जिओ ने ख़रीदा 88078 करोड़ का 5G स्पेक्ट्रम। जानिए स्पेक्ट्रम होता क्या है ।

बीते दिनों देश में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी चल रही थी। इस नीलामी में देश की दिग्गज टेलिकॉम कंपनियों जिओ, एयरटेल, आईडिया- वोडाफोन के अलावा गौतम अडानी की कंपनी ने भी हिस्सा लिया था। जानकारी के मुताबिक इस बार 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार की अच्छी खासी कमाई हुई है, इस नीलामी में कपंनियों द्वारा कुल 150173 करोड़ रूपये की बोलियाँ लगाई गई।

रिलायंस जिओ सबसे बड़ी बोलीदाता बनी     

5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में मुकेश अम्बानी की कंपनी रिलायंस जिओ सबसे बड़ी बोलीदाता कंपनी के रूप में सामने आई है। कंपनी ने 5G स्पेक्ट्रम की अगले बीस सालों के लिए 88078 करोड़ रूपये की बोली लगाई है। जो की कुल लगाई गयी बोली का 50% से भी अधिक है। जिसका सीधा सा मतलब यह है की जिओ ने आधे से ज्यादा स्पेक्ट्रम में अपना अधिकार स्थापित किया है।

रिलायंस जिओ ने यह बोली अलग अलग बैंड के स्पेक्ट्रम जैसे 700 मेगाहर्ट्ज 800MHz, 1800MHz, 3300MHz और 26GHz में लगाई है । कहा यह भी जा रहा है की जहाँ पर 700 मेगाहर्ट्ज बैंड का इस्तेमाल किया जाएगा वहाँ पर केवल एक टावर ही बहुत बड़े एरिया को कवर कर लेगा।

Mobile tower
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स्पेक्ट्रम क्या होता है

स्पेक्ट्रम की यदि हम बात करें तो यह एक विकिरण उर्जा होती है, जो धरती को चारों तरफ से घेरे रहती है। सामान्य भाषा में इसे रेडिएशन भी कह सकते हैं, और यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (IMR) का प्रमुख स्रोत सूर्य है। यानिकी स्पेक्ट्रम नाम की इस विकिरण उर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है।

लेकिन यह उर्जा सिर्फ सूर्य से ही नहीं, बल्कि धरती के नीचे दबे रेडियोएक्टिव तत्वों, तारों और आकाशगंगाओं से भी मिलती है। इसी उर्जा के माध्यम से हम टेलीविजन, रेडियो, मोबाइल फ़ोन इत्यादि उपकरणों को चला पाने में सक्षम होते हैं । जहाँ तक टेलिकॉम क्षेत्र की बात है, इसमें मुख्य तौर पर रेडियो वेब तरंगों का इस्तेमाल होता है।

कारोबारी इस्तेमाल के लिए खरीदना पड़ता है स्पेक्ट्रम     

यदि कोई कंपनी धरती को घेरे रहने वाली विकिरण उर्जा का इस्तेमाल अपने कारोबार के लिए करना चाहती है, तो उसे सबसे पहले यह तय करना होगा, की उसे तरंगों की लम्बाई कितनी चाहिए। जैसे 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान इसमें 700 मेगाहर्ट्ज 800MHz, 1800MHz, 3300MHz और 26GHz इत्यादि रेडियो वेब तरंगे शामिल थी ।

जहाँ तक स्पेक्ट्रम की वैधता का सवाल है, वर्ष 2015 में जब 4G स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी । तब इसकी वैधता 5 साल थी, और 2021 में हुई नीलामी के दौरान इसकी वैधता को 20 साल कर दिया गया था। आज जब 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई है, तो रिलायंस जिओ ने अगले 20 सालों के लिए 5G स्पेक्ट्रम को 88078 करोड़ रुपयों में ख़रीदा है । तो इससे पता चलता है की इसकी वैधता भी 20 सालों की ही है।  

 भारती एयरटेल ने भी 43084 करोड़ रूपये की बोली लगाई  

4G स्पेक्ट्रम की नीलामी में जिओ ने 57122.65 करोड़ रूपये की बोली लगाई थी, और भारती एयरटेल ने 18699 करोड़ रूपये की बोली लगाई थी । और वोडाफोन आईडिया ने भी 1993.40 करोड़ रूपये की बोली लगाई थी। लेकिन इस बार 5G नीलामी के स्पेक्ट्रम में गौतम अडानी की कंपनी ने भी हिस्सा लिया और 212 करोड़ रूपये की बोली लगाई।

5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में जिओ ने सबसे ज्यादा 88078 करोड़ रूपये उसके बाद भारती एयरटेल ने 43084 करोड़ रूपये वोडाफोन- आईडिया ने 18784 करोड़ और गौतम अडानी की कंपनी ने 212 करोड़ रूपये का स्पेक्ट्रम ख़रीदा है।  

नीलामी के बाद क्या होगा

स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद जिस कंपनी ने नीलामी में जितने रूपये की बोली लगाई है, उस कंपनी को उतने पैसे सरकार के पास जमा कराने होंगे। इसके बाद उन्होंने जिन जिन एयरवेव्स के लिए नीलामी में बोली लगाई थी, और उसी हिसाब से जमा पैसा कर दिया। तो सरकार उन्हें उसी के आधार पर 5G स्पेक्ट्रम का वितरण करेगी।

चूँकि कंपनियाँ 5G नेटवर्क की टेस्टिंग पहले से कर रही हैं, स्पेक्ट्रम मिलने के बाद वे अपनी अपनी 5G सेवाएँ शुरू करेंगी। इतने बड़े देश में एक साथ इन्टरनेट की इस फ़ास्ट सर्विस शुरू करना मुश्किल है, इसलिए पहले उन शहरों में यह सर्विस शुरू की जाएगी, जहाँ टेस्टिंग हो चुकी हो।     

देश में अक्टूबर से शुरू हो सकती हैं 5G सेवाएँ  

दूर संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव से जब 5G स्पेक्ट्रम से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए, तो उन्होंने पत्रकारों की बातों का जवाब देते हुए कहा की, देश में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी हो चुकी है। और यह 4G स्पेक्ट्रम की नीलामी जो 2015 में हुई थी जिससे सरकार को लगभग 1.09 लाख करोड़ की कमाई हुई थी, उससे कहीं ज्यादा है।

इससे यह पता चलता है की देश की टेलिकॉम कंपनियाँ देश भर में 5G नेटवर्क का विस्तार करने को काफी उत्सुक हैं। दूर संचार मंत्री की मानें तो अक्टूबर 2022 तक देश में 5G सेवाएँ शुरू हो जाएँगी । लेकिन पूरे देश में एक साथ ये सेवाएँ शुरू नहीं हो पाएंगी, बल्कि पहले जहाँ 5G नेटवर्क की टेस्टिंग चल रही है, उन्हीं शहरों को 5G नेटवर्क से जोड़ने की योजना है।

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