गूगल के सह संस्थापक लैरी पेज की जीवनी और सफलता की कहानी।

Success Story of Google’s Founder Larry Page in Hindi: वर्तमान में लैरी पेज दुनिया के उद्यमियों में एक प्रसिद्ध और बड़ा नाम है । आज हर प्रकार की जानकारी के लिए लोगों द्वारा सर्च इंजन का इस्तेमाल किया जाता है । और आज की तारीख में दुनिया में गूगल सबसे बड़े सर्च इंजन के रूप में उभरकर सामने आया है । शायद आपकी दिन की शुरुआत भी गूगल में कुछ न कुछ जानकारी ढूँढने के साथ होती हो ।

जी हाँ ईतना ही नहीं गूगल ही स्मार्टफ़ोन ऑपरेटिंग सिस्टम का जनक है । इसके अलावा दुनिया की सबसे प्रसिद्ध विडियो शेयरिंग वेबसाइट YouTube भी इसी के अधीन काम करता है। दुनिया में गूगल एक ऐसी कंपनी जिसे कर्मचारियों को सुविधाएँ देने के हिसाब से बेहतरीन कंपनियों में गिना जाता है। यही कारण है की लोग गूगल में काम करने को तरसते हैं।

आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से दुनिया में सर्च इंजन के तौर पर ख्याति प्राप्त कर चुके गूगल के संस्थापक लैरी पेज की जीवनी और सफलता की कहानी लेकर आए हैं। आशा करते हैं की उनकी यह प्रेरणादायक कहानी आपको अपने जीवन में सकारात्मक कदम उठाने की ओर प्रेरित करेगी।

लैरी पेज larry page

लैरी पेज की जीवनी एक नजर में (Biography Summary of Larry Page)

पूरा नामलॉरेंस एडवर्ड पेज
उपनामलैरी पेज
जन्म तिथि26/03/1973
जन्म स्थानलांसिंग, मिसिगन, अमेरिका
शिक्षा प्राप्त कीयूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन और स्टैंनफोर्ड यूनिवर्सिटी
व्यवसायकंप्यूटर वैज्ञानिक और इन्टरनेट उद्यमी
किसके लिए जाने जाते हैंगूगल के सह संस्थापक के तौर पर
वैवाहिक स्थितिविवाहित (2007 से )
पत्नी का नामलुसिंडा साउथवर्थ
बच्चे2
पिता का नामकार्ल विक्टर पेज सीनियर
माता का नामग्लोरिया पेज

बचपन का जीवन और शिक्षा (childhood of Larry Page)  

लैरी पेज का जन्म 26 मार्च 1973 को अमेरिका के लांसिंग मिशिगन में हुआ था उनकी माता ग्लोरिया पेज यहूदी हैं यही कारण है की उनके नाना बाद में इजराइल चले गए थे ।  इनके पिता कार्ल विक्टर पेज ने भी यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की थी। यही कारण है की वे भी कंप्यूटर साइंस और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में बहुत कुशल थे।

इनके माता पिता दोनों कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और कंप्यूटर साइंस में अच्छा ज्ञान रखते थे, इनके पिता मिशिगन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के प्रोफ़ेसर तो माता ग्लोरिया पेज उसी संस्थानके एक अन्य कॉलेज में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग इंस्ट्रक्टर के तौर पर कार्यरत थी।

माता पिता दोनों के कंप्यूटर क्षेत्र से होने के कारण इनकी रूचि भी कंप्यूटर साइंस, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस इत्यादि में पहले से थी । जहाँ इनका बचपन बीता कहा जाता है की उस घर में कंप्यूटर साइंस, टेक्नोलॉजी, और अन्य पत्र, पत्रिकाओं और पुस्तकों का जमावड़ा था। जिनकी आवश्यकता इनके माता पिता को पड़ती थी। लैरी पेज ने भी अपने आपको इसी माहौल में पूरी तरह ढाल लिया था ।

यद्यपि इन्हें पढ़ने का भी शौक था, लेकिन इन्होने अपनी युवाअवस्था में संगीत और वाद्य यंत्र भी बजाये थे । चूँकि इनके घर में कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ माहौल था, जिसका सकारात्मक असर इन पर पड़ा, और इनके माता पिता की सतर्कता ने इनके अन्दर रचनात्मकता और अविष्कार को बढ़ावा दिया।

पेज पहली बार एक बच्चे के तौर पर उस कंप्यूटर की ओर आकर्षित हुए थे, जिसे उनके माता पिता ने इस्तेमाल करके छोड़ दिया था। और वे छह साल की उम्र में उस कंप्यूटर से खिलौने के तौर पर खेला करते थे। खेलते खेलते कंप्यूटर के प्रति उनकी रूचि बढती गई और अपने प्राथमिक विद्यालय में वर्ड प्रोसेसर से असाइनमेंट देने वाले वे पहले बच्चे बन गए थे।

अपनी कहानी में वे बताते हैं की उन्हें बहुत कम उम्र से ही इस बात का एहसास हो गया था की उन्हें किसी नई चीज का अविष्कार करना है। यही कारण है की उनकी टेक्नोलॉजी और बिजनेस में रूचि बढती गई। और जब वे मात्र बारह साल के थे तब उन्हें यह स्पष्ट हो गया था की वे अपनी कंपनी शुरू करेंगे।

स्कूल और शिक्षा (Schooling  education of Larry Page)

किसी भी व्यक्ति को बनाने और बिगाड़ने में शिक्षा का अहम् योगदान होता है । इनकी शिक्षा की बात करें तो 2 साल से 7 साल की उम्र तक इन्होने मिशिगन के ओकेमोस में स्थित ओकेमोस मोंटेसरी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की, अब इस स्कूल को मोंटेसरी रेडमूर के नाम से जाना जाता है।

उसके बाद उन्होंने 1991 तक ईस्ट लांसिंग हाईस्कूल से शिक्षा प्राप्त की । और 1995 में मिशिगन विश्वविद्यालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद भी उन्होंने पढाई को जारी रखा और 1998  में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में मास्टर ऑफ़ साइंस की शिक्षा भी पूर्ण की।

जब लैरी पेज मिशिगन विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब इन्होने लाइन प्लॉटर की मदद से एक इंकजेट प्रिंटर बनाया था । और उसके बाद जब इन्होने सोचा की इंकजेट कार्ट्रिज की मदद से बड़े पोस्टर को सस्ते दामों में प्रिंट किया जा सकता है तो उन्होंने इससे रिवर्स किया और इसे चलाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिक्स बनाये।

पीएचडी की पढाई और शोध (Research  PHD)

स्टैंनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जब इन्होने पीएचडी के लिए अपना नामांकन करवा दिया, तो उसके बाद ये एक शोध प्रबंध विषय की तलाश में थे । और इनके दिमाग में वर्ल्ड वाइड वेब के गणितीय गुणों की खोज पर शोध करने पर विचार चल रहा था, और इनका दिमाग इसे एक विशाल ग्राफ के रूप में समझ भी रहा था।

जब इसका आभास इनके पर्यवेक्षक टेरी विनोग्राड को हुआ तो उन्होंने पेज को इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। और स्वयं लैरी पेज ने एक साक्षात्कार में माना की उनके जीवन में यह अब तक की एक सबसे अच्छी सलाह थी ।

इन्होने इस समस्या पर ध्यान केन्द्रित किया की कौन से वेब पेज लिंक्ड किस पेज से जुड़े हुए हैं, इस तरह के बैकलिंक्स में दी गई जानकारी और उनकी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इस पर शोध करना शुरू किया उनके इस शोध परियोजना का नाम ‘’BackRub’’ था । स्टैंन फोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अन्य पीएचडी छात्र सर्गेई ब्रिन ने पेज की शोध परियोजना को ज्वाइन किया।

और इन दोनों ने मिलकर ‘’द एनाटॉमी ऑफ ए लार्ज-स्केल हाइपरटेक्स्टुअल वेब सर्च इंजन’’ एक शोध पत्र लिखा जो इन्टरनेट के इतिहास में उस समय सबसे ज्यादा बार डाउनलोड किया जाने वाला एक साइंस डॉक्यूमेंट बन गया।

कहा यह जाता है की जिस समय लैरी पेज ने BackRub की कल्पना की थी, उस समय वेब में अनुमानित 10 मिनियन डाक्यूमेंट्स शामिल थे और इनके बीच अनगिनत लिंक थे  । इन लिंकों को क्रॉल करने के लिए जो आवश्यक संसाधन चाहिए थे वे छात्रों की परियोजना के बाहर थे। लेकिन इसके बावजूद बिना इसकी परवाह किये की वह क्या कर रहा है पेज ने अपना क्रॉलर बनाना शुरू कर दिया था।

वहाँ पर ब्रिन नाम का एक विद्यार्थी था, जिसे BackRub आकर्षक लगा था और वह भी लैरी पेज के साथ इस प्रोजेक्ट में कूद गया था ।

सर्च इंजन का विकास (Development of Search Engine)

बैकरब के वेब क्रॉलर द्वारा बैकलिंक डेटा भी एकत्र किया जाता था, यह बैकलिंक किस पेज के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इसकी माप के लिए ब्रिन और पेज दोनों ने मिलकर पेज रैंक अल्गोरिदम विकसित किया, और इनको लगने लगा की इनके द्वारा विकसित अल्गोरिदम का इस्तेमाल तब के समय में चल रहे सर्च इंजन जैसे याहू इत्यादि से बेहतर सर्च करने के लिए किया जा सकता है।

यह अल्गोरिदम नई तकनीक का नेतृत्व करता था इसने एक वेब पेज को दुसरे वेब पेज से जोड़ने और उसकी प्रासंगिकता का अच्छे से विश्लेषण किया। इन दोनों को अपने विचारों को धरातल के पटल पर उतारने और उस पर रिसर्च करने के लिए एक कमरे की आवश्यकता थी और इन्होने अपने छात्रावास के एक कमरे को मशीन प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किया।

और इन्होने एक नई डिवाइस बनाने के लिए जिसमें ये अपने सर्च इंजन से जुड़े कामों को चेक कर सकें के लिए पुराने कंप्यूटर के स्पेयर पार्ट का इस्तेमाल किया। जब लैरी पेज का कमरा कंप्यूटर उपकरणों से भर गया तो उसके बाद उन्होंने ब्रिन के छात्रावास कमरे को अपने ऑफिस और प्रोग्रामिंग केंद्र के तौर पर बदल दिया।

जहाँ इन दो कंप्यूटर विज्ञानियों ने अपने नए सर्च इंजन के डिजाईन और अन्य बातों का परीक्षण किया। इन दोनों उद्यमियों ने शुरुआत में अपना सर्च इंजन बनाने के लिए HTML Programming का इस्तेमाल किया वह इसलिए क्योंकि इनके पास कोई वेब पेज डेवलपर मौजूद नहीं था। और उसके बाद उन्होंने कंप्यूटर के किसी भी हिस्से को जो उन्हें लगता था वे उसका इस्तेमाल कर सकते हैं, का इस्तेमाल कंप्यूटिंग पॉवर को बढ़ाने में किया ।

नतीजा यह हुआ की उनका सर्च इंजन स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में लोकप्रिय होने लगा, यही कारण था की अब उन्हें अतिरिक्त सर्वर की आवश्यकता पड़ने लगी । अगस्त 1996 में गूगल का प्रारम्भिक चरण इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था।

लेकिन लैरी पेज और उनके साथी सर्गे ब्रिन को इस परियोजना का आगे बढ़ने का एहसास 1998 में हुआ जब इनके सर्च इंजन में प्रतिदिन 10000 सर्च हुए थे । और वह यह मानकर चल रहे थे की ये कोई स्पैम नहीं बल्कि वास्तविक सर्च थे।

गूगल की स्थापना (Establishment of Google):       

कहते हैं की लैरी और ब्रिन को इस बात का एहसास हो गया था की उनका यह सर्च इंजन बहुत आगे तक जाने वाला है। लेकिन उनके पास सर्वर खरीदने और अन्य खर्चों के लिए पैसे नहीं थे । तो उन्होंने फैकल्टी सदस्यों, दोस्तों, मित्रों, पारिवारिक सदस्यों से याचना करते हुए धन जुटाया, और कुछ सर्वर खरीदकर मेनलो पार्क में अपना गैराज किराये पर लिया।

इसके तुरंत बाद उन्हें एक बड़ी फंडिंग माइक्रोसिस्टम के सह संस्थापक एंडी बेचटोल्शिम से मिली जिन्होंने Google Inc के नाम से 1 लाख डॉलर का चेक काट के दिया । लेकिन समस्या यह थी की Google Inc के नाम से इस समय तक न तो कोई बैंक अकाउंट था और नहीं इस नाम से यह कंपनी रजिस्टर थी। लेकिन दो सप्ताह के अथक प्रयत्न के बाद इन दो युवाओं ने Google Inc नाम से अपनी कंपनी निगमित की।

जहाँ तक कंपनी का गूगल नाम रखने के पीछे लॉजिक है वह यह है की Googol एक ऐसी संख्या को कहा जाता है जिसके 1 के बाद सौ जीरो होते हैं । कम्पनी की स्थापना के बाद लैरी पेज ने गूगल में CEO और ब्रिन ने अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला। और इन दोनों युवाओं की जोड़ी ने क्या धमाल मचाया इसका परिणाम गूगल के रूप में आपके सामने है ।

गूगल की स्थापना के मात्र दो सालों के भीतर ही यह एक अरब इन्टरनेट युआरएल को अनुक्रमित करने वाला सबसे बड़ा एवं व्यापक सर्च इंजन बन गया था ।

पेज ने शुरू में गूगल को कैसे प्रबंधित किया (How larry page manage the Google in its initial stage)     

एक साक्षात्कार में लैरी पेज ने खुद कहा की वर्ष 2001 में वे सभी प्रोजेक्ट मैनेजर को बर्खास्त करने के पक्ष में थे । उनकी योजना में सभी इंजिनियर शामिल थे जो उस समय VP इंजीनियरिंग को रिपोर्ट करते थे। पेज नहीं चाहते थे की किसी इंजिनियर को कोई गैर इंजिनियर सुपरवाइज़ करे वह इसलिए क्योंकि गैर इंजिनियर तकनीकी जानकारी में सिमित हो सकते थे । उन्होंने अपनी टीम के लिए प्रबंधन सिद्धांतों को बनाया और उस पर अमल करने को कहा।

  • वह सब कुछ करें जो आप चीजों को और अधिक तेज और गतिमान बनाने के लिए कर सकते हैं।
  • यदि आप किसी काम में कोई मूल्य नहीं जोड़ रहे हैं, तो जान बुझकर उनके रस्ते में न आएँ । काम करने वालों को काम की बातें करने की खुली छूट दें और आप कुछ और करें।
  • नौकरशाह मत बनिए।
  • सिर्फ इसलिए की कोई आपसे उम्र में कम या जूनियर है वह इसलिए सम्मान पाने का अधिकारी नहीं है यह नहीं हो सकता, आइडियाज उम्र से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
  • किसी को कुछ करने से मत रोकें यही वह सबसे खराब काम है जब आप किसी को कुछ करने से रोकते हैं ।

पेज का यह काम करने का मॉडल भले ही अधिक टिकाऊ नहीं था क्योंकि इससे कर्मचारियों में असंतोष व्यापत हो सकता था । लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने सर्च इंजन को फ़ास्ट और तीव्र बनाने के लिए लगातार इंजिनियरों को निर्देशित और प्रोत्साहित किया।     

पुरस्कार और सम्मान (Lary Page Awards & Honor)

सालसम्मान देने वाले का नामकिसके लिए
वर्ष 1998PC Magazineशीर्ष सौ वेबसाइट और सर्च इंजन
वर्ष 1999PC Magazineवेब अनुप्रयोग विकास में नवाचार के लिए तकनीकी उत्कृष्टता पुरस्कार
वर्ष 2000PC Magazineवेबी अवार्ड
वर्ष 2001PC Magazineतकनीकी उपलब्धि के लिए पीपुल्स वॉयस अवार्ड
वर्ष 2002World Economic Forumकल के लिए वैश्विक नेता
वर्ष 2003IE Business Schoolएमबीए की उपाधि
वर्ष 2004Columbia Universityमार्कोनी फाउंडेशन प्राइज
वर्ष 2004American Academy of Achievementगोल्डन प्लेट अवार्ड
वर्ष 2008Prince Felipeकम्युनिकेशन अवार्ड
वर्ष 2009University of Michiganडॉक्टरेट उपाधि
वर्ष 2015Forbesअमेरिका का सबसे लोकप्रिय चीफ एग्जीक्यूटिव

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