लघु उद्योग विकास संगठन क्या है | इसके प्रमुख कार्य |

लघु उद्योग विकास संगठन (SIDO)  लघु उद्योग एवं सहायक ग्रामीण उद्योग विभाग के तहत काम करने वाला एक संगठन है। लघु उद्योगों और ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहित करने, उनके विकास के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण करने, लघु उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित करने और उनकी निगरानी करने वाली यह एक शीर्ष निकाय और नोडल एजेंसी है।

लघु उद्योग विकास संगठन के मुखिया के तौर पर डेवलपमेंट कमिश्नर नियुक्त होते हैं। जिन्हें विभिन्न निदेशकों और सलाहकारों द्वारा विभिन्न कार्यों जैसे प्रशिक्षण और प्रबंधन, औद्योगिक जाँच, लघु उद्योगों के विकास की संभावनाएं, परामर्श, औद्योगिक संपदा इत्यादि कार्यक्रमों को विकसित करने और उन्हें लागू करने में सहायता प्रदान की जाती है।

लघु उद्योग विकास संगठन के कार्य

लघु उद्योग विकास संगठन के प्रमुख कार्य

लघु उद्योग विकास संगठन के प्रमुख कार्यों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

समन्वय सम्बन्धी कार्य (Co- Ordination):

  • लघु उद्योगों एवं ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिए एक प्रभावी राष्ट्रीय निति को विकसित करना।
  • विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों से समन्वय स्थापित करना।
  • लघु उद्योगों के विकास और उत्थान के लिए सम्बंधित केन्द्रीय मंत्रालयों, निति आयोग, वित्तीय संस्थानों, राज्य सरकारों इत्यादि के साथ संपर्क बनाए रखना।
  • लघु उद्योगों की सम्पदा के विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करना भी लघु उद्योग संगठन के कार्यों में शामिल है ।

औद्योगिक विकास सम्बन्धी कार्य

  • लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने और उनके विकास के लिए उनके उत्पादन करने के लिए आरक्षित वस्तुओं की लिस्ट बनाना।
  • देश में जिन उपभोक्ता वस्तुओं को बाहर देशों से आयात किया जा रहा है, उनका डाटा एकत्र करना और फिर जरुरी सहायता देकर, इन वस्तुओं के उत्पादन के लिए औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देना।
  • लघु उद्योगों की सहायक इकाइयों को विकसित करने के लिए उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करना भी लघु उद्योग संगठन के कार्यों में शामिल है।
  • छोटे पैमाने के उद्योगों कुटीर एवं लघु उद्योगों को जरुरी मार्गदर्शन, मार्किट एडवाइस और आवश्यक सहायता प्रदान करके उन्हें सरकारी स्टोर खरीद कार्यक्रम में सक्रीय तौर पर हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करना।   

विस्तार सम्बन्धी कार्य

  • लघु उद्योगों की तकनिकी प्रक्रिया में सुधार करना, उपयुक्त मशीनरी का चयन करना, फैक्ट्री लेआउट और डिजाईन बनाने में आवश्यक तकनिकी सेवाओं का निर्धारण करना भी लघु उद्योग संगठन के कार्यों की लिस्ट में शामिल है ।
  • देश में लघु उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बाजार में टिकाने के लिए या प्रतिस्पर्धी क्षमता को मजबूत करने के लिए उन्हें जरुरी परामर्श और आवश्यक प्रशिक्षण सेवाएं प्रदान करना।
  • लघु उद्योग अपने द्वारा उत्पादित उत्पादों को बाजार में प्रभावी ढंग से बेच पाएँ, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मार्केटिंग सहायता प्रदान करना भी लघु उद्योग संगठन के कार्यों में शामिल है।
  • लघु उद्योगों को उनकी आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए आर्थिक जाँच और सूचना में मदद प्राप्त करना।  

लघु उद्योग संगठन के उपर्युक्त बताये गए सभी कार्यों को विशिष्ट कार्यों के लिए स्थापित किये गए संस्थानों और सम्बंधित एजेंसीयों के राष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से किये जाते हैं। वर्तमान में इन कार्यों को पूर्ण करने में लघु उद्योग विकास संगठन के 27 से अधिक कार्यालय, 31 लघु उद्योग सेवा संस्थान, 37 एक्सटेंशन सेण्टर, 3 प्रोसेस डेवलपमेंट सेण्टर और 4 प्रोडक्शन सेण्टर कार्यरत हैं।

देश में खादी और ग्रामोद्योग, कोयर बोर्ड, केन्द्रीय रेशम बोर्ड इत्यादि ऐसे बोर्ड जो किसी विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बनाये गए हैं। उन विशिष्ट एजेंसीयों या बोर्ड के अंतर्गत आने वाले लघु उद्योगों को छोड़कर बाकी सभी लघु उद्योग, लघु उद्योग विकास संगठन के दायरे में आते हैं।

अब तक यह तो स्पष्ट हो चूका है की लघु उद्योग विकास संगठन अतिरिक्त सचिव और विकास आयुक्त की अध्यक्षता में लघु उद्योगों के उत्थान के लिए निति निर्माण करने में सरकार की सहायता करने वाला लघु उद्योग मंत्रालय के सबसे शीर्ष निकायों में से एक है। हालांकि लघु उद्योगों का संवर्धन और विकास मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है।

लेकिन लघु उद्योग विकास संगठन के माध्यम से केंद्र सरकार का उद्देश्य केंद्र शाषित प्रदेशों में लागू उद्योगों को विकसित करना, और अन्य राज्यों में लघु उद्योगों के विकास में राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करना है।

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