दीपक पाटीदार की बकरी पालन व्यवसाय में सफलता की कहानी ।

बकरी पालन व्यवसाय में सफलता की कहानी में आज हम दीपक पाटीदार की बात करेंगे, यदि कोई व्यक्ति Goat Farming बिज़नेस करने की सोचता है, तो उसकी उस business के प्रति कुछ अपेक्षाएं होती हैं । इनमे मुख्य रूप से आजीविका चलाना, इतनी Kamai करने की अपेक्षा रखना की पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन हो सके, और किसी दुसरे के अधीन नौकरी न करने की लालसा इत्यादि होती हैं।

यह कहानी (Story) भी एक ऐसी ही व्यक्ति की है, जिसने शायद इस बिज़नेस की शुरुआत इन्ही सब बातों के मद्देनज़र की हो। कहते हैं की कठिनाइयाँ, चुनौतियाँ हर बिज़नेस में आती हैं, और ये अक्सर बिज़नेस के शुरूआती दौर में आती हैं । यही वह समय होता है, जब या तो बिज़नेस करने वाला व्यक्ति इन कठिनाइयों, चुनौतियों से हार मान लेता है, या इनका डटकर सामना करके आगे बढ़ता जाता है।

आज हम एक ऐसे ही व्यक्ति की बात करेंगे जिन्होंने अनेक कठिनाइयों, चुनौतियों का सामना  करके अपने बकरी पालन व्यवसाय को success बनाया है । जी हाँ दोस्तों, जिस व्यक्ति की हम यहाँ पर बात कर रहे हैं उनका नाम है दीपक पाटीदार । कृषि में BSC करने के बावजूद दीपक पाटीदार को इनके 15 सालों के गोट फार्मिंग बिजनेस में अनेकों कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा ।

एक बार तो बहुत अधिक आर्थिक हानि उठाने के कारण उनके मन में इस बिज़नेस को छोड़ने का विचार आया था । लेकिन यहाँ पर केंद्रीय बकरी अनुसन्धान द्वारा दी गई मदद और सलाह उनके लिए ‘’ डूबते को तिनके का सहारा’’ साबित हुई । और वे फिर से अपने बिज़नेस को नई दिशा देने में कामयाब हुए।

दीपक पाटीदार की बकरी पालन व्यवसाय में सफलता की कहानी

दीपक पाटीदार की Early Life :

दीपक पाटीदार का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के धार जिले के एक गांव में हुआ था । इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कक्षा 5 तक की पढाई गाँव के ही एक सरकारी स्कूल में की । उसके बाद दीपक पाटीदार आगे की पढाई करने हेतु इंदौर चले गए थे। और वही इन्होने अपने आगे की  शिक्षा पूरी की । इंदौर के कृषि महाविद्यालय से इन्होने सन 2000 में कृषि स्नातक की डिग्री प्राप्त की । कृषक परिवार में जन्मे दीपक पाटीदार का हमेशा से कृषि सम्बन्धी कामो और व्यवसायों में झुकाव रहा । जिसका असर इनके द्वारा ग्रहण की गई शिक्षा पर भी दीखता है ।

इन्होने BSC की डिग्री कृषि विषय पर ही ली । दीपक पाटीदार के अनुसार उनका बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने का मूल कारण यह था, की बकरियों को लोग अक्सर नकद पैसे देके खरीदते हैं। और यह कृषि आधारित व्यवसाय होने के साथ साथ ज़ीरो मार्केटिंग वाला व्यवसाय भी था।

वर्ष 2000 में दीपक पाटीदार ने केंद्रीय बकरी अनुसन्धान संस्थान उत्तरप्रदेश द्वारा आयोजित Training में हिस्सा लेकर, ट्रैनिंग ली । और वर्ष 2001 से बकरी पालन व्यवसाय में प्रवेश किया। बकरी पालन प्रारम्भ करने के सात सालो बाद अर्थात वर्ष 2008 में केंद्रीय बकरी अनुसन्धान संसथान ने दीपक पाटीदार को बकरी पंडित नामक पुरस्कार से अलंकृत किया।

दीपक पाटीदार का बकरी पालन में अनुभव:

दीपक पाटीदार के अनुसार उनके द्वारा प्रारम्भ में अर्थात शुरू में बकरी की लोकल नस्ल का पालन किया गया। लेकिन कुछ लाभकरी और अच्छे परिणाम नहीं निकले। दीपक पाटीदार ने लगभग डेढ़ वर्ष तक बड़ी मुश्किलों का सामना किया, यहाँ तक की बकरी पालन व्यवसाय में उन्हें नुकसान तक हुआ। जिसके चलते उन्हें आर्थिंक हानि उठानी पड़ी। अब उनके मन में आया की यह व्यवसाय बंद कर दें, और कोई और व्यवसाय करें। उन्हें लगने लगा था की बकरियों को शेड (Shed) के अंदर पालना बहुत कठिन है।

लेकिन जब उन्होंने केंद्रीय बकरी अनुसन्धान संस्थान के वैज्ञानिकों से संपर्क किया। तो उन्होंने उनको प्रोत्साहित किया, और उनका मनोबल बढ़ाया। और उन वैज्ञानिकों की बात मानकर दीपक पाटीदार ने फिर से अपने बकरी पालन बिज़नेस को एक नया रूप देकर व्यवसाय शुरू करने की ठानी। दीपक पाटीदार के अनुसार उस स्थिति में संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा जो सुझाव दीपक पाटीदार को दिए गए उनमे से कुछ मुख्य सुझाव और सहायता निम्न हैं ।

  • बकरी की नस्ल में परिवर्तन करके किसी भारतीय नस्ल की बकरियों को फार्म का हिस्सा बनाना।
  • उन्नत किस्म की नस्ल की बकरियों का पालन करने के साथ breeding फार्म ।
  • Goat Farm के उत्पादन अर्थात बकरियों को जीवित भार के आधार पर बेचना ।
  • अपने उत्पादन हेतु मार्केटिंग करना ।
  • उस क्षेत्र में निवासित सभी छोटे बड़े बकरी पालन करने वाले लोगो को मिलकर काम करने की सलाह ।
  • संस्थान के स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर बकरी की बिमारियों समबन्धी रोगों का उपचार ।
  • बकरी की नस्ल में सुधार करने Breeding हेतु संस्थान द्वारा बीजू बकरे प्रदान किये गए ।
  • दीपक पाटीदार ने अपने फार्म के लिए सिरोही नस्ल को चयनित किया जिसे उन्हें इस व्यवसाय में लाभ हुआ ।
  • संस्थान द्वारा दी गई मदद से बकरी और बकरों की मृत्यु दर काफी कम हो गई । और नस्ल बदलने से आर्थिक लाभ बी प्राप्त हुआ ।

बकरी पालन में हासिल उपलब्धियाँ:

वर्तमान में दीपक पाटीदार के फार्म में अलग अलग नस्लों जैसे सिरोही, बरबरी, जमुनापारी, जखराना इत्यादि की 500 बकरियाँ हैं। जिन्हे ये अपने ग्राहकों को उनके जीवित भार के अनुसार 350 से 500 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं। उनके आस पास जितने भी अन्य बकरी पालक हैं, दीपक पाटीदार की कोशिश रहती है, की वो भी अपनी बकरियों में बीजू बकरों के माध्यम से गर्भधारण कराएं। ताकि बकरी की अच्छी उत्पादकता वाली नस्ल पैदा हो सके।

इसके अलावा अन्य बकरी पालकों को बकरी की बीमारियों हेतु दवाइयों, टीकाकरण, डी वार्मिंग इत्यादि में दीपक पाटीदार सहायता प्रदान करते रहते हैं। इनके फार्म का मुख्य उद्देश्य अन्य बकरी पालकों को पशु पालन विभाग द्वारा संचालित योजनाओं और NGO’s के बारे में अवगत कराना, और उनकी सहायता करना है।

साथ ही साथ दीपक बकरी पालन करने वाले इच्छुक व्यक्तियों को प्रशिक्षण भी देते हैं। अब तक इनके फार्म में लगभग 5000 लोग भ्रमण कर चुके हैं। जिन उपर्युक्त सेवाओं की हम बात कर रहे हैं इन सबके बदले दीपक पाटीदार शुल्क लेते हैं। अपने उत्पाद एवं सेवा के ऑनलाइन प्रचार प्रसार हेतु दीपक ने एक वेबसाइट goatwala.com बनायीं है ।

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