Rice Mill Business कृषि से जुड़ा हुआ बिज़नेस होने के कारण भारत में बेहद ही प्रचलित व्यवसाय है इसके प्रचलित होने का दूसरा कारण यह भी हो सकता है की भारत विश्व में चावल का उत्पादन करने में दूसरा सबसे बड़ा देश है । और चावल का सेवन भारत में लगभग हर भौगौलिक क्षेत्र में किया जाता रहा है । भारत में धानों के एक बड़े हिस्से को Rice Hullers द्वारा संसाधित किया जाता है । लेकिन ग्रामीण भारत में धानों से चावल निकालने के लिए अनेकों विधियों को अपनाया जाता है ये भौगौलिक क्षेत्र के आधार पर अलग अलग हो सकती हैं।
लेकिन व्यवसायिक तौर पर धानों से चावल का उत्पादन करने के लिए अधिकतर तौर पर Rice Hullers का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ये केवल कम क्षमता वाली Rice Mill के लिए उपयुक्त रहती हैं। इस प्रकार के Rice Hullers में धानों से छिलका निकालने, और चावल पर पोलिशिंग का काम एक साथ किया जाता है। यही कारण है की इस प्रक्रिया में चावल की पोलिशिंग पर उद्यमी का कोई नियंत्रण नहीं रह पाता है और इस स्थिति में चोकर एवं चावलों का टूटना अधिक होता है।
इन्हीं सब समस्याओं को दूर करने के लिए अब बाजार में Mini Rice Mill मिलने लगी हैं जिन्हें ग्रामीणों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर डिजाईन किया गया है। और ये पोलिश चावल प्राप्त करने, चोकर प्राप्त करने, धान की भूसी प्राप्त करने के लिए Rice Hullers का एक अच्छा विकल्प है । इससे पहले की हम इस व्यवसाय पर और अधिक वार्तालाप करें आइये जानते हैं एक राइस मिल होती क्या है?
राइस मिल क्या होती है (What is Rice Mill in Hindi):
जैसा की हम सब जानते हैं धान को उसकी वास्तविक अवस्था में मनुष्य प्राणी द्वारा नहीं खाया जा सकता है, कहने का आशय यह है की मनुष्य द्वारा धान का सेवन नहीं, बल्कि उसे संसाधित करके उत्पादित चावल का सेवन किया जाता है। इसलिए इसे मनुष्य प्राणी के सेवन के लायक बनाने के लिए इसे चावल के रूप में संसाधित करने की आवश्यकता होती है । जिस जगह विशेष में मशीनों द्वारा यह कार्य व्यवसायिक तौर पर किया जाता है उसे Rice Mill कहा जाता है ।
वास्तव में राइस मिलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें धान से चोकर एवं भूसे को अलग करके चमकदार चावलों का उत्पादन किया जाता है।इसलिए यदि कोई व्यक्ति ऐसे भौगौलिक क्षेत्र में रहता है जहाँ धान का उत्पादन अधिक होता है, वह उस क्षेत्र में खुद की कमाई करने के लिए खुद का Rice Mill Plant स्थापित कर सकता है । बेहतर चावल मिलों में धान की भूसी एवं चोकर के लिए एस्पिरेशन सिस्टम होता है। यह सिस्टम संसाधित चावलों को चोकर इत्यादि के साथ मिश्रित होने से रोकता है ।
यही कारण है की इस प्रक्रिया से उत्पादित चोकर अच्छी गुणवत्ता का होता है । Rice Mill Business शुरू करने के इच्छुक व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने प्लांट के लिए एरिया का चुनाव करना चाहिए ।
लेकिन यह मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता है की उद्यमी अपने प्लांट में किस प्रकार के चावल का उत्पादन करना चाहता है वर्तमान में दो विधियों एक विधि वह होती है जिसमें धान को सर्वप्रथम उबाला जाता है और उसके बाद सूखाकर इनका छिलका निकाल दिया जाता है आम तौर पर इसे पक्का चावल कहते हैं। दूसरी विधि में धान को उबाले बिना ही चावल का उत्पादन किया जाता है।
उत्पाद एवं इसके अनुप्रयोग:
चावल धान का अन्दुरुनी भाग होता है जिसे धान की भूसी एवं चोकर की पतली परत को हटाकर प्राप्त किया जाता है । Rice Mill Business से आशय उस प्रक्रिया से है जिसमें उद्यमी को धानों से भूसी एवं चोकर हटाकर चावलों का उत्पादन करना होता है। इस पूरी प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना पड़ता है की चावल कम से कम टूटें। बाजार में चावल मुख्य रूप से दो रूपों में पक्का चावल (पहले से उबाला हुआ) एवं कच्चे चावल में उपलब्ध रहता है।
कच्चे चावल को आम तौर पर सीधे कच्चे धानों से भूसी एवं चोकर हटाकर प्राप्त किया जाता है, जबकि पक्के चावल का उत्पादन करने के लिए पहले धानों को आंशिक रूप से उबाला जाता है। पक्के चावलों का इस्तेमाल अधिकतर तौर पर असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार के कुछ हिस्सों में होता है । उबालने और सुखाने की प्रक्रिया को छोड़कर दोनों तरह की विधियाँ लगभग एक जैसी ही हैं।
Rice Mill Business में राइस मिलिंग प्रक्रिया मुख्य उत्पाद के तौर पर चावल देती है और सहायक उत्पादों के तौर पर चावल की भूसी, ब्रान एवं टूटे हुए चावल भी देती है। चावल की भूसी का उपयोग जानवरों के भोजन एवं ईधन के तौर पर भी किया जाता है, ब्रान का उपयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है, जबकि टूटे चावलों को बाजार में सस्ती दरों पर बेच दिया जाता है।
औद्योगिक परिदृश्य एवं चलन:
हमारा देश भारतवर्ष विश्व में चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है जो विश्व में कुल चावल उत्पादन का लगभग 21% चावल पैदा करता है । एक आंकड़े के मुताबिक अपने देश भारत में पिछले साठ वर्षों में चावल का उत्पादन 3.5 गुना बढ़ा है। और चावल उत्पादन में देश की उत्पादन क्षमता थाईलैंड एवं पाकिस्तान से अधिक है । भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा और बिहार शामिल हैं।
वैश्विक चावल व्यापार में भारत शीर्ष निर्यातक देश रहा है, जो पिछले चार वर्षों से कुल वैश्विक निर्यात का 25% निर्यात करता रहा है । मध्य पूर्वी देश एवं अफ्रीका भारतीय चावलों के मुख्य ग्राहक रहे हैं, इसके अलावा भारतीय बासमती चावलों के यूरोपीय संघ एवं अमेरिका मुख्य ग्राहक रहे हैं। हालांकि अगले पांच वर्षों में चावल बाजार में न ही कमी के संकेत मिलते हैं और न ही बढ़ोत्तरी के इसलिए आने वाले पांच वर्षों में वैश्विक चावल बाजार मॉडरेट होने के आसार हैं।
चूँकि भारत में चावल की फसल का मूल्य अन्य देशों की तुलना में सस्ता है इसलिए देश का चावल बाजार प्रतिस्पर्धात्मक तौर पर स्थित है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में जलवायु की स्थिति चावल के उत्पादन को प्रभावित करती रहती है । राज्य सरकारों द्वारा लेवी सिस्टम के अंतर्गत चावल की खरीद कर ली जाती है जो घरेलू बाज़ारों में फसल की उपलब्धता में वृद्धि करता है। ईरान ने भारत से बासमती चावल के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है इसलिए इसे एक प्रमुख वैश्विक विकास के रूप में देखा जा रहा है।
क्योंकि प्रतिबंध हटने के बाद भारतीय उद्यमी बासमती चावल को ईरान को निर्यात कर सकते हैं जिससे बासमती चावल की मांग बढ़ने के आसार लगाये जा सकते हैं। इंडोनेसिया ने भी भारतीय चावलों के लिए अपना बाजार खोलने का निर्णय लिया है। यही कारण है की वर्तमान में बहुत सारी छोटी बड़ी Rice Mill हैं जो विदेशों की ओर अपने उत्पाद को निर्यात कर रही हैं।
चावल की बिक्री की संभावनाएं:
भारत में ही नहीं अपितु दुनियाँ में चावल बहुसंख्यक आबादी का एक प्रमुख भोजन है इसलिए इसकी बिक्री करने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती है। हालांकि ग्रामीण भारत में अक्सर यह भी देखा गया है की लोग चावल की अपनी घरेलू खपत के चलते धान को चावल में बदलने के लिए लम्बी दूरी तय करते हैं । इसलिए ऐसे ही कुछ केन्द्रों में बेहद छोटी चावल मिलों की आवश्यकता है।
जैसा की हम सब जानते हैं की चावल भारत की आबादी के लिए एक आवश्यक भोजन है, और भारत में बड़े पैमाने पर मध्यम आय वाले परिवारों की संख्या है इसके अलावा ऐसे परिवारों की संख्या भी बढ़ रही है जिनकी कमाई समय के साथ बढती जा रही है। इसलिए चावल की बिक्री के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार है। Rice Mill Business में राइस मिलिंग प्रक्रिया से उत्पादित राइस ब्रान की माँग सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट्स में काफी अधिक होती है ।
बासमती चावल के उत्पादन एवं निर्यात में भारत का अग्रणी स्थान है। सऊदी अरब, ईरान, यूनाइटेड अरब अमीरात, इराक एवं कुवैत भारतीय चावलों के प्रमुख ग्राहक हैं । एक जानकारी के मुताबिक Rice Mill Plants देश का सबसे बड़ा कृषि प्रसंस्करण उद्योग है। यही कारण है की भारत में Rice Mill Business शुरू करना एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है। चूँकि यह नियमित रूप से उपयोग में लायी जाने वाली खाद्य वस्तु होती है इसलिए इसकी माँग बाजारों में हमेशा विद्यमान रहती है।
Rice Mill हेतु आवश्यक लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन:
Rice Mill Business शुरू करने के लिए उद्यमी को अनेकों प्रकार के लाइसेंस एवं पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है। जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है।
- स्थानीय प्राधिकरण से लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है ।
- उद्यमी चाहे तो उद्योग आधार के अंतर्गत स्वयं के व्यापार को रजिस्टर करा सकता है ।
- खाद्य वस्तु से जुड़ा हुआ व्यापार होने के कारण Rice Mill Plant के लिए एफएसएसआई रजिस्ट्रेशन की अनिवार्य रूप से आवश्यकता होती है ।
- उद्यमी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है ।
- इसके अलावा यदि लागू हो तो उद्यमी को ईएसआई एवं ईपीएफ रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता हो सकती है ।
- यदि उद्यमी अपने उत्पाद को बाहर देशों की ओर निर्यात करने की योजना बना रहा हो तो उसे आयात निर्यात कोड लेने की भी आवश्यकता हो सकती है।
कच्चे माल की उपलब्धता:
यद्यपि चावल का उत्पादन कम या ज्यादा लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है लेकिन उद्यमी को चाहिए की वह अपना Rice Mill Business वहीँ स्थापित करे जहाँ उसे कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से हो जाएगी। कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से वही हो पायेगी जहाँ धान का उत्पादन अधिक किया जाता हो। भारत में धान का सबसे अधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल में किया जाता है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उड़ीसा और तमिनाडु इत्यादि राज्यों में भी धान का उत्पादन किया जाता है ।कहने का अभिप्राय यह है की देश में कुल चावल उत्पादन का लगभग 66% उत्पादन उपरोक्त राज्यों में ही किया जाता है बाकी 33% उत्पादन अन्य राज्यों में भी किया जाता है।इसलिए उद्यमी स्वयं का Rice Mill Plant वहाँ स्थापित कर सकता है जहाँ धान का उत्पादन अधिक होता हो।
आवश्यक मशीनरी एवं उपकरण:
Rice Mill Plant के लिए कच्चे माल के तौर पर धान चाहिए होता है इसलिए मशीनरी के तौर पर धान को साफ़ करने वाली मशीन जिसमे आवश्यक डैम्पर एवं डबल फेन लगे होने चाहिए । Paddy Separator जिसका काम छिलके उतारे हुए धानों एवं नहीं उतरे धानों को अलग अलग करने का होता है। चावलों से हलके कणों, भूसी इत्यादि को दूर करने के लिए husk and barn aspirators की आवश्यकता हो सकती है। पॉलिशर, ग्रेडर की आवश्यकता चावलों की शुद्धता एवं गुणवत्ता की दृष्टी से हो सकती है ।
यह उपरोक्त सभी मशीनरी Semi Automatic Rice Mill का हिस्सा है जिसकी कीमत 6-7 लाख रूपये हो सकती है। इसके अलावा स्टोरेज उपकरण, क्लीनिंग एंड सॉर्टिंग उपकरण, टेस्टिंग उपकरण, पैकिंग मशीन एवं सामग्री इत्यादि भी Rice Mill Business करने वाले उद्यमी को खरीदने पड़ सकते हैं।
चावल उत्पादन प्रक्रिया (Manufacturing Process):
Rice Mill Business में चावल का उत्पादन करने के लिए अनेक प्रक्रियाएं करनी पड़ सकती हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन कुछ इस प्रकार से है ।
प्राथमिक सफाई:
इस बिज़नेस में इस्तेमाल में लाये जाने वाले कच्चे माल धान से अशुद्धियों को दूर करने की प्रक्रिया की जाती है। इसमें ऐसे अनाज को हटा दिया जाता है जिसके अन्दर चावल नहीं होते हैं अर्थात कुछ अविकसित अनाज भी कच्चे माल के साथ आ सकता है इसलिए सर्वप्रथम इसे ही दूर किया जाता है ।
कंकड़ पत्थर दूर करना:
धानों की प्राथमिक सफाई में धानों से धूल मिटटी एवं खाली अनाज तो इनसे दूर कर लिया जाता है लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ भारी अशुद्धियाँ जैसे कंकड़ पत्थर उसी में रह जाते हैं। इसलिए इस प्रक्रिया में छोटे छोटे कंकडों को धानों से अलग कर दिया जाता है।
धानों को आंशिक तौर पर उबालना:
हालांकि बाजार में उपलब्ध कच्चे चावलों का उत्पादन करने के लिए इस स्टेप को करना आवश्यक नहीं है । इस स्टेप का अनुसरण तब किया जाना जरुरी है जब उद्यमी पक्के चावलों का उत्पादन कर रहा हो। यह प्रक्रिया चावल के अंदर स्टार्च के जिलेटिननाइजेशन द्वारा पौष्टिक गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है ।
छिलका उतारने की प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में धानों से उसका छिलका निकाला जाता है ।
भूसी को अलग करना: अब Rice Milling Process में चावलों से धान की भूसी को अलग किया जाता है ।
चावलों से धान को अलग करना: इस प्रक्रिया में कुछ साबुत धान भी चावलों के साथ चले जाते हैं इसलिए अब इनसे इन धान के अनाज को अलग कर देना चाहिए।
चावल से भूरी परत को हटाना: चावल को सफ़ेद करने के लिए अब इस पर उपलब्ध भूरी परत जिसे Bran Layer कहा जाता है को हटा लिया जाता है ।
उसके बाद उत्पादित चावल की पॉलिशिंग एवं ग्रेडिंग की जाती है उसके बाद ग्राहक की माँग के अनुसार ब्लेंडिंग करके इन चावलों को बाजार में उतारकर Rice Mill Business करने वाला उद्यमी अपनी कमाई करने का प्रयास करता है।
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