वर्तमान में गौतम अडानी सिर्फ भारत के ही नहीं अपितु पूरे एशिया के सबसे अमीर आदमी बन चुके हैं। हालांकि अमीरों की लिस्ट में नाम ऊपर नीचे होते रहते हैं। लेकिन गौतम अडानी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक जानकारी साझा करते हुए, अडानी ग्रुप के शेयरों में उछाल ला दिया।
जी हाँ एशिया के सबसे अमीर आदमी गौतम अडानी ने अपने ट्वीट में जानकारी देते हुए इस बात की ख़ुशी प्रकट की, की उन्होंने अपने व्यवसायिक सहयोगी गैडोट के साथ इजराइल के हाइफा पोर्ट के निजीकरण की बोली को जीत लिया है। यानिकी अब इस पोर्ट की जिम्मेदारी अडानी ग्रुप और उसका सहयोगी गैडोट संभालेंगे।
भारत में तो इस सख्स का दबदबा पहले से ही रहा है, लेकिन अब विदेशों में भी गौतम अडानी अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं। इसी सिलसिले में उनके हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है। दरसल इजराइल की सरकार वहाँ के ऐतिहासिक हाइफा पोर्ट का प्राइवेटाइजेशन करना चाहती थी। इसके लिए उसने दुनियाभर की कंपनियों को इसमें प्रतिभाग के लिए आवेदन किया था।

जिसमें गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रुप ने भी हिस्सा लिया था । और अब खबर यह है की अडानी ग्रुप ने अपने सहयोगी गैडोट के साथ यह बोली जीत ली है। और जैसे ही यह खबर इजराइल सरकार के अधिकारिक चैनल द्वारा प्रकाशित की गई वैसे ही अडानी पोर्ट के शेयरों में वृद्धि देखी गई ।
कितने की बोली में हुई डील फाइनल
जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की जैसे ही इजराइल सरकार ने अपने सबसे बड़े और ऐतिहासिक पोर्ट हाइफा पोर्ट के प्राइवेटाइजेशन का फैसला लिया, वैसे ही उसने दुनियाभर की कंपनियों को इसमें बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया ।
लेकिन यह डील अडानी ग्रुप ने अपनी सहयोगी लोकल केमिकल और लोजिस्टिक ग्रुप गैडोट के साथ जीत ली। जानकारी के मुताबिक यह डील लगभग 4.1 बिलियन शेकेल में संपन्न हुई, जो की 1.18 बिलियन डॉलर के बराबर है।
और यदि इसे भारतीय रुपयों में बदल दिया जाय तो यह डील लगभग 9500 करोड़ रुपयों में पूरी हुई। इजराइल का हाइफा पोर्ट भूमध्यसागर तट पर स्थित सबसे बड़ा पोर्ट है।
दोनों सहयोगी में कितनी कितनी हिस्सेदारी होगी
इस डील को अडानी पोर्ट्स ऑफ़ इंडिया और उसके सहयोगी गैडोट जो इजराइल में केमिकल और लोजिस्टिक ग्रुप है, ने जीता। अब सवाल यह उठता है की इस पोर्ट में किसको कितनी हिस्सेदारी मिलेगी। तो आपको बता दें की अडानी पोर्टस ऑफ़ इंडिया के पास 70% की हिस्सेदारी और गैडोट के पास 30% की हिस्सेदारी होगी ।
चूँकि अडानी के पास पोर्ट्स की 70% हिस्सेदारी है, इसलिए पोर्ट का असली मालिक अडानी पोर्ट्स ऑफ़ इंडिया ही होगा। और जानकारी के मुताबिक अडानी पोर्ट्स ऑफ़ इंडिया और गैडोट 2054 तक यानिकी अगले 32 सालों तक हाइफा पोर्ट का कार्यभार संभाले रहेंगे।
इस डील के बारे में गौतम अडानी ने क्या कहा
सबसे पहले इस डील की पूर्ण होने की जानकारी इजराइल सरकार द्वारा दी गई। और उसके बाद गौतम अडानी ने भी अपने ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए खुशी प्रकट की। उन्होंने लिखा की ‘’ अडानी पोर्टस इंडिया को अपने सहयोगी गैडोट के साथ हाइफा बंदरगाह के प्राइवेटाइजेशन की बोली को जीतकर बहुत ख़ुशी हुई है।
यह भारत और इजराइल दोनों देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हमें उस हाइफा पोर्ट का हिस्सा बनते हुए गर्व हो रहा है जहाँ वर्ष 1918 में भारतीयों ने कैवलरी चार्जेज में में से अगुवाई कर नेतृत्व प्रदान किया था। हालांकि अडानी पोर्ट्स ऑफ़ इडिया की जिम्मेदारी गौतम अडानी के बेटे करन अडानी संभाल रहे हैं।
हाइफा प्राइवेटाइजेशन को लेकर इजरायल का क्या कहना है
इस मौके पर इजरायल के वित्त मंत्री एविगडोर लिबरमैन का कहना है की ‘’ इजरायल के सबसे बड़े पोर्ट हाइफा के प्राइवेटाइजेशन से बंदरगाहों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिसका फायदा सीधे लोगों को होगा।
लोगों के जीवन यापन की लागत कम होगी, और हमें उम्मीद है की इससे आयात करने की कीमतों में भी कमी आएगी। इसके अलावा बंदरगाहों की प्रक्रिया में जो लम्बा समय लगता है, उस समय को कम करने में भी मदद मिलेगी।
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