रजनीगंधा की खेती कैसे शुरू करें | Tuberose Farming In Hindi.

क्या आपने रजनीगंधा की खेती के बारे में सुना है, जी हाँ यदि आपको पहचानने में तकलीफ का अनुभव हो रहा है तो आपको बता दें हम उसी रजनीगंधा की बात कर रहे हैं जिसे अंग्रेजी में Tuberose कहा जाता है, और इसकी खेती अर्थात उत्पादन करने की प्रक्रिया को Tuberose Farming या Rajanigandha Farming कहा जाता है |

अक्सर आपने अपने जीवन में काफी बार बहुत सारे लोगों के मुहं से फूलों की खेती के बारे में चर्चाएँ सुनी होंगी जिसमे व्यक्ति फूलों की खेती को बेहद लाभदायक बिज़नेस बताते नहीं थकता है, जी बिलकुल फूलों की खेती की यदि हम बात करें तो यह होती ही लाभदायक है |

लेकिन इस बिज़नेस को लाभदायक बनाने में उगाने अर्थात खेती किये जाने वाले फूल के चयन करने की प्रक्रिया का अहम् योगदान होता है | अर्थात उद्यमी को इस बात का ध्यान रखना पड़ता है की किस प्रकार के फूल का उत्पादन वह कम लागत में कर सकता है | ऐसे ही फूलों अर्थात कम लागत में होने वाले फूलों की लिस्ट में शामिल है यह रजनीगंधा की खेती का व्यवसाय |

रजनीगंधा की खेती tuberose farming

रजनीगंधा की खेती या फार्मिंग क्या है:

हालांकि जैसा की इसके नाम से ही स्पष्ट है रजनीगंधा का अंग्रेजी में अर्थ ‘’Night Fragrant’’ यानि रातों को सुगन्धित कर देने वाला होता है | और इसका अंग्रेजी नाम भी इस फूल की आकृति को देखते हुए ही पड़ा चूँकि यह फूल ट्यूब की आकृति का होता है इसलिए इसे Tuberose कहा जाता है | रजनीगंधा का अधिकतर उपयोग खुशबूदार तेलों के निर्माण एवं माला इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है | लेकिन इसके अलावा रजनीगंधा के फूल का उपयोग इत्र उद्योग एवं कुछ दवाइयां बनाने में भी किया जाता है |  

इसका उपयोग सूजाक (Gonorrhea) नामक यौन रोग जिसमे मूत्रमार्ग या योनि से उत्तेजक पदार्थ निकलता है के उपचार में किया जाता है | इसके अलावा रजनीगंधा के कुछ बल्बों को हल्दी एवं मक्खन के साथ मिलाकर छोटे बच्चों के जन्मजात लाल Pimples पर लगाने से इस समस्या को भी दूर किया जा सकता है |

यही कारण है की रजनीगंधा नामक इस फूल की मांग हमेशा किसी न किसी आवश्यकतानुसार बनी रहती है | इसी आवश्यकता को ध्यान में रकते हुए जब किसी उद्यमी द्वारा रजनीगंधा के फूलों का उत्पादन किया जाता है तो उसके द्वारा किये जाने वाले उस व्यवसाय को रजनीगंधा की खेती या फार्मिंग कहा जाता है |

 उपयोग एवं बाज़ार में अवसर :

यद्यपि हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की रजनीगंधा के फूलों का उपयोग इत्र उद्योग के अलावा कलात्मक हार, फूलों के गहने, गुलदस्ते, गजरे इत्यादि के तौर पर भी किया जाता है |

Tuberose नामक यह फूल एक लोकप्रिय कटा हुआ फूल होता है, जिसे केवल कुछ इवेंट एवं व्यवस्थाओं के मद्देनज़र ही उपयोग में नहीं लाया जाता बल्कि इसका उपयोग व्यक्तिगत तौर पर भी गुलदस्ते, boutonnieres इत्यादि में सुगंधी के लिए इसका उपयोग किया जाता है |

यह पुष्प कामुकता का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए इसे एरोमाथेरेपी में भी उपयोग में लाया जाता है इसके अलावा इस पुष्प की सुगंधी में दिल खोलने, नसों को शांत करने, आनंद, शांति एवं सौहार्द स्थापित करने की क्षमता होती है | खुशबूदार तेलों एवं अन्य सुगन्धित योगिकों में इसका उपयोग बहुत पहले से प्रचलन में रहा है |

उपर्युक्त वाक्यों से स्पष्ट है की रजनीगंधा के फूलों का उपयोग किसी एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए नहीं बल्कि अनेकों उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किया जाता है इसलिए इसकी उपयोग होने की संभावना हमेशा अधिक रहती है |

और जिस वस्तु की बाज़ार में डिमांड अधिक होती है स्वभाविक है की वह अन्य उत्पादों के मुकाबले सरलता से बिकती है | इसलिए किसी भी उद्यमी के लिए रजनीगंधा की खेती या Rajnaigandha Farming करना फायदेमंद हो सकता है |

रजनीगंधा की खेती देश विदेश में कहाँ कहाँ होती है :

रजनीगंधा की खेती यानिकी Tuberose Farming भारत, चीन, egypt, अमेरिका, ताइवान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोरक्को, फ्रांस, इटली इत्यादि देशों में की जाती है |

जहाँ तक भारत में रजनीगंधा की खेती का सवाल है इसका व्यवसायिक रूप से उत्पादन पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर, रानाघाट, पंसकुरा, मिदनापुर, कोलाघाट, बेगनान में, महाराष्ट्र के ठाणे, अहमदनगर, सांगली, पुणे, नाशिक में, तमिलनाडु के कोयम्बटूर, मदुराई में, आन्ध्र प्रदेश के चितूर, गुंटूर, पूर्वी गोदावरी, कृष्णा में, कर्नाटक राज्य के belgaum, कोलर, टुमकुर, mysore में, असम राज्य के गुवाहाटी, जोरहट में, राजस्थान राज्य के जयपुर, अजमेर, उदयपुर में, गुजरात के नवसारी और वलसाड़ में, और उत्तर प्रदेश एवं पंजाब के कुछ भागों में भी रजनीगंधा की खेती की जाती है |

रजनीगंधा की खेती कैसे करें (Rajanigandha Farming Kaise Shuru Kare) :

रजनीगंधा की खेती करने के लिए सर्वप्रथम उद्यमी को इस व्यवसाय समबन्धि कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि उद्यमी सफलतापूर्वक इसकी खेती करने में सक्षम हो सके |

हालांकि इसकी खेती करने से सम्बंधित सैकड़ों उपयोगी बातें होंगी, जिनका वर्णन हम सिलसिलेवार तरीके से अपने आगे प्रकाशित होने वाले लेखों में करेंगे | इस लेख में Tuberose farming सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां नीचे दी गई हैं |

1. खेती के लिए उपयुक्त मिटटी एवं जलवायु (Soil and Climatic requirement):

रजनीगंधा की खेती उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों एवं समशीतोष्ण क्षेत्रों में करना उपयुक्त माना गया है | रजनीगंधा का पौधा एक खुली धूप वाले स्थान में उगने में सक्षम होता है इसलिए कोई ऐसा खेत जहाँ पेड़ों की छाया न पहुँचती हो में इसका उत्पादन किया जा सकता है | कहने का आशय यह है की रजनीगंधा की खेती अर्थात Tuberose Farming के लिए गरम एवं आर्द्रता वाली जलवायु की आवश्यकता होती है |

भारत में व्यवसायिक रूप से Rajanigandha farming गरम एवं आर्द्रता वाले क्षेत्रों में की जाती है इसकी खेती करने के लिए 20° से 30° औसत तापमान की आवश्यकता हो सकती है | 40° C से ऊपर का तापमान फूलों की बाल की लम्बाई एवं फूल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है और बहुत कम तापमान एवं ठण्ड की घटनाएँ पौंधों को नुकसान पहुंचा सकती है | रजनीगंधा का पौधा खुली धूप में अच्छी तरह उगाया जा सकता है इसलिए छायादार या अर्ध छायादार क्षेत्र में इसे नहीं उगाना चाहिए |

जहाँ तक रजनीगंधा की खेती में उत्पादन बढ़ने एवं घटने का सवाल है इसके पीछे आर्द्रता एवं तापमान दो मुख्य करक हो सकते हैं | जहाँ तक रजनीगंधा की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी का सवाल है यह विभिन्न प्रकार की मिटटी रेतीली दोमट से लेकर चिकनी दोमट तक में की जा सकती है |

Tuberose Farming सफलतापूर्वक उन मिट्टी में भी एक व्यावसायिक खेती के रूप में की जा सकती है जो बेहतर कृषि संबंधी प्रथाओं को अपनाये जाने पर लवणता और क्षारीयता की स्थिति से प्रभावित होती हैं | रजनीगंधा की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी लगभग 45 सेमी. गहरी, अच्छी तरह सूखी हुई, कार्बनिक पदार्थों से समर्द्ध, एवं नमी वाले पोषक तत्वों से भरपूर होनी चाहिए । मिटटी का pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए |

2. रजनीगंधा की खेती के लिए कैसे खेत का चुनाव करें:

जैसा की अब तक के इस लेख के माध्यम से हम जान चुके हैं की रजनीगंधा का पौधा सूरज की रौशनी से प्यार करने वाला पौधा होता है अर्थात इसको उगाने के लिए सूरज की रोशनी जरुरी होती है | इसलिए रजनीगंधा की खेती करने के इच्छुक उद्यमी को ऐसी साइड अर्थात खेत का चुनाव करना चाहिए जहाँ पौधों की बढ़ोत्तरी के साथ साथ उन्हें सूरज की रौशनी उपयुक्त मात्रा में मिलती रहे |

खेत की मिटटी में पर्याप्त नमी ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिए | एक ऐसी जगह या खेत जो गरम या ठंडी हवा के तेज लहरों से सुरक्षित हो को इस प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त माना जा सकता है |

3. खेती के लिए खेत की तैयारी:

रजनीगंधा की खेती के लिए खेत को तैयार करने की आवश्यकता होती है जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके है मिटटी की गहराई लगभग 45 सेमी. तक होनी चाहिए | इसलिए इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुँचाने के लिए उद्यमी को यह खेत दो तीन बार जोतना पड़ सकता है | पहली बार खेत को जनवरी में जोता जा सकता है |

उसके बाद उस खेत को 15 दिन के लिए सूर्य की रौशनी में ज्यों का त्यों छोड़ दिया जाता है ताकि मिटटी में उपलब्ध अनावश्यक कीट, पतंगे नष्ट हो जाएँ | दूसरी बार खेत को पौधे लगाने के एक महीने पहले किया जा एकता है | दूसरी जुताई के समय  50 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह से सड़ी हुई खेत की खाद को मिट्टी में शामिल किया जा सकता है ।

4. रजनीगंधा की खेती कब की जाती है

रजनीगंधा की खेती के लिए अच्छी तरह से विकसित स्पिंडल आकृति का बल्ब, 1.5 सेमी. बाहरी पारधी व्यास के साथ रोपण करने के लिए आदर्श माना जाता है | सामान्य तौर पर मैदानी इलाकों में मार्च –अप्रैल एवं पहाड़ी इलाकों में अप्रैल- मई में रजनीगंधा के पौधे लगाये जाते हैं | कुछ इलाकों में जुलाई –अगस्त में भी इसके बल्ब लगाये जा सकते हैं |

पूरे वर्ष रजनीगंधा की खेती करके फूलों का उत्पादन  करने के लिए क्रमानुसार रोपण का अभ्यास किया जा सकता है | ताजा कटी फसल से उत्पादित रजनीगंधा के बल्बों को कम से कम् 4-5 सप्ताह बाद प्लांटिंग के लिए उपयोग में लाया जा सकता है |

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