(Plastic Buckets) प्लास्टिक की बाल्टी बनाने के व्यापार की जानकारी।

Plastic Buckets manufacturing व्यापार पर बात करना इसलिए जरुरी हो जाता है क्योंकि प्लास्टिक बाल्टियों का इस्तेमाल मनुष्य अपने घरों में पिछले तीस सालों से करते आया है । इसलिए कमाई की दृष्टि से बाल्टी बनाने का लघु उद्योग लगाना लाभकारी हो सकता है । हालांकि इन तीस वर्षों से अधिक की यात्रा में समाज के हर वर्ग से जुड़े मनुष्य ने इन बाल्टियों को एक उपयोगी सामग्री के तौर पर अपनाया है। जहाँ पहले लोग पारम्परिक बाल्टियों जैसे जस्ती लोहे, एल्युमीनियम एवं पीतल की बाल्टियों का इस्तेमाल करते थे वहीँ वर्तमान में प्लास्टिक से निर्मित बाल्टियों ने इन्हें पूरी तरह से रिप्लेस कर दिया है ।

और मनुष्य की हमेशा से आदत रही है की वह किसी पुरानी चीज को छोड़कर नई चीज तभी अपनाता है जब उसमें, जो वह पहले से अपना रहा है से ज्यादा गुण दिखाई देते हैं। वर्तमान जीवनशैली को आधार मानकर यह कहा जा सकता है की एक Plastic Bucket में धातु से बनी बाल्टियों की तुलना में ज्यादा गुण समाहित होते हैं। इन बाल्टियों की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं इनका हल्कापन, अटूटपन, हैंडलिंग में आसानी, इस्तेमाल करते समय सुरक्षा, उबलते पानी एवं रसायनों की प्रतिरोधक क्षमता, वातावरण के आधार पर रंग एवं किफायती लागत इत्यादि हैं। यही कारण है की लोग धातु से निर्मित बाल्टियों की तुलना में प्लास्टिक बाल्टियों का इस्तेमाल अधिक करते हैं।

इसलिए भारत में Plastic buckets manufacturing व्यापार वर्तमान में कमाई के अनुकूल व्यापार माना जाता है। यद्यपि प्लास्टिक से निर्मित बाल्टियाँ बाजार में अनेकों क्षमता के साथ उपलब्ध हैं अर्थात आम तौर पर ये 13 से 25 लीटर की क्षमता में उपलब्ध हैं। लेकिन 21 लीटर क्षमता की बाल्टियाँ बाजार में काफी लोकप्रिय हैं।

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प्लास्टिक बाल्टी बनाने के व्यापार के बारे में (About Plastic Buckets Manufacturing business) 

Plastic Buckets Manufacturing का शाब्दिक अर्थ प्लास्टिक की बाल्टियों के निर्माण से है। ये एक ऐसी वस्तु है जिसका इस्तेमाल हर घर में होता है। वैसे देखा जाय तो आम तौर पर घरों में इन प्लास्टिक बाल्टियों का इस्तेमाल नहाने के लिए एवं खाने योग्य पदार्थों को भंडारित करने के लिए होता है। इसलिए एक घर में एक नहीं अपितु अनेकों बाल्टियों की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा प्लास्टिक बाल्टियों का इस्तेमाल व्यवसायिक तौर पर भी ट्रांसपोर्टेशन एवं पैकेजिंग के लिए बड़े पैमाने पर होता है। विभिन्न प्रकार के तरल पदार्थों जैसे पेन्ट, लुब्रिकेंट आयल, ग्रीज इत्यादि की पैकेजिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन में इनका इस्तेमाल होता है। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर जब किसी व्यक्ति द्वारा अपनी कमाई करने के लिए व्यवसायिक तौर पर प्लास्टिक की बाल्टी बनाने का काम किया जाता है तो इसे ही Plastic Buckets Manufacturing बिजनेस कहा जाता है।

प्रमोटर या उद्यमी की योग्यता:

हालांकि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति कुछ भी बिजनेस कर सकता है लेकिन बिजनेस की सफलता इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी या प्रमोटर को उस क्षेत्र से सम्बंधित कितनी जानकारी है। यही कारण है की बड़े बड़े बिजनेस मेंटर द्वारा भी वह बिजनेस करने की सलाह बिलकुल नहीं दी जाती है जिसके बारे में उद्यमी या प्रमोटर को उचित जानकारी न हो।

Plastic Buckets Manufacturing बिजनेस शुरू करने के लिए प्रमोटर या उद्यमी के पास प्लास्टिक इंजीनियरिंग या प्रोसेसिंग में कोई डिग्री होनी चाहिए।  या फिर डिप्लोमा होना चाहिए या केमिस्ट्री में डिग्री होनी चाहिए। शैक्षणिक योग्यता के अलावा उद्यमी या प्रमोटर के पास अनुभव होना भी नितांत आवश्यक है इसलिए प्लास्टिक इंडस्ट्री में दो तीन सालों का अनुभव वांछित है।

बाजारिक क्षमता (Market Potential):  

पेट्रोकेमिकल पर रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की कार्य समूह की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल्टियों सहित एचडीपीई इंजेक्शन मोल्डेड आइटम की माँग वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2400 किलो टन अनुमानित थी। जिसमें इन सामग्रियों की विकास दर 16% थी और इनमें मग एवं बाल्टियाँ ऐसी सामग्रीयां हैं जिनकी माँग तेजी से आगे बढ़ रही है।

वर्तमान में संयुक्त परिवारों के विघटन एवं मानव जीवनशैली में हो रहे परिवर्तनों के कारण Plastic Buckets की माँग बाजार में हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा तरल पदार्थों के निर्माण से जुड़े उद्योगों में भी इस तरह की बाल्टियों की बड़ी माँग रहती है। इसलिए भारत में Plastic buckets Manufacturing इकाई स्थापित करना आज भी लाभकारी हो सकता है।

आवश्यक मशीनरी एवं कच्चा माल (Required Machinery & Raw materials for Plastic Buckets Manufacturing):

Plastic Buckets Manufacturing बिजनेस शुरू करने में आवश्यक कच्चा माल HDPE Granules हैं और जहाँ तक मशीनरी का सवाल है उसकी लिस्ट निम्नवत है।

  • इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन
  • कंप्रेसर
  • कुलिंग टावर
  • स्क्रैप ग्राइंडर
  • मोल्ड एवं डाई

निर्माण प्रक्रिया (Plastic Buckets Manufacturing Process):

प्लास्टिक की बाल्टी को रैम प्रकार या स्क्रू टाइप प्रीप्लास्टिक मशीन के माध्यम से मोल्ड किया जा सकता है यद्यपि स्क्रू टाइप को अधिक पसंद किया जाता है। Plastic Buckets Manufacturing Process  में सर्वप्रथम कच्चा माल यानिकी HDPE Granules मशीन में लगे एक हॉपर के माध्यम से मशीन में डाला जाता है। उसके बाद प्लास्टिक को पिघलाने के लिए बैरल को गर्म किया जाता है जिस पिघली हुई सामग्री को स्क्रू के कैविटी में फॉरवर्ड मूवमेंट के माध्यम से मोल्ड गुहा में अन्दर इंजेक्ट कर दिया जाता है।

उसके बाद इस प्रक्रिया में मोल्ड कैविटी को पानी का तापमान बेहद कम करके ठंडा किया जाता है इस प्रक्रिया में स्क्रू का दबाव केवल कुछ ही समय के लिए होता है और फिर स्क्रू रोटेशन के दौरान यह पीछे हट जाता है। जब मशीन के अन्दर मोल्डिंग एवं कुलिंग प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में होती है तब मोल्ड का आधा भाग खुल जाता है।

और उसके बाद मोल्ड की हुई सामग्री अर्थात Plastic Bucket को मैन्युअली या फिर ऑटोमेटिकली आसानी से निकाला जा सकता है। इस प्रकार हम पूरे मोल्डिंग साईकल यानिकी Plastic Buckets Manufacturing Process की बात करें तो इसमें इंजेक्शन प्रक्रिया, इंजेक्शन का दबाव सहन करना, ठंडा करने की प्रक्रिया और मोल्ड निकास के लिए आदर्श समय इत्यादि शामिल हैं।  

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