दूरस्थ शिक्षा (Distance Education) क्या है? इसके फायदे एवं नुकसान।

Distance Education की यदि हम बात करें तो इसका साफ़ एवं स्पष्ट अर्थ दूरस्थ शिक्षा से लगाया जाता है। जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की आज तकनिकी एवं विज्ञान की प्रगति के कारण दुनिया बेहद छोटी हो गई है। कहने का आशय यह है की जहाँ पहले मनुष्य अपने गाँव, शहर, राष्ट्र तक ही सिमित था वर्तमान में इन्टरनेट के बढ़ते प्रचलन के कारण कोई भी मनुष्य दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से मिनटों में संपर्क कर सकता है। इसलिए कहा जा सकता है की वास्तव में टेक्नोलॉजी ने दुनिया को सिकोड़ दिया है और इसने दैनिक जीवन के हर एक पहलू को प्रभावित किया है।

मानव जीवन का शायद ही कोई पहलू इससे अछुता रहा हो। Distance Education भी एक ऐसा ही पहलू है जिसमें टेक्नोलॉजी ने वास्तव में बहुत बड़ा बदलाव किया है। यहाँ तक की टेक्नोलॉजी की मदद से आज कोई व्यक्ति देश के दूरस्थ एरिया से भी वो सब कुछ सीख सकता है जो वह कॉलेज की कक्षा में बैठकर सीख सकता है।

इसमें कोई दो राय नहीं की Distance Education ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के तरीकों को बदल दिया है यही कारण है की यह शिक्षा पद्यति लोगों के बीच काफी प्रचलित भी है और लोग इसके बारे में और अधिक जानना भी चाहते हैं। इसलिए इससे पहले की आप दूरस्थ शिक्षा से जुड़ने की योजना बनायें उससे पहले आपको इसके फायदों एवं नुकसान के बारे में जानना आवश्यक हो जाता है ताकि उसी आधार पर आप निर्णय ले पाने में सक्षम हो सकें।  लेकिन उससे पहले हम यह जान लेते हैं की यह शिक्षा प्रणाली है क्या?

Distance Education kya hai fayde nuksan
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दूरस्थ शिक्षा क्या है? (What is Distance Education):

Distance Education या दूरस्थ शिक्षा एक ऐसी प्रणाली है जिसमें विद्या ग्रहण करने वाले विद्यार्थी को शारीरिक तौर पर स्कूल में उपलब्ध होने की आवश्यकता नहीं होती है। यही कारण है की इस तरह की यह शिक्षा प्रणाली नौकरीपेशा लोगों जिनके पास नियमित तौर पर स्कूल कॉलेज जाने का समय नहीं होता है उनके बीच काफी प्रचलित है। वैसे देखा जाय तो पहले यह शिक्षा पद्यति पत्राचार के माध्यम से इस्तेमाल में लायी जाती थी जिसमें स्कूल एवं छात्र के बीच पोस्ट के माध्यम से पत्राचार होता था।

लेकिन वर्तमान में इसमें ऑनलाइन एजुकेशन शामिल है और छात्र एवं कॉलेज के बीच इन्टरनेट के विभिन्न माध्यमों से संपर्क तो होता ही है साथ में ई बुक, ऑनलाइन क्लास जैसी फैसिलिटी भी स्कूल द्वारा छात्रों को दी जाती है। वैसे देखा जाय तो एक Distance Education पूर्ण रूप से डिस्टेंस या फिर कुछ डिस्टेंस एवं कुछ क्लासरूम का भी हिस्सा हो सकती है।

डिस्टेंस एजुकेशन के फायदे (Advantage of Distance Education )

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की Distance Education के एक नहीं बल्कि अनेकों फायदे हैं शायद यही कारण है की लोगों के बीच यह शिक्षा पद्यति काफी प्रचलित हो रही है। तो आइये जानते हैं इसके कुछ प्रमुख फायदों के बारे में।

1. कहीं से भी कभी भी अध्यन (You Can study from anywhere in Distance Education Mode)

इस शिक्षा पद्यति का जो सबसे प्रमुख फायदा है वह यह है की इसके माध्यम से विद्यार्थी कहीं से भी कभी भी अध्यन कर सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप देश के किस कोने में निवास करते हैं आप कोई भी कोर्स ज्वाइन करके अध्यन शुरू कर सकते हैं। यहाँ तक की किसी अंतराष्ट्रीय स्कूल द्वारा ऑफर किये गए पाठ्यक्रम को भी इच्छुक विद्यार्थी अन्य देश में रहकर भी आसानी से ज्वाइन कर सकता है। आप इस ब्रह्मांड में कहीं भी निवास कर रहे हों आप वहीँ से Distance Education के माध्यम से जानकारी एवं ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

2. टाइम में फ्लेक्सिबिलिटी

आम तौर पर यह शिक्षा पद्यति विद्यार्थियों को समय में लचीलापन प्रदान करती है जिसका मतलब यह है की विद्यार्थी पाठ्यक्रम का समय अपनी सुविधानुसार चयन कर सकते हैं। यदि अध्यन करने के इच्छुक विद्यार्थी के पास दिन में समय नहीं है तो वह रात में पढाई कर सकता है या फिर किसी और समय में भी वह यह कर सकता है । बस उसे यह सब करने के लिए एक कंप्यूटर एवं इन्टरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है। आपको कहीं भी जाकर कुछ भी सबमिट करने की आवश्यकता नहीं होती है और चूँकि वर्तमान समय में समय का बड़ा महत्व है इसलिए Distance Education ज्वाइन करके इसे बचाया जा सकता है।

3. कोर्स के लिए आवागमन की आवश्यकता नहीं

जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में शहरों में आवागमन करने में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । सार्वजनिक परिवहन के सभी साधन जैसे रेलों, बसों, रिक्शों, मेट्रो इत्यादि में भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है। इसलिए Distance Education का यह फायदा है की इसमें आवागमन की आवश्यकता नहीं होती है।

यदि आपके पास कंप्यूटर एवं इन्टरनेट कनेक्शन है तो मान के चलिए की आपके लिए आपका पूरा कॉलेज आपका बेडरूम होगा। इसमें कोई दो राय नहीं की आवागमन में विद्यार्थी का एक बड़ा समय बर्बाद हो जाता है केवल समय ही नहीं बल्कि उर्जा का भी ह्रास होता है। जबकि दूरस्थ शिक्षा में ऐसा नहीं होता है।

4. चयन करने के लिए बहुत सारे स्कूल एवं कॉलेज    

Distance Education का अगला फायदा यह है की इस प्रणाली में विद्यार्थी के पास चयन करने के लिए अनेकों स्कूल एवं कॉलेज होते हैं जिनमें से विद्यार्थी स्कूल एवं कॉलेज का चयन कर सकता है। यही कारण है की कॉलेज का चयन करने में विद्यार्थी को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी एक ऐसी बड़ी एवं महान यूनिवर्सिटी है जिसके माध्यम से देश के सैकड़ों हजारों विद्यार्थी प्रति वर्ष शिक्षा ग्रहण करते हैं। सिर्फ इग्नू ही नहीं देश में इसी तरह की अन्य यूनिवर्सिटीज भी हैं जिनके माध्यम से इच्छुक व्यक्ति दूरस्थ शिक्षा ग्रहण कर सकता है।

5. कम लागत में अध्यन (Distance Education is More Affordable)

इसमें कोई दो राय नहीं की Distance Education के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने में नियमित स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करने की तुलना में कम खर्चा आता है। कहने का आशय यह है की एक डिस्टेंस कॉलेज ज्वाइन करने में रेगुलर कॉलेज ज्वाइन करने की तुलना में कम लागत खर्च करनी पड़ती है। इसलिए यदि आप एक गरीब परिवार से हैं और रेगुलर कॉलेज जाने की फीस देने में असमर्थ हैं तो आपके लिए दूरस्थ शिक्षा एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

6. काम के साथ सीखना (Learn When You Earn)

यदि आप कही नौकरी कर रहे हैं और इसके साथ साथ अपनी पढाई भी जारी रखना चाहते हैं तो आपके लिए Distance Education एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। क्योंकि अपनी ड्यूटी टाइम के बाद आप पढाई कर सकते हैं इसलिए यदि आप दिन में कहीं काम करते हैं तो रात में अध्यन कर सकते हैं।

और यदि रात में काम करते हैं तो दिन में अध्यन का समय निकाल सकते हैं। शायद यही कारण है की इस तरह की यह शिक्षा पद्यति नौकरीपेशा लोगों में ही सबसे अधिक प्रचलित है क्योंकि यह शिक्षा पद्यति बिना उनकी नौकरी को प्रभावित किये हुए उन्हें पढाई जारी रखने का विकल्प मुहैया कराती है।

7. अपनी सीखने की क्षमता का भरपूर इस्तेमाल 

Distance Education में विद्यार्थी को पता रहता है की उसे किसी भी टॉपिक को समझाने वाला एवं बताने वाला कोई नहीं होगा। इसलिए वह अपनी क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए प्रयासरत रहता है और इसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिलती है। जिस प्रकार क्लासरूम में अनेक बच्चे होते हैं और शिक्षक हर बच्चे की क्षमतानुसार उसे समय नहीं दे सकते जबकि इस शिक्षा पद्यति में विद्यार्थी अपनी क्षमतानुसार अपने को समय दे सकता है रुक सकता है और जब एक विषय समझ में आ जाए फिर आगे बढ़ सकता है।

8. नियोक्ताओं एवं कम्पनियों के बीच मान्यता (Recognition of  Distance education )  

वैसे देखा जाय तो जब भी कोई व्यक्ति Distance Education ज्वाइन करने की सोचता है तो उसके दिमाग में सबसे पहला प्रश्न यही आता है की जो शिक्षा वह दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त करेगा उसकी कोई वैल्यू होगी या नहीं अर्थात उसकी कोई मान्यता होगी या नहीं। यह एक ऐसा प्रश्न है जो इस तरह की शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हर विद्यार्थी के दिमाग में कौंधता है। लेकिन बीतते कुछ वर्षों में दूरस्थ शिक्षा ने नियोक्ताओं एवं कम्पनियों के बीच जो मान्यता प्राप्त की है उसे देखते हुए इस शिक्षा प्रणाली के प्रति लोगों की शंकाएं काफी हद तक कम हुई हैं।

एक जानकारी के मुताबिक भारत में, डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल (डीईसी) द्वारा अनुमोदित सभी दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम केंद्र सरकार के अधीन पदों और सेवाओं हेतु रोजगार के उद्देश्य के लिए स्वचालित रूप से मान्यता प्राप्त हैं। यही कारण है की निजी क्षेत्र की कम्पनियां एवं नियोक्ता भी किसी यूजीसी अप्रूवड दूरस्थ शिक्षा इंस्टिट्यूट से प्राप्त की गई डिग्री को मान्यता देने लगे हैं । और यही कारण है की Distance Education लोगों को अपनी नौकरी के साथ साथ अपनी पढाई भी जारी करने की दिशा में प्रोत्साहित करती है।  

डिस्टेंस एजुकेशन के नुकसान (Disadvantages of Distance Education)

जहाँ Distance Education नौकरीपेशा लोगों, फुल टाइम कोर्स कर रहे विद्यार्थियों इत्यादि को अपनी पढाई जारी रखने का अवसर प्रदान करती है। वहीँ इस शिक्षा प्रणाली के कुछ नुकसान भी हैं जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

1. व्याकुलता की अधिक संभावना

चूँकि इस शिक्षा प्रणाली के तहत व्यक्ति अपने घर से ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर रहा होता है इसलिए उसके पास न तो सहपाठी मौजूद होते हैं जो उसे असाइनमेंट इत्यादि पूरा करने के बारे में याद दिला सकें। और न ही उसकी मदद के लिए कोई प्रोफ़ेसर या अध्यापक होते हैं जिनसे वह अपने विषय सम्बन्धी संदेह दूर कर सके।

और सबसे बड़ी बात यह है की Distance Education को आम तौर पर वही लोग कर रहे होते हैं जिनके पास नियमित तौर पर स्कूल या कॉलेज जाने का समय नहीं होता। यानिकी वे पहले से कोई काम या कोर्स कर रहे होते हैं ऐसे में उनके लिए असाइनमेंट इत्यादि पूरा करना एक चुनौती रहती है। और यदि किसी कारणवश वे इसे भूल जाएँ तो वे व्याकुल हो उठते हैं जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

2. छिपी हुई लागत (Hidden Cost in Distance Education)

जी हाँ इसमें कोई दो राय नहीं की Distance Education रेगुलर एजुकेशन की तुलना में काफी सस्ती होती है। लेकिन इस शिक्षा प्रणाली में कुछ लागतें ऐसी होती हैं जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से पाठ्यक्रम की लागत में शामिल नहीं किया जाता है। उदाहरणार्थ: मानाआप दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अपनी पढाई जारी रखने की सोचते हैं और आपके पास कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि नहीं है।

इस स्थिति में आपको कंप्यूटर, लैपटॉप एवं इन्टरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होगी जिसके लिए आपको पैसे खर्च करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा हो सकता है की आपको प्रिंटर, वेब कैमरा इत्यादि भी खरीदने की आवश्यकता हो इन्हें खरीदने में आने वाली लागत वो लागत है जिसे छिपी हुई लागत कहा जा सकता है।

3. जटिल तकनीक का इस्तेमाल

वैसे देखा जाय तो अधिकतर Distance Education Course ऑनलाइन ही पढ़ाई करने के लिए बाध्य करते है। लेकिन इसमें ध्यान देने वाली बात यह भी है की यदि दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति कंप्यूटर का ज्ञान नहीं रखता और वह टेक सेवी नहीं है तो उसके लिए इस जटिल तकनीक के तहत पढाई करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, नेटवर्क इत्यादि में खराबी के चलते भी पढाई में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।

4. सभी पाठ्यक्रमों का मौजूद न होना (All courses are not included in Distance Education)

इसमें कोई दो राय नहीं की कुछ शिक्षा किताबों से सीखी जा सकती है तो उसे विडियो इत्यादि के माध्यम से भी समझाया जा सकता है। लेकिन बहुत सारे कोर्स ऐसे हैं जिनमें सिर्फ किताबी ज्ञान होने से काम नहीं चलता वह काम सीखने के लिए विद्यार्थी को परिसर में मौजूद होना अति आवश्यक होता है। यही कारण है की Distance Education की भी कुछ सीमायें हैं इसमें सभी पाठ्यक्रमों को शामिल नहीं किया गया है। जैसे फार्मेसी, वकालत, इंजीनियरिंग, डॉक्टरी इत्यादि ऐसे पाठ्यक्रम हैं जिन्हें दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पूर्ण नहीं किया जा सकता है।

5. डिग्री की विश्वसनीयता पर प्रश्न 

हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं की भारत में ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा को मान्यता मिलनी शुरू हो गई है लेकिन वर्तमान में ऑनलाइन एवं Distance Education के नाम से धोखाधड़ी का बड़ा व्यापार किया जाता है। अर्थात इस तरह की शिक्षा पद्यति के तहत अनेकों अपंजीकृत, अमान्य संस्थान भी कई प्रकार के कोर्स ऑफर कर रहे होते हैं। ऐसे में नियोक्ताओं एवं कम्पनियों के बीच ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा की विश्वसनीयता को लेकर प्रश्न खड़े हो जाते हैं।

6. नेटवर्क खो देना

जब व्यक्ति रेगुलर पढाई कर रहा होता है तो उसकी कक्षा में वही कोर्स करने वाले अनेकों विद्यार्थी मौजूद होते हैं। और उस कोर्स को पढ़ाने वाले अध्यापक, प्रोफ़ेसर, एलुमिनी इत्यादि भी होते हैं जिनकी जान पहचान उस क्षेत्र से जुड़े अनेकों संस्थानों एवं कम्पनियों में होती है। जो वहां पढ़ रहे बच्चो को जॉब दिलाने एवं उनका कैरियर आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।

इसके अलावा उस कक्षा से पास हुए विद्यार्थी अलग अलग संस्थानों में नौकरी करने के लिए जाते हैं जो बाद में एक दुसरे को नौकरी दिलाने के नेटवर्क के तौर पर कार्य करते हैं। जबकि Distance Education का नुकसान यह है की इस पद्यति में व्यक्ति अकेले ही पढ़ रहा होता है इसलिए वह नेटवर्क बनाने के इस अवसर को खो देता है।

इन उपर्युक्त कमियों के बावजूद भी दूरस्थ शिक्षा छात्रों के बीच ऐसी लोकप्रियता हासिल कर रही है जो इससे पहले कभी नहीं की थी। अब Distance Education के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके अनेकों विद्यार्थी अपने कैरियर में आगे भी बढे हैं इसलिए वे काफी संतुष्ट भी हैं। टेक्नोलॉजी एवं शिक्षा के इस नए स्वरूप में शिक्षकों को इसके अनुकूल बनाने एवं इसके नुकसानों को दूर करने की दिशा में निरंतर उपाय किये जा रहे हैं।  

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