म्यूचुअल फण्ड बेचने का सही समय कब होता है?

म्यूचुअल फण्ड बेचने से आशय उस फण्ड को बेचने से है जिसमे निवेशक ने पहले से निवेश किया हुआ है | हालांकि आपने अपना फण्ड लम्बे समय के निवेश के लिये क्रय किया होगा  और हो सकता है कि उसे बेचने का समय भी निर्धारित कर दिया होगा । लेकिन कभी-कभी निवेश और बाजार की परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि आपको अपना म्यूचुअल फण्ड बेचने के लिए निर्धारित समय तक चाह कर भी इंतजार नहीं कर सकते और आपको अपना निवेश जल्दी  बेचना पड़ सकता है और अपने पूर्व निर्णय में संशोधन करना पड़ सकता है ।

जिसका निवेशक की कमाई पर विपरीत असर भी पड़ सकता है | इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे की निवेशक को किन किन परिस्थितियों में अपने म्यूचुअल फण्ड बेचने चाहिए ताकि वह लाभ की स्थिति में रहे |

म्यूचुअल फण्ड बेचने का सही समय
  • म्यूचुअल फण्ड बेचने की पहली स्थिति तब पैदा होती है जब आपका फण्ड उतना न कर पा रहा हो जितना आपने सोचा था । आपने काफी प्रतीक्षा की, लेकिन फण्ड आपकी इच्छा या लक्ष्य के अनुरूप नहीं चल रहा है तो अच्छा यही होगा कि उस फण्ड को बेच कर उसकी कारगुजारी से आप अलग हो जाए । क्योंकि जो फण्ड अब तक नहीं सुधरा, उससे भविष्य में उम्मीद लगाना निरर्थक साबित हो सकता है |
  • यदि निवेशक ने लम्बे समय के लिये ग्रोथ फण्ड इत्यादि खरीदे हैं तो बाजार के उतार चढ़ाव पर ध्यान नहीं देना चाहिए । लम्बे समय के निवेश को बाजार की गिरावट पर नहीं बेचना चाहिए, क्योंकि यह निश्चित है कि गिरावट के बाद बाजार ऊँचा उठेगा ।
  • म्यूचुअल फण्ड के मामले मे निश्चित मूल्य कुछ नहीं होता है । म्यूचुअल फण्डों की NAV बाजार पर निर्भर करती है । अतः कोई भावी मूल्य का लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता नहीं है । निवेशक को अपना म्यूचुअल फण्ड बेचने का समय निश्चित करना चाहिए और समय आने पर अपने फण्ड को उस समय के NAV पर बेचना चाहिए ।
  • यदि निवेशक ने किसी भावी आवश्यकता की पूर्ति के लिये फण्ड खरीदे थे और अब उसकी वह आवश्यकता उसके सामने आ गई है तो म्यूचुअल फण्ड बेचने में ही समझदारी है । उदाहरणार्थ: यदि निवेशक ने बच्चे की शादी के समय खर्च के लिये फण्ड खरीदे थे । अब बच्चे की शादी तय हो गई है तो फण्ड बेच कर पहले शादी करनी चाहिए | फण्डों के मूल्य में बढ़ोत्तरी की आशा में शादी को स्थगित नहीं करना चाहिए |
  • ऐसे म्यूचुअल फण्ड जिसे अनुभवी फण्ड मैनेजर छोड़ रहा हो या उससे अलग हट रहा हो तो इसका अभिप्राय है कि दाल में कुछ काला है । अतः निवेशक को भी अपने म्यूचुअल फण्ड बेचने में देर नहीं करनी चाहिए |
  • यदि फण्ड की निवेश नीति में कुछ बदलाव हो रहा हो और वह नीति निवेशक की निवेश नीति से मेल नहीं खा रही हो तो निवेशक को उस फण्ड को बेच कर अपनी निवेश नीति वाले फण्ड खरीद लेने चाहिए । उदाहरणार्थ: माना निवेशक ने नियमित आय के लिये फण्ड खरीदे हैं । और अब उसका फण्ड मैनेजर अपने पोर्टफोलियो में ग्रोथ शेयरों की बढ़ोत्तरी कर रहा है । इसका मतलब है कि अब नियमित आय के स्थान पर पूँजी लाभ होगा । जबकि निवेशक को नियमित आय चाहिए । इस परिस्थिति में निवेशक अपने म्यूचुअल फण्ड बेचने का निर्णय ले सकता है |
  • यदि कम समय में ही निवेशक का फण्ड उसे काफी लाभ दे रहा है तो यह निश्चित है कि वह आगे गिरेगा । अतः यदि निवेशक की आवश्यकता के अनुरूप लाभ वाले मूल्य आ गये हों तो म्यूचुअल फण्ड बेचने से झिझकना नहीं चाहिए | क्योंकि आगे और अधिक ऊँचे मूल्यों पर खरीदने वालों की कमी हो जाएगी ।
  • यदि फण्ड का आकार बहुत बढ़ गया हो और फण्ड प्रबंधित न हो रहा हो तो, उस फण्ड को
  • बेच कर अलग हो जाना चाहिए ।
  • यदि निवेशक से निवेश करते समय कोई गलती हो गई है । और वह गलती अब निवेशक के संज्ञान में आ गई है तो भी म्यूचुअल फण्ड बेचने का निर्णय ले लेना चाहिए |
  • निवेशकों को चाहिए की कभी-कभी अपने पोर्टफोलियो को सन्तुलित बनाये रखने के लिये भी फण्ड बेचने चाहिए । जो फण्ड निवेशकों की निवेश लाईन में नहीं चल रहे हैं या फण्ड सो गये हैं, तो उन्हें बेच कर वे अपने पोर्टफोलियो को Balanced कर सकते हैं ।
  • यदि वर्तमान में निवेशक के पास नये और अच्छे फण्डों में निवेश का अवसर हो और उसके पास उपलब्ध फण्ड इनकी तुलना में कमजोर हों तो निवेशक को पुराने म्यूचुअल फण्ड बेचने में ही फायदा है | क्योंकि पुराने फण्ड बेच कर निवेशक नए अच्छे फण्ड खरीद सकता है ।

यह सत्य है की एक न एक दिन तो फण्ड बेचना ही है । तो क्यों न थोड़ा सोच समझकर बेचा जाय ताकि फण्ड से होने वाली कमाई थोड़ी अधिक हो |

यह भी पढ़ें:

म्यूचुअल फंडों में निवेश कैसे करें

म्यूचुअल फण्ड क्या है कैसे काम करता है और योजनायें.  

म्यूचुअल फण्ड की हानियाँ या कमियां

म्यूच्यूअल फंडों के प्रकार की जानकारी  

Leave a Comment