यूरिया के मामले में 2025 तक आत्मनिर्भर हो सकता है भारत।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। और कृषि क्षेत्र में यूरिया का महत्वपूर्ण योगदान है। जानकारी के मुताबिक अभी देश में लगभग प्रति वर्ष 260 लाख टन का उत्पादन किया जाता है। जबकि यूरिया की माँग इससे कई ज्यादा अर्थात लगभग 350 लाख टन प्रति वर्ष है। माँग और सप्लाई के इस गैप को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष लगभग 90 लाख टन यूरिया विदेशों से आयात किया जाता है।

लेकिन पाँच जुलाई 2022 को केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने संभावना जताई है की आने वाले तीन वर्षों के दौरान उनका फोकस देश में यूरिया के उत्पादन में वृद्धि करना होगा। और कोशिश यह होगी की 2025 के बाद देश को अपनी यूरिया की माँग को लेकर बाहरी देशों पर निर्भर न रहना पड़े। अर्थात उनका कहना था की 2025 तक हमें यूरिया को आयात करने की आवश्यकता नहीं होगी।

india will become self dependent in urea production

पारम्परिक यूरिया और नैनो यूरिया दोनों का उत्पादन बढ़ाया जाएगा  

संवादाताओं से बातचीत के दौरान मंत्री ने कहा की हमें इस बात का पूरा विश्वास है की 2025 तक हम यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएँगे। जिससे हमें यूरिया आयात करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने संभावना जताई की अगले तीन सालों में हमारे यहाँ पारम्परिक और नैनो यूरिया (तरल यूरिया) दोनों का उत्पादन हमारी घरेलू माँग से अधिक होगा।

अपने वक्तव्य में उन्होंने आगे कहा की हमारा प्रयास पारम्परिक यूरिया के उत्पादन में लगभग 60 लाख टन की बढ़ोत्तरी करना है।तो वहीँ नैनो यूरिया का उत्पादन भी बढ़ाकर 44 करोड़ बोतल जिसमें प्रत्येक बोतल में 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया होगा, किया जाएगा। और यह नैनो यूरिया का अकेला उत्पादन लगभग 200 लाख टन पारम्परिक यूरिया के बराबर होगा।

तरल यूरिया को किसानों ने पसंद किया है

देश के रसायन और उर्वरक मंत्री ने आगे कहा की किसानों के बीच नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ा है, इसका मतलब है की किसानों ने इसको बेहद पसंद किया है। वैज्ञानिक और मिटटी के स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो तरल यूरिया बेहतर है। यह मिटटी में पोषक तत्वों को बनाये रखकर मिटटी के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है और किसानों की उपज बढ़ाने के लिए भी प्रभावी है।

आयात में कमी से साल में 40 हजार करोड़ विदेशी मुद्रा की बचत

सरकार का मानना है की यदि देश यूरिया में आत्मनिर्भर होगा तो, सालाना 40 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत कर पाने में भी सक्षम होगा। जहाँ तक नैनो यूरिया की बात है, यह उत्पाद बाज़ार में नया है, और पारम्परिक यूरिया की तुलना में इसके कई फायदे भी हैं। तरल यूरिया की एक बोतल उतनी ही प्रभावकारी होती है, जितनी पारम्परिक यूरिया का पूरा एक बैग होता है।

जानकारों का मानना है की तरल यूरिया के इस्तेमाल से मिटटी, वायु और जल प्रदूषण में कमी आएगी। यह प्रदूषण रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल के कारण होता है। वर्तमान में एक आंकड़े के मुताबिक देश में नैनो यूरिया का उत्पादन एक साल में पाँच करोड़ बोतल हो रहा है। जिसे आने वाले तीन वर्षों में 42 करोड़ बोतल प्रति वर्ष किये जाने का दावा किया जा रहा है।

इफको ने पेश किया है इस नैनो यूरिया को

देश की प्रमुख सहकारी कंपनी इफको ने इस नए उत्पाद को बाज़ार में पेश किया है। और जानकारी के मुताबिक तरल यूरिया का उत्पादन 1 अगस्त 2021 से गुजरात के कलोल में स्थित इफको के संयत्र से शुरू हुआ था।

लेकिन वर्तमान में इफको के अलावा दो अन्य कंपनियाँ भी हैं जो देश भर में अपने नैनो यूरिया संयत्र स्थापित करने को प्रयासरत हैं। क्योंकि सहकारी कंपनी इफको ने इन दो कंपनियों को नैनो यूरिया बनाने वाली टेक्नोलॉजी को फ्री में हस्तांतरित किया है।

नैनो यूरिया से किसानों की आय में प्रति एकड़ औसतन 4000 रूपये की वृद्धि संभव  

मंत्रालय का मानना है की नैनो यूरिया एक नया उत्पाद है, जिसे किसानों द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है। शायद यही कारण है की देश में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने भी इस उत्पाद के संयत्र स्थापित करने में दिलचस्पी दिखाई है। नैनों एरिया के इस्तेमाल से परिवहन लागत में कमी आयेगी, इससे छोटे किसानों को अधिक लाभ होगा। और जानकारी के मुताबिक किसानों की आय में प्रति एकड़ औसतन 4000 रूपये वृद्धि की भी संभावना जताई जा रही है।

देश के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी का आंकड़ा भी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में काफी बढ़ने की उम्मीद है। जहाँ पिछले वित्त वर्ष में यह 1.62 लाख करोड़ रूपये था, चालू वित्त वर्ष में इसके 2.5 लाख करोड़ रूपये से भी अधिक पर पहुँचने की संभावना है।

यूरिया पर सब्सिडी कितनी है    

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में केवल यूरिया पर ही लगभग 70000 करोड़ रूपये सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है।यूरिया के एक बोरी जिसका वजन 45 किलोग्राम होता है उसका अधिकतम खुदरा मूल्य 267 रूपये प्रति बोरी है। जबकि प्रति बोरी सब्सिडी 2300 रूपये है।

अपने नए उत्पाद नैनो यूरिया को इफको परतो बोतल जिसमें आधा लीटर यानिकी 500 मिलीलीटर तरल यूरिया आता है, को 240 रूपये प्रति बोतल के हिसाब से बेच रहा है।

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