फूलों की खेती कैसे शुरू करें? How to Start a Flower Farming Business.

Flower Farming यानिकी फूलों की खेती भारतवर्ष में प्राचीनकाल से ही की जा रही है लेकिन तब इनका उत्पादन केवल निजी उपयोग के लिए ही अधिक होता था । आम तौर पर लोगों द्वारा अपने घर के आँगन में तरह तरह के फूल लगाये जाते थे जिन्हें पूजा पाठ इत्यादि धार्मिक अनुष्ठानों को करने में भी इस्तेमाल में लाया जाता था । लेकिन चूँकि वर्तमान में मानव जीवन में फूलों का महत्व एवं इस्तेमाल दोनों बढ़ गए हैं इसलिए आज लोगों द्वारा व्यवसायिक तौर पर कमाई करने के लिए Flower Farming यानिकी फूलों की खेती की जाती है।

कहने का अभिप्राय यह है की व्यवसायिक तौर पर फूलों की खेती करने का सिलसिला पिछले कुछ सालों से ही शुरू हुआ है । चूँकि वर्तमान जीवनशैली में फूलों के गुलदस्तों को उपहार के तौर पर देना शुरू हो चूका है इसलिए गुलाब, कमल, रजनीगंधा एवं कारनेशन इत्यादि का उत्पादन भी देश में लगातार बढ़ते जा रहा है।

वर्तमान में वैश्विक स्तर पर फूलों का इस्तेमाल अनेकों आयोजनों जैसे सालगिरह, शादी, जन्मदिन, संस्थान की एनिवर्सरी, कार्यालयों को सजाने, घरों को सजाने, धार्मिक क्रियाकलापों को करने इत्यादि के लिए बहुतायत मात्रा में किया जाता है। यही कारण है की इन पुष्पों की माँग केवल घरेलु बाजार में ही नहीं अपितु अंतराष्ट्रीय बाज़ारों में भी बनी रहती है । 

Steps to start Flower Farming Business in Hindi

भारत में फूलों की खेती का परिदृश्य (Scenario of Flower Farming in India)

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्यों में भी बता चुके है की भारत में व्यवसायिक तौर पर Flower Farming को शुरू हुए कुछ ही साल हुए हैं। लेकिन अब भारत में फूलों का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि भारत में अनेकों क्षेत्र ऐसे हैं जिनकी जलवायु नाजुक एवं कोमल फूलों की खेती के लिए उपयुक्त है। वर्ष 2012 में प्रकाशित राष्ट्रिय बागवानी बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में फूलों की खेती लगभग 232.74 हज़ार हेक्टेयर भूमि में की जा रही थी। जिसमें लगभग 77-78 मिलियन टन फूलों का उत्पादन किया जा रहा था।

यद्यपि भारत में एक नहीं बल्कि अनेकों राज्यों में फूलों की खेती व्यवसायिक तौर पर की जा रही है लेकिन इस दौड़ में पश्चिम बंगाल 32% फूलों के उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर है। तो वहीँ कर्णाटक 12% के साथ दुसरे, महाराष्ट्र 10% के साथ तीसरे स्थान पर है। भारत में अनेकों प्रकार के फूल जैसे गुलाब, गेंदा, कार्नेशन, ग्लेड्स, रजनीगंधा इत्यादि फूलों का उत्पादन किया जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष  2013-14 में भारत ने लगभग 456 करोड़ रूपये फूलों का निर्यात किया था।

भारत के फूलों के मुख्य विक्रेता या आयातक देश संयुक्त अरब अमीरात, जापान, कनाडा, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड इत्यादि रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है की Flower Farming के जरिये उद्यमी न केवल अपने द्वारा उत्पादित उत्पाद को घरेलु बाजार में ही बेच सकता है बल्कि अंतराष्ट्रीय बाज़ारों में भी फूलों की अच्छी खासी माँग है।

फूलों की खेती करने का महत्व (Importance of Flower Farming)

देखिये यहाँ पर यह बात स्पष्ट कर देना बहुत जरुरी है की फूलों का इस्तेमाल केवल अपने देश भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में होता है। यही कारण है की वैश्विक स्तर पर 140 से अधिक देश फूलों की खेती के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। चूँकि वर्तमान में कोई भी व्यापार देश की सीमाओं तक ही सिमित नहीं रहा गया है इसलिए उद्यमी चाहे तो अपने उत्पाद को विदेशी बाज़ारों में बेचकर भी कमाई कर सकता है।

हालांकि हम पहले भी बता चुके हैं की भारत में Flower Farming कोई नया नहीं है लेकिन व्यवसायिक स्तर पर इसकी खेती पाली हाउस इत्यादि बनाकर करना भारत में अपेक्षाकृत नई है। चूँकि भारत में विभिन्न कृषि सम्बन्धी जलवायु एवं प्रतिभा संपन्न मानव संसाधनों की कमी नहीं है यही कारण है की फूलों की खेती के क्षेत्र में भी ऐसे ऐसे नए मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं जिनका अभी तक दोहन नहीं किया गया है। वर्तमान में चूँकि वैश्विक स्तर पर व्यापार किया जाता है इसलिए फूलों जैसे उत्पादों का भी आवागमन पूरे विश्व भर में स्वंत्रता के साथ संभव है।

पूरे विश्व में फूलों के उपभोक्ता के तौर पर अमेरिका का पहला, जापान का दूसरा स्थान है जहाँ क्रमशः दस बिलियन डॉलर एवं सात बिलियन डॉलर मूल्य के फूलों की खपत एक वर्ष में होती है। चूँकि भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय है और लोगों का रुझान उष्णकटिबंधीय फूलों के प्रति बढ़ रहा है इसलिए भारत द्वारा इस अवसर का फायदा उठाने के लिए अच्छा समय है।

फूलों की खेती के लाभ (Benefits of Flower Farming)

फूलों की खेती यानिकी Flower Farming  करने के एक नहीं बल्कि अनेकों पर्यावरणीय एवं आर्थिक फायदे हैं। फूल केवल देखने में ही सुन्दर नहीं लगते बल्कि यह हमारे पर्यावरण एवं हमारे लिए भी अनेकों तरह से फायदेमंद होते हैं इनमें से ही कुछ प्रमुख फायदों का उल्लेख निम्नलिखित है।

  • परागण प्रक्रिया में सहायक:जैसा की हम सबको विदित है की आम तौर पर मधुमक्खी, तितलियाँ, भंवरे इत्यादि ऐसे कीट पतंगे हैं जो फूलों के रस का पान करते हैं । कहने का आशय यह है की फूलों के पराग को इन अद्भुत कीट पतंगों द्वारा अपने भोजन के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है। और जब ये किसी नर फूल से पराग लेकर किसी मादा फूल पर बैठते हैं तो ये उस पराग को उसके पिस्टल में जमा कर देते हैं जहाँ मादा प्रजनन अंग जिन्हें ओव्यूल्स कहा जाता है रहते हैं। परागण की यह प्रक्रिया कृषि एवं खाद्य उत्पादन के लिए बेहद जरुरी है क्योंकि इसी प्रक्रिया के कारण ही फल एवं बीज का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया के बिना कृषि एवं खाद्य का उत्पादन मुश्किल है। इसलिए Flower Farming का सबसे बड़ा फायदा यही है की इससे परागण की प्रक्रिया में मदद मिलती है।
  • फूलों की खेती शुरूआती दौर में छोटे स्तर पर बेहद कम निवेश के साथ भी शुरू की जा सकती है और उद्यमी या किसान इसे शुरू करने के लिए उन्हीं कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर सकता है। जो उसके पास पहले से मौजूद हों, अर्थात नए कृषि उपकरण खरीदने की भी आवश्यकता नहीं होती है।
  • फूलों की खेती करना पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी काफी फायदेमंद होता है चूँकि किसी भी फूल को क्लोरोफिल का उत्पादन करने के लिए प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। और इस प्रक्रिया के दौरान ये फूलों के पौधे हवा से कार्बनडाई ऑक्साइड को अवशोषित कर लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। जिससे मनुष्य को स्वच्छ ऑक्सीजनयुक्त हवा मिल पाती है।
  • चूँकि फूलों की खेती करने में उद्यमी को थोड़ा शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है जिसके कारण उसका व्यायाम हो जाता है और स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
  • मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों के लिए Flower Farming करना बेहद लाभकारी हो सकता है क्योंकि मधुमक्खियाँ फूलों के पराग को भोजन के रूप में अवशोषित करती हैं।

फूलों की खेती कैसे शुरू करें? (How to Start Flower Farming)

यद्यपि Flower Farming बिजनेस शुरू करना भारत में कठिन कार्य तो नहीं है लेकिन इसे सफलतापूर्वक लम्बे समय तक चलाना वास्तव में किसी चुनौती से कम नहीं है। इसलिए जो भी व्यक्ति यह बिजनेस शुरू करने की सोच रहा हो उसे पहले इस पर गंभीरता से विचार करना होगा की क्या वह इसे लम्बे समय तक चलाने में समर्थ है की नहीं।

हालांकि ग्रामीण इलाकों में कृषि श्रमिक आसानी से मिल जाते हैं लेकिन केवल श्रमिकों पर निर्भर होकर इस काम में सफलता की उम्मीद नहीं की जा सकती है कभी कभी हो सकता है की उद्यमी को भी काफी शारीरिक परिश्रम करना पड़े। इसलिए इस बात के लिए भी उद्यमी को हमेशा तैयार रहने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा यदि हो सके तो वह अपने द्वारा उत्पादित उत्पाद को किन बाज़ारों में बेचेगा इसका आकलन एवं निरीक्षण भी पहले ही कर ले तो बेहद अच्छा रहता है।   

1. जमीन एवं पानी का प्रबंध (Land & water for Flower Farming)

Flower Farming यानिकी फूलों की खेती करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है वह है जमीन क्योंकि फूलों की खेती जमीन पर ही शुरू की जाएगी। यदि उद्यमी पाली हाउस इत्यादि का भी निर्माण करवाता है तो भी उसे जमीन की ही आवश्यकता होती है। और ध्यान रहे इस तरह की यह खेती यानिकी Flower Farming ग्रामीण इलाकों से आसानी से शुरू की जा सकती है क्योंकि ग्रामीण भारत से ही अधिकतर लोग कृषि से सम्बंधित व्यवसाय शुरू करने की चाह रखते हैं।

इसलिए यदि इच्छुक व्यक्ति के पास ग्रामीण इलाके में जमीन है तो वह इस बिजनेस को आसानी से शुरू कर सकता है यदि नहीं भी है तब भी वह लीज या रेंट पर जमीन लेकर इस बिजनेस को शुरू कर सकता है। क्योंकि आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में जमीन एवं कृषि श्रमिक सस्ती दरों एवं आसानी से उपलब्ध भी हो जाती हैं। लेकिन जमीन के साथ साथ उद्यमी को पानी के प्रबंध का विचार भी अवश्य करना चाहिए क्योंकि बहुत सारे फूल ऐसे हैं जिनका उत्पादन बिना पानी के नहीं किया जा सकता है ।    

2. खेती के लिए जलवायु के आधार पर फूलों का चयन करें

जो उद्यमी Flower farming शुरू करना चाहता हो उसे चाहिए की वह राज्य के कृषि विभाग से संपर्क करके कृषि वैज्ञानिकों से इस बारे में विचार विमर्श करे की उनके एरिया में कौन कौन से फूलों की खेती जलवायु के आधार पर उपयुक्त रहेगी। हालांकि भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय है इसलिए उष्णकटिबंधीय फूलों की खेती यहाँ संभव है।

लेकिन इसके बावजूद व्यक्ति को चाहिए की वह एक बार कृषि वैज्ञानिकों की राय लेने के बाद ही इस बात का फैसला ले की उसके लिए कौन कौन से फूलों की खेती करना व्यवसायिक दृष्टी से लाभप्रद रहेगा। ध्यान रहे फूलों की खेती करने के लिए फूलों का चयन जलवायु एवं उपलब्ध संसाधनों के आधार पर होना चाहिए अन्यथा उद्यमी इस व्यवसाय से लाभ कमाने में नाकाम हो सकता है।   

3. चुनौतियों को समझें (Understand Challenges of Flower Farming)

जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की बिजनेस चाहे कोई सा भी हो उसमें चुनौतियाँ रहती ही रहती हैं। यहाँ तक की गली मोहल्लों में सब्जी का ठेला लगाने वाले व्यक्ति भी इस बात से चिंतित रहता है की कहीं उसकी सब्जी बिकी नहीं और सड़ गई तो क्या होगा?। लेकिन सिर्फ चिंता करने से काम नहीं होता बल्कि जिसने उसका हल निकाल लिया वही उस बिजनेस को सफलतापूर्वक कर पायेगा। ठीक इसी तरह Flower Farming में भी अनेक चुनौतियाँ हैं।

जैसे फूलों को डाली से तोड़ने के बाद कितने समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है? उत्पादित फूलों को कहाँ बेचें? इत्यादि। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह इस बिजनेस में आने वाली चुनौतियों को समझे इसके लिए हो सके तो उद्यमी को किसी Flower Farming Business करने वाले उद्यमी के पास काम करने की आवश्यकता होती है। ताकि वह इस बिजनेस में आने वाली चुनौतियों का बारीकी से आकलन कर सके । और उसके बाद यह निर्णय ले सके की वह इस बिजनेस को कर सकेगा या नहीं। यद्यपि इसमें सबसे बड़ी चुनौती फूलों के लिए बाजार ढूंढना या ग्राहक ढूंढना ही है।      

4. लागत का अनुमान लगायें

हालांकि यदि उद्यमी के पास स्वयं की जमीन है तो Flower farming शुरू करने में आने वाली लागत काफी हद तक कम हो जाती है। जमीन के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज कृषि श्रमिक हैं जो उद्यमी के फूलों की खेती में दैनिक मजदूरी के तौर पर कार्य करने में समर्थ हों। इसके अलावा कृषि उपकरणों, जुताई, फूलों के बीज इत्यादि खरीदने की भी आवश्यकता होती है।

इसलिए जब उद्यमी लागत का आकलन कर रहा हो तो उसे सभी प्रकार की लागतों का बारीकी से आकलन करना चाहिए। ताकि वह उसी हिसाब से अपने आपको दिमागी एवं आर्थिक तौर पर तैयार रख सके। जहाँ तक कृषि श्रमिकों की बात है शुरूआती दौर में किसान चाहे तो अपने परिवार के सदस्यों को इस्तेमाल में ला सकता है और जब बिजनेस बढ़ने लगे तो फिर मजदूरी देकर मजदूर रख सकता है।      

5. मेहनत करें उत्पादन करें

अब चूँकि उद्यमी Flower Farming बिजनेस शुरू कर चूका है और उसे पता चल गया है की उसे किस प्रकार की फूलों की खेती करनी है और इनका उत्पादन करके कहाँ बेचना है। इसलिए अब उद्यमी का केवल एक ही मकसद उत्पादन बढाने का होना चाहिए इसके लिए उद्यमी आधुनिक उपकरण, खाद एवं अन्य चिकित्सा का इस्तेमाल कर सकता है। चूँकि यह खेती से जुड़ा हुआ कार्य है इसलिए उद्यमी को शारीरिक मेहनत करने, एवं करवाने दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए। 

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