इनकम टैक्स क्या होता है क्यों वसूला जाता है इसके प्रकार स्लैब रेट एवं नियम |

इनकम टैक्स एक ऐसा नाम है जिसका नाम सुनकर अक्सर लोग डर जाया करते हैं क्योंकि जानकारी के अभाव में उन्हें ग़लतफ़हमी रहती है की शायद सरकार उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा Income Tax के रूप में उनसे ले लेगी | और सच्चाई यह भी है की भारतीय कर प्रणाली को समझना वास्तव में टेढ़ी खीर है, इसलिए जब लोगों को Income Tax rules को समझने में परेशानी होती है तो वे इसी उधेड़बुन में जाने अनजाने में टैक्स चोरी जैसे अपराध करने की ओर बढ़ने लगते हैं |

हालांकि जैसा की हम सबको विदित है की हमारा देश भारतवर्ष जनसँख्या के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन 2017 के एक आंकड़े के मुताबिक 1 अरब 25 करोड़ आबादी वाले इस देश में व्यक्तिगत तौर पर Income Tax भरने वालों की संख्या केवल 2 करोड़ 79 लाख है | खैर यह आंकड़ा तो लोगों की कमाई में वृद्धि एवं इनकम टैक्स के प्रति लोगों की जागरूकता के साथ बढ़ता जायेगा |

लेकिन अक्सर आम लोगों को आयकर के बारे में सही जानकारी न होने के कारण वे हमेशा संशय में रहते हैं की इनकम टैक्स क्या है? और यह कितनी तक की कमाई वालों पर लागू होता है? सरकार द्वारा यह टैक्स क्यों लिया जाता है? इस कर के दायरे में कौन कौन सी कमाई आती है? इनकम टैक्स का भुगतान कैसे किया जाता है? इत्यादि आज इस लेख के माध्यम से हम इन्हीं सब उपर्युक्त सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे | तो आइये सबसे पहले जानते हैं की इनकम टैक्स है क्या?

income tax information in hindi

आयकर क्या है (What is Income Tax inHindi):

Income Tax kya hai : इसका यदि हम शाब्दिक अर्थ निकालेंगे तो हम पाएंगे की अंग्रेजी शब्द Income का अर्थ आय अर्थात कमाई से लगाया जाता है जबकि Tax को हिन्दी में कर कहते हैं | इसलिए इसे हम आयकर या लोगों की कमाई पर लगने वाला कर भी कह सकते हैं |

कहने का आशय यह है की आयकर यानिकी इनकम टैक्स सरकार द्वारा लोगों की कमाई में से तब वसूला जाता है जब उनकी कमाई सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स स्लैब के दायरे में आ जाती है | कहने का आशय यह है की अपने देश भारतवर्ष में आयकर वसूलने के लिए कमाई की एक निश्चित सीमा तय होती है | सिर्फ वही लोग या संस्थान जिनकी वार्षिक आय निर्धारित की गई आय से अधिक होती है आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए बाध्य होते हैं |

सरकार यह कर क्यों वसूलती है?

बहुत बार बहुत सारे लोगों के अंतर्मन में यह सवाल आ जाता है की काम मैं कर रहा हूँ कमा मैं रहा हूँ फिर मैं अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा आयकर के रूप में सरकार को क्यूँ दूँ? अर्थात वह व्यक्ति यह जानना चाहता है की सरकार उससे Income Tax क्यों वसूलती है |

इसका जवाब यह है की सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में निवासित लोगों एवं स्थापित संस्थानों को विभिन्न फैसिलिटी जैसे सुरक्षा से लेकर बिजली, सड़कें, पानी एवं अन्य एडमिनिस्ट्रेशन सेवाएँ और नागरिक सेवाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं जिन्हें उपलब्ध कराने में भारी मात्रा में खर्च करने की आवश्यकता होती है | और अपने द्वारा किये गए इस खर्च की भरपाई सरकार द्वारा टैक्स लगाकर की जाती है | कर प्रणाली केवल भारत में ही चालित नहीं है अपितु पूरे विश्व में जितने भी देश हैं सबकी सरकारों द्वारा उनके नागरिकों एवं संस्थानों से कर वसूला जाता है |

करों के प्रकार (Type of taxes in Hindi):

करों के प्रकार की बात करें तो भारत में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में टैक्स दो तरीके से वसूल किया जाता है अर्थात टैक्स को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है |

1. डायरेक्ट टैक्स:

डायरेक्ट टैक्स को प्रत्यक्ष कर भी कहा जाता है और इनकम टैक्स कर की इसी श्रेणी के अंतर्गत आता है अर्थात आयकर एक प्रत्यक्ष कर है | चूँकि इसमें सरकार द्वारा सीधे उस व्यक्ति से कर की वसूली की जाती है जो आयकर के दायरे में आते हो इसलिए इसे डायरेक्ट टैक्स कहा जाता है |

कहने का आशय यह है की डायरेक्ट टैक्स में एक Income tax ही ऐसा कर है जिससे सरकार की सबसे अधिक कमाई होती है | प्रत्येक वर्ष निर्धारित नियम निर्देशों के आधार पर सरकार द्वारा देश के उन सभी नागरिकों एवं संस्थानों से आयकर की वसूली की जाती है जिनकी कमाई कर के दायरे में आती है | कर भरने वालों में व्यक्तिगत व्यक्ति से लेकर कंपनियां, जॉइंट फैमिली, फर्म, संगठन, संस्थाएं इत्यादि सम्मिलित हैं | सभी कर दाताओं द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक अलग अलग मात्रा में कर का भुगतान किया जाता है |

2. इनडायरेक्ट टैक्स:

इनकम टैक्स को अप्रत्यक्ष कर या परोक्ष कर भी कह सकते हैं | इसमें सरकार द्वारा जो कर वसूला जाता है वह अंतिम उपभोक्ता से वसूला जाता है | इस श्रेणी में वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोग पर लगने वाले कर को रखा गया है |

कौन कौन सी कमाई पर टैक्स लगता है :

जहाँ तक टैक्स किस किस प्रकार की आय पर लगता है का सवाल है उसमे हमें समझना होगा की कृषि से होने वाली कमाई के अलावा अन्य सभी व्यवसायिक क्रियाकलापों से होने वाली कमाई कर के दायरे में आती है | इसलिए टैक्स की गणना करते समय इस आय को भी शामिल किया जाता है | व्यक्ति नौकरीपेशा हो और उसे वेतन मिलता हो तो वेतन से होने वाली कमाई भी टैक्स के दायरे में आती है |

आइये जानते हैं की किसी व्यक्ति या संस्थान की कुल कमाई में कौन कौन सी गतिविधियाँ शामिल की जा सकती हैं | कहने का आशय यह है की हम नीचे कमाई के उन स्रोतों के बारे में जानने ,की कोशिश करेंगे जिनसे होने वाली कमाई को कुल आय की गणना में शामिल किया जायेगा |

  • वेतन से होने वाली कमाई अर्थात सैलरी जो किसी व्यक्ति को उस संस्थान या व्यक्ति द्वारा दी जाती है जहाँ वह कार्यरत होता है | इसमें सैलरी, Allowances, Pension, Perquisites, ग्रेच्युटी इत्यादि से होने वाली कमाई शामिल है |
  • घर या जमीन के किराये से होने वाली कमाई |
  • बिज़नेस में या किसी अन्य प्रोफेशन में कमाया हुआ प्रॉफिट चाहे व्यक्ति को पार्ट टाइम काम से कमाई होती हो, या फ्रीलांसिंग जैसे कार्य से |
  • कैपिटल गेन यानिकी जब किसी व्यक्ति की कमाई किसी प्रॉपर्टी को बेचकर या निवेश के जरिये होती है तो उसे कैपिटल गेन कहा जाता है | इसमें मकान बेचने एवं शेयर बाजार इत्यादि से होने वाली कमाई शामिल है |
  • आय के अन्य स्रोतों जैसे बचत खाता, फिक्स्ड डिपाजिट, बांड इत्यादि पर ब्याज के तौर पर होने वाली कमाई भी इसमें शामिल है |

आयकर के नियम (Income Tax Rule in Hindi):

Income tax rules in Hindi: इनसे हमारा अभिप्राय आयकर के उन नियमों से है जिनके अनुसार व्यक्तिगत व्यक्तियों एवं संस्थानों को कर का भुगतान करना पड़ता है | दूसरी भाषा में हम इन्हें Income Tax Slab rates 2018-2019 भी कह सकते हैं क्योंकि इनकम टैक्स स्लैब को हर साल संसोधित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहता है |

तो आइये जानते हैं इनकम टैक्स के उन rules के बारे में जिनका अनुसरण करके 2018-2019 में सरकार द्वारा आयकर वसूला जायेगा | व्यक्तिगत व्यक्तियों के लिए निर्धारित टैक्स स्लैब कुछ इस प्रकार से है |

लिया जाने वाला कर प्रतिशत (%) में | देश का आम नागरिक देश का वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से ऊपर)देश का अति वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष से ऊपर)
0%2.5 लाख तक3.0 लाख तक5.0 लाख तक
5%2.5 से 5.0 लाख तक3.0 से 5.0 लाख तककुछ नहीं
20%5.0 से 10 लाख तक5.0 से 10 लाख तक5.0 से 10 लाख तक
30%10 लाख से अधिक10 लाख से अधिक10 लाख से अधिक

हालांकि उपर्युक्त टैक्स स्लैब रेट पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 जैसे ही हैं लेकिन 2018-19 में कुछ अहम बातों का भी उल्लेख वित्त मंत्री ने किया जो निम्नवत हैं |

  • कर्मचारियों एवं नौकरीपेशा लोगों की कमाई से 40000 रूपये स्टैण्डर्ड डिडक्शन के तौर पर घटाए जायेंगे उसके बाद ही आयकर की गणना होगी |
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी कमाई 50 लाख से अधिक है उस पर 10% सरचार्ज लागू होगा |
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी कमाई रूपये एक करोड़ से अधिक है उस पर 15% सरचार्ज लागू होगा |
  • इसके अलावा Income Tax पर 4% Education Cessऔर Health Cess भी लागू होगा |

इनकम टैक्स भुगतान करने सम्बन्धी नियम

इनकम टैक्स के भुगतान सम्बन्धी rules अर्थात नियमों की बात करें तो आयकर का भुगतान मुख्य रूप से तीन तरीकों के माध्यम से किया जा सकता है | इन तरीकों में टीडीएस, एडवांस टैक्स एवं Self Assessment Tax सम्मिलित हैं | इसलिए इनका संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया जा रहा है |

1. टीडीएस (TDS):

TDS के बारे में शायद आप सभी लोग जानते होंगे क्योंकि यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपका पाला कई बार TDS से अवश्य पड़ा होगा | TDS की यदि हम फुल फॉर्म की बात करें तो इसका फुल फॉर्म Tax Deduction at sources यानिकी कमाई के स्रोत पर ही टैक्स काट लेना होता है | कहने का आशय यह है की यदि किसी व्यक्ति या कंपनी की कोई कमाई होती है और उस व्यक्ति या कंपनी को टैक्स काटकर बाकी की कमाई उसे दे दी जाय तो काटे हुए टैक्स को टीडीएस के नाम से जाना जाता है |

टीडीएस काटने की जिम्मेदारी नियोक्ता की होती है और नियोक्ता को हर तीन महीने के अन्तराल में अपने कर्मचारियों की ओर से इनकम टैक्स सरकार के पास जमा करना होता है इसलिए कर्मचारियों पर अचानक से कर का बोझ न पड़े इस दृष्टी से नियोक्ता द्वारा हर महीने उनके वेतन से टीडीएस काट लिया जाता है |

कंपनियां अक्सर अपने सप्लायर यानिकी वेंडर के बिलों से टीडीएस काटकर बाद में उन्हें अवगत कराने के लिए टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करते हैं | इस स्थिति में खरीदार यानिकी जो भुगतान करेगा उसे डिडक्टर एवं बेचने वाले जिसे टैक्स काटकर पेमेंट मिलती है को डिडक्टी कहा जाता है |

2. अग्रिम कर (Advance Tax):

इनकम टैक्स का भुगतान अग्रिम कर के रूप में भी करना पड़ सकता है यह एडवांस टैक्स उन्हें भरना होता है जो नौकरीपेशा नहीं है और जिनका टीडीएस नहीं कटता है | लेकिन उनकी सालाना कमाई पर रूपये दस हजार से अधिक आयकर की गणना सामने आई है |

कहने का आशय यह है की वे लोग जिनकी आयकर के रूप में देनदारी रूपये 10 हज़ार सालाना से अधिक हो और उनका टीडीएस नहीं कटता हो, को आयकर एडवांस टैक्स के रूप में भरने का प्रावधान है | लेकिन इसकी खासियत यह है की इसे कमाई के साथ साथ भरना होता है अर्थात इसे त्रैमासिक भरना होता है | इसलिए इसकी साल भर में चार किस्तें बनती हैं जो इस प्रकार से हैं |

आखिरी दिनांक कम से कम भरे जाने वाले कर का प्रतिशत
जून पन्द्रह तकटोटल अग्रिम कर का कम से कम 15%
सितम्बर पन्द्रह तकपहली किश्त में जमा की गई राशि को मिलाकर टोटल अग्रिम कर का कम से कम 45%
दिसम्बर पन्द्रह तकपहली, दूसरी  किश्त में जमा की गई राशि को मिलाकर टोटल अग्रिम कर का कम से कम 75%
मार्च पन्द्रह तकपहली, दूसरी, तीसरी किश्त में जमा की गई राशि को मिलाकर टोटल अग्रिम कर का 100%

3. Self Assessment Tax:

जैसा की हम सबको विदित है की टीडीएस एवं एडवांस टैक्स वित्तीय वर्ष पूरा होने से पहले भरे जाते हैं जबकि वास्तविक टैक्स की गणना वित्तीय वर्ष पूरा हो जाने के बाद ही संभव है | और यही होता है टीडीएस एवं एडवांस टैक्स को करदाताओं द्वारा अपनी अनुमानित कमाई को आधार मानकर भरा जाता है | उसके बाद जब वित्तीय वर्ष पूर्ण होने के बाद वास्तविक कमाई के आधार पर टैक्स की गणना होती है तो जो टैक्स भुगतान करने के लिए शेष बचता है उसको Self Assessment Tax कहा जाता है |

कहने का आशय यह है की आयकर चुकता करने का यह माध्यम तब उपयोग में लाया जाता है जब करदाता पर टीडीएस एवं एडवांस टैक्स देने के बावजूद टैक्स की राशि शेष बचती है |

हालांकि दूसरी स्थिति यह भी पैदा हो सकती है की जब किसी करदाता ने टीडीएस एवं एडवांस टैक्स के माध्यम से वास्तविक टैक्स की राशि से अधिक राशि जमा कर दी हो इस स्थिति में करदाता को Self Assessment Tax नहीं देना पड़ता, और करदाता ज्यादा दी गई राशि के लिए आयकर विभाग से रिफंड के लिए आवेदन कर सकता है |

आयकर रिटर्न फाइल करने समबन्धी नियम (Rules Related to Income Tax Return):

Income Tax Return के बारे में हर किसी ने बहुत बार सुना होगा लेकिन यह क्या होता है इस बात से बहुत कम लोग अवगत होंगे | किसी करदाता द्वारा सरकार के पास जमा किये गए टैक्स का सरकार को ब्यौरा देना ही आयकर रिटर्न (ITR) कहलाता है | यद्यपि ITR एक निर्धारित फॉर्म होता है जिसमे कर चुकता कर चुके व्यक्ति द्वारा कमाई की गई आय, जमा किया गया टैक्स, रिफंड इत्यादि की डिटेल भरनी होती है |

कहने का आशय यह है की आईटीआर में किसी भी करदाता द्वारा एक वित्त वर्ष में  कमाई गई सभी प्रकार की इनकम का विवरण दिया जाता है | प्रत्येक वित्तीय वर्ष के शुरूआती समय में ही इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है | जहाँ तक इसे भरने की अंतिम तारीख का सवाल है आम नागरिकों के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई और बिजनेसमैन अर्थात व्यवसायिक लोगों के लिए यह तिथि 31 सितम्बर तक होती है | Income Tax Return सम्बन्धी कुछ अन्य Rules इस प्रकार से हैं |

  • ऐसे लोग जिनकी सालाना कमाई पांच लाख से अधिक है, उनके लिए आईटीआर फाइल करना केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अनिवार्य कर दिया है | अर्थात ऐसे लोग जिनकी वार्षिक कमाई रूपये पांच लाख से अधिक है उनके लिए Income Tax Return भरना अनिवार्य है |
  • कमाई की श्रेणियों के आधार पर आईटीआर सरकार द्वारा निर्धारित अलग अलग फॉर्म में डिटेल्स भरकर भरा जाता है | लेकिन वर्तमान में सरकार द्वारा कमाई की श्रेणियों के आधार पर कुल सात फॉर्म निर्धारित किये गए हैं | इन्हीं आईटीआर फॉर्म में करदाता को भुगतान किये गए कर का लेखा जोखा भरना होता है |
  • वर्तमान में आम करदाता के लिए Income Tax return भरने की प्रक्रिया को सहज करने के लिए सम्बंधित विभाग अर्थात आयकर विभाग ने केवल एक पेज का फॉर्म निर्धारित किया है | जिसे ITR Form- 1 के अलावा सहज से नाम से भी जाना जाता है |
  • टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार ने ITR-2, ITR-2A, एवं ITR-3 को आपस में मर्ज करके केवल एक फॉर्म ITR-2, बना दिया है |

हमारा यह लेख Income Tax rules एवं इसकी आधारभूत जानकारी से सम्बंधित था, आशा करते हैं की हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी | क्योंकि टैक्स सम्बन्धी जानकारी के अभाव में अक्सर लोग टैक्स का नाम सुनकर घबरा जाते हैं |

जबकि सच्चाई यह है की किसी भी देश की प्रगति में टैक्स प्रणाली एवं वसूले जाने वाले टैक्स की मात्रा का विशेष योगदान होता है | इसलिए देश के नागरिक होने के नाते हर नागरिक का यह फर्ज होता है की वह नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स का भुगतान करे, और देश के उत्थान में भागीदार बने |

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