं लोगों द्वारा यातायात के नियमों के पालन करने पर नज़र बनाये रखने के लिए बेहद जरुरी है। जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में लोग वाहनों जैसे मोटरसाइकिल, स्कूटी, कार, जिप्सी, ट्रक, बस इत्यादि का उपयोग एक स्थान से दुसरे स्थान यात्रा करने के लिए एवं सामान ढोने के लिए करते हैं। इसलिए वर्तमान में लगभग हर वयस्क मनुष्य का काम कभी न कभी उस क्षेत्र में स्थित आरटीओ ऑफिस में जरुर पड़ता है।

इसलिए अक्सर लोग जो खुद का लाइसेंस बनाने, चालान का भुगतान, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करने या अन्य किसी कार्य से आरटीओ ऑफिस पहुँचते हैं। तो उनके जेहन में एक बात का प्रादुर्भाव अवश्य होता है की वे खुद या फिर अपने बच्चों को एक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी यानिकी आरटीओ कैसे बना सकते हैं।

अर्थात रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर बनने के लिए उन्हें खुद या उनके बच्चे को क्या क्या तैयारियां करनी पड़ सकती हैं? और किन किन परीक्षाओं को पास करने की आवश्यकता होती है? इन्हीं सब बातों के मद्देनज़र आज हम इस लेख में भारत में एक आरटीओ ऑफिसर बनने की प्रकिया के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन उससे पहले हम एक आरटीओ के काम क्या होते हैं उन पर नजर डालेंगे।

Regional Transport officer kaise bane

आरटीओ के कार्य (Functions of RTO Officer in Hindi) :

RTO officer ki Duty : चूँकि एक रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में कार्य करने वाले कर्मचारी एक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के दिशानिर्देश में काम करते हैं। इसलिए इस कार्यालय में होने वाले सभी प्रकार के कार्यों के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर उत्तरदायी होता है।

कहने का अभिप्राय यह है की एक आरटीओ को अलग अलग मोटर वाहन से जुड़े कानूनों एवं भारत के राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मोटर वाहन सम्बन्धी नियमों को एक क्षेत्र विशेष में लागू करने का अधिकार एवं जिम्मेदारी दी जाती है।

इनके अलावा क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय सड़क परिवहन प्रणाली के विकास एवं सड़क करों के संग्रह इत्यादि के लिए भी जिम्मेदार होता है। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी उसके अधिकार क्षेत्र में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस, ड्राइविंग परिक्षण एवं स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए भी जिम्मेदार होता है।

वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करना, दुर्घटनाओं में शामिल वाहनों की जांच करना, सार्वजनिक वाहनों जैसे बस, रिक्शा, टेक्सी इत्यादि चलाने वाले ड्राईवर को बैज एवं लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी भी आरटीओ की ही होती है। आरटीओ चाहे तो किसी को अंतराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस एवं ड्राइविंग परमिट भी जारी कर सकता है।

इसके अलावा सभी प्रकार के वाहनों का रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी भी एक रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस की ही होती है।

शैक्षणिक योग्यता (Education Qualification)

RTO Officer Banne Ke Liye Education : यद्यपि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की कोई डायरेक्ट नियुक्ति नहीं होती है बल्कि ट्रांसपोर्ट विभाग में कार्य करने वाले इंजिनियर या असिस्टेंट रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर प्रमोशन के माध्यम से आरटीओ ऑफिसर बनते हैं। लेकिन यहाँ पर शैक्षणिक योग्यता पर बात करना इसलिए जरुरी हो जाता है क्योंकि ट्रांसपोर्ट इंजिनियर या असिस्टेंट रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर बनने के लिए भी एक विशेष शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता होती है।

ऐसे विद्यार्थी जो खुद आरटीओ बनना चाहते हैं या फिर ऐसे माता पिता जो अपने बच्चों को आरटीओ के तौर पर कार्यरत होते देखना चाहते हैं। उन्हें सबसे पहले प्लस टू अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण करनी होगी ताकि उन्हें किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिलने में परेशानी न हो। बारहवीं के बाद विद्यार्थी पॉलिटेक्निक, मेकेनिकल या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग कर सकता है। या फिर मेकेनिकल में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग भी कर सकता है लेकिन सहायक विषय के तौर पर ऑटोमोबाइल का होना भी आवश्यक है। 

RTO Officer बनने के लिए आवश्यक योग्यता

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी यानिकी आरटीओ बनने के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता का जिक्र हम उपर्युक्त में कर चुके हैं। लेकिन एक आरटीओ बनने के लिए सिर्फ शैक्षणिक योग्यता ही पर्याप्त नहीं होती है बल्कि और भी कौशल एवं अनुभव की आवश्यकता होती है। जिनका विवरण निम्नवत हैं।

  • व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ होना चाहिए।
  • व्यक्ति के पास मोटर बाइक से लेकर हैवी व्हीकल चलाने का एक वैधानिक लाइसेंस होना चाहिए।
  • ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या फिर मेकेनिकल में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग।
  • कम से कम किसी मेकेनिकल वर्कशॉप में एक साल काम करने का अनुभव ।
  • यदि व्यक्ति को सभी प्रकार के वाहन चलाने का अनुभव हो तो यह एक अतिरिक्त कौशल हो सकता है।
  • मोटर वाहन इंस्पेक्टर ग्रेड II में परिवहन विभाग के साथ काम करने का अनुभव।

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कैसे बनें (How to become RTO officer in India)

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्यों में भी स्पष्ट कर चुके हैं की क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के लिए सरकार द्वारा कोई डायरेक्ट भर्ती नहीं निकाली जाती हैं।  कहने का अभिप्राय यह है की यह एक ऐसा पद है जिस पर सरकार सीधी नियुक्ति नहीं करती है। बल्कि परिवहन विभाग से ही योग्य एवं सुशिक्षित लोगों को पदोन्नति करके इस पद की जिम्मेदारी देती है। इसलिए यदि कोई विद्यार्थी आरटीओ बनने की सोच रहा है तो नीचे दी जा रही जानकारी उसका कैरियर बनाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

  • दसवीं के बाद साइंस सेक्शन का चयन करें। और ध्यान रहे यदि PCM विषयों का चुनाव करेंगे तो ज्यादा बेहतर हो सकता है।
  • बारहवीं अच्छे नंबरों से पास करने के बाद पॉलिटेक्निक या फिर किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लें ।
  • इंजीनियरिंग में विद्यार्थी चाहे तो मेकेनिकल में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग या फिर ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग कर सकता है।
  • इंजीनियरिंग के दौरान ही विद्यार्थी को सभी प्रकार के वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण लेना चाहिए। और सभी प्रकार के वाहनों को चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस विद्यार्थी के पास होना चाहिए।
  • इंजीनियरिंग करने के बाद क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी बनने के इच्छुक विद्यार्थी को मेकेनिकल कामों को और अच्छे ढंग से जानने के लिए कम से कम किसी वर्क शॉप में एक साल तक काम करने का अनुभव प्राप्त करना चाहिए।
  • उसके बाद सर्विस कमीशन द्वारा जारी की जाने वाली भर्तियों का इंतजार करना चाहिए। सर्विस कमीशन द्वारा मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर पदों पर सीधी भर्तियाँ निकाली जाती हैं।

RTO Officer Kaise Bane : उसके बाद जब विद्यार्थी मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त हो जाता है तो उसे कम से कम इस पद पर चार वर्षों का अनुभव प्राप्त करना होता है। उसके बाद इंस्पेक्टर आरटीओ बनने के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं में भाग लेने के लिए योग्य हो जाता है।

इसमें मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड एवं डिस्ट्रिक्ट ऑफिस मैन्युअल नामक राज्य सरकार द्वारा आयोजित दोनों परीक्षाओं को किताब इत्यादि की मदद से पास करना होता है। लेकिन क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की इस लिखित परीक्षा में गाइड इत्यादि का इस्तेमाल वर्जित है।

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