Sweet Shop यानिकी मिठाई की दुकान से भला कौन अवगत नहीं होगा जी हाँ हर गली मोहल्ले में हमें एक से अधिक इस प्रकार की दुकानें देखने को मिल जाती हैं। वर्तमान परिदृश्य में एक मिठाई की दुकान में सिर्फ मिठाई की ही बिक्री नहीं होती।
बल्कि कई मिठाई की दुकान हल्दीराम, ओम स्वीट्स इत्यादि की तर्ज पर लोगों को छोले भठूरे, इडली, सांभर, डोसा, पाव, भाजी, लस्सी इत्यादि भी बेचते हैं। कहने का आशय यह है की वर्तमान में बड़े बड़े स्वीट हाउस लोगों को मिठाई के अलावा ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर इत्यादि की भी पेशकश करते हैं।
लेकिन यह सब उद्यमी की योजना पर निर्भर करता है की वह क्या क्या फ़ूड आइटम बनाकर लोगों को बेचने की इच्छा रखता है। वैसे देखा जाय तो शुरूआती दौर में उद्यमी को सिर्फ मिठाइयों को ही अपनी स्वीट शॉप का हिस्सा बनाना चाहिए।
जहाँ तक सवाल मिठाई के इस्तेमाल का है अपने देश भारत में लोग लगभग हर छोटी बड़ी ख़ुशी में अपना एवं अपने जानने वालों का मुहँ मिठाई से मीठा कराते हैं। और त्योहारों जैसे होली, दीवाली, ईद इत्यादि में तो मिठाइयों की इतनी मांग होती है की इस मांग को पूरी कर पाना भी एक चुनौती हो जाती है।
इसके अलावा जबलोग कहीं रिश्तेदारी में जाते हैं तो उनके लिए मिठाई ले जाने का भी रिवाज है यही कारण है की वर्तमान में हर छोटे बड़े स्थानीय बाजार में एक से अधिक मिठाई की दुकानें (Sweet Shops) आसानी से देखी जा सकती है।
मिठाई की दुकान चलने की संभावना
जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की वर्तमान में अधिकतर लोग त्योहारों एवं ख़ुशी के मौकों पर अपनी जान पहचान वालों को मिठाई बांटना पसंद करते हैं। इसके अलावा अनेकों मौकों जैसे कोई नई चीज खरीदने पर, जन्मदिन, सालगिरह, शादी इत्यादि पर भी लोग मिठाई बाँटना पसंद करते हैं।
और तो और वर्तमान में कम्पनियां भी अपने कर्मचारियों इत्यादि को अनेकों मौकों पर मिठाई के डिब्बे भेंट स्वरूप प्रदान करती हैं। यही कारण है की वर्तमान परिदृश्य में मिठाई की दुकानों की महत्वता काफी बढ़ गई है। इस बिजनेस का खास फायदा यह है की भले ही लोग मिठाई खाना पसंद करें या नहीं लेकिन उन्हें मान्यताओं एवं परम्पराओं के आधार पर इन्हें खरीदना ही होता है।
जब कोई व्यक्ति कहीं अपनी रिश्तेदारी में जा रहा होता है तो वह सबसे पहले यही सोचता है की वह उनके लिए कौन सी मिठाई लेकर जाए। चूँकि अपना देश भारत रहन सहन, खान पान इत्यादि में विविधताओं से भरा हुआ देश है इसलिए यह जरुरी नहीं है की जो मिठाई उत्तर भारत में बिकती हो वही मिठाई दक्षिण या पश्चिम में भी बिकेगी।
बल्कि सच्चाई यह है की यहाँ राज्यों के आधार पर जैसे बंगाली मिठाई, गुजराती मिठाई, कन्नड़ मिठाई इत्यादि प्रचलित हैं। कहने का आशय यह है की राज्य एवं लोकेशन के आधार पर उद्यमी को अलग अलग प्रकार की मिठाई अपने दुकान के माध्यम से ग्राहकों को बेचने की आवश्यकता होती है।
खुद की मिठाई की दुकान कैसे शुरू करें (How to Start Sweet Shop Business in India)
यद्यपि छोटे स्तर पर Sweet Shop Business शुरू करना बेहद ही आसान प्रक्रिया है इसमें उद्यमी को किसी अच्छी लोकेशन यानिकी भीड़ भाड़ वाली जगह पर दुकान किराये पर लेनी होती है। उसके बाद हलवाई, हेल्पर इत्यादि को काम पर रखकर मिठाई बनाने का काम शुरू कर देना होता है।
लेकिन यदि उद्यमी चाहता है की वह लम्बे समय तक इस व्यापार में टिका रहे तो उसे बेहद सोच समझकर स्टेप बाई स्टेप सभी कार्य करने पड़ते हैं जिनका विवरण इस प्रकार से है।
1. माँग एवं सप्लाई पर रिसर्च करें
जिस भी एरिया में उद्यमी स्वीट शॉप ओपन करने की योजना बना रहा हो उसे सर्वप्रथम उस एरिया में मिठाई की मांग एवं सप्लाई पर रिसर्च करने की आवश्यकता होती है। और यदि उस एरिया में पहले से कोई मिठाई की दुकान चल रही है तो उद्यमी को यह भी पता करने की कोशिश करनी चाहिए की क्या उसके ग्राहक उससे संतुष्ट हैं।
और क्या उस एरिया में उपलब्ध दुकानें उस एरिया में मिठाई की मांग को पूर्ण कर पाने में समर्थ हैं की नहीं। यदि माँग ज्यादा एवं सप्लाई कम है तो उद्यमी के लिए नई दुकान स्थापित करने के लिए सुनहरा अवसर विद्यमान है। इसलिए सर्वप्रथम उद्यमी को मिठाई की माँग एवं सप्लाई पर रिसर्च करनी बेहद आवश्यक हो जाती है।
चाहे आप कितने भी अच्छे हलवाई की नियुक्ति कर लें या भले ही आप कितने अच्छे हलवाई क्यों न हों। कहने का आशय यह है की भले ही आप कितनी ही अच्छी एवं स्वादिष्ट मिठाइयाँ बना लें, लेकिन यदि ग्राहकों को आपकी दुकान ढूँढने में दिक्कत होती है।
और मुख्य सड़क से आपकी मिठाई की दुकान नहीं दिखती है तो यह आपके बिजनेस के लिए एक बहुत बड़ी नुकसान वाली बात हो सकती है। इसलिए उद्यमी की मिठाई की दुकान एक ऐसी लोकेशन पर होनी नितांत आवश्यक है ।
जहाँ से ग्राहक उसे अच्छी तरह देख सकें और उन्हें वहां तक आने जाने में किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। आम तौर पर भीड़ भाड़ वाले इलाकों, पॉश एरिया, जहाँ विभिन्न कंपनियों के ऑफिस हों इत्यादि को इस तरह की दुकान के लिए आदर्श लोकेशन माना जाता है।
इसलिए उद्यमी का प्रयास लोकेशन का चयन करते समय यही होना चाहिए की वह किसी ऐसी लोकेशन का चयन करे जहाँ से उसे अधिक से अधिक ग्राहकों के मिलने की संभावना हो और वहां पर बुनियादी सुविधाओं का किसी प्रकार का कोई अभाव न हो।
3. फ्रैंचाइज़ी या खुद का व्यापार का निर्णय लें
मिठाई की दुकान शुरू करने के लिए उद्यमी के पास दो विकल्प हैं पहला विकल्प किसी प्रसिद्ध स्वीट हाउस की फ्रैंचाइज़ी लेकर इस बिजनेस को शुरू करने की है। तो दूसरा विकल्प खुद का स्वीट हाउस शुरू करने का है।
ध्यान रहे यदि उद्यमी किसी प्रसिद्ध स्वीट कंपनी की फ्रैंचाइज़ी लेता है तो उसे बहुत अधिक मार्केटिंग करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उस स्वीट हाउस के बारे में लोग पहले से जानते हैं। लेकिन जिस कंपनी ने उद्यमी को फ्रैंचाइज़ी प्रदान की है उसे उद्यमी को अपने प्रॉफिट का कुछ प्रतिशत हिस्सा देना होता है।
ऐसे बहुत सारे स्वीट हाउस जैसे संगम, आनंद भवन, कांति स्वीट्स इत्यादि हैं जो इच्छुक उद्यमियों को अपनी फ्रैंचाइज़ी प्रदान करती हैं। लेकिन ध्यान रहे यदि उद्यमी खुद का स्वीट हाउस शुरू करना चाहता है तो उसे लोगों को गुणवत्तायुक्त स्थानीय मिठाइयाँ एवं कुछ नई मिठाई इजाद करने की भी आवश्यकता हो सकती है।
ताकि बेहद कम समय में उसके बिजनेस को नई पहचान मिल सके। इसलिए उद्यमी को यह भी तय करने की आवश्यकता होती है की वह इस बिजनेस को किस तरह से शुरू करना चाहता है।
4. फिक्स एवं फर्निशिंग का काम पूर्ण करें (Fixing Furnishing Of Sweet Shop)
इसके बाद किराये पर ली हुई दुकान में उद्यमी को इलेक्ट्रिसिटी, किचन सेटअप, एवं अन्य फर्निशिंग के काम को पूर्ण करना होता है। आम तौर पर एक स्वीट शॉप में अनेकों शीशे लगे बड़े बड़े काउंटर होते हैं जिनके अन्दर मिठाई को डिस्प्ले किया जाता है इनमें दोनों तरफ शीशे लगे होते हैं।
जहाँ आगे की तरफ शीशे बैंड होते हैं तो वहीँ पीछे की तरफ स्लाइडिंग वाले शीशे लगे होते हैं ताकि उनका इस्तेमाल दरवाजे के तौर पर किया जा सके और मिठाई को काउंटर में आसानी से निकाला एवं लगाया जा सके।
इसके अलावा दुकान की दीवारों पर भी शीशे एवं लकड़ी से निर्मित खांचे बनाये जाते हैं इनमें आम तौर पर मिठाई के प्रिंटेड खाली डिब्बे रखे जाते हैं।
उद्यमी चाहे तो इस काम के लिए किसी ऐसे कारपेंटर की मदद ले सकता है जिसने पहले भी किसी अन्य मिठाई की दुकान की फर्निशिंग की हो। या बजट अधिक होने पर किसी ऐसे आर्किटेक्ट की मदद ली जा सकती है जिसे मिठाई की दुकानों की डिजाइनिंग इत्यादि का उचित अनुभव हो।
5. जरुरी लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन प्राप्त करें
वैसे स्थानीय स्तर यानिकी छोटे स्तर पर मिठाई की दुकान शुरू करने के लिए किसी प्रकार की लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता तो नहीं है। लेकिन चूँकि यह खानपान से जुड़ा हुआ बिजनेस है इसलिए उद्यमी को FSSAI Registration अवश्य करा लेना चाहिए यदि शुरूआती दौर में उद्यमी का टर्नओवर 12 लाख से कम है तो वह यह रजिस्ट्रेशन मात्र 100-150 रूपये का शुल्क अदा करके ऑनलाइन ही आसानी से किया जा सकता है।
इसके अलावा उद्यमी को जीएसटी पंजीकरण इत्यादि की भी आवश्यकता भविष्य में हो सकती है। और उद्यमी चाहे तो स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका इत्यादि से भी इस बारे में पता कर सकता है की कहीं उसे इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए उनसे तो किसी प्रकार के लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है।
6. हलवाई इत्यादि की नियुक्ति करें
भले ही यह बिजनेस शुरू करने वाला उद्यमी खुद ही हलवाई क्यों न हो लेकिन उसे कोई न कोई कर्मचारी तो नियुक्त करना ही होगा। जी हाँ यदि उद्यमी खुद एक हलवाई है तो उसे दो तीन हेल्पर की आवश्यकता हो सकती है जो उसके काम में उसका हाथ बंटाएं और आने वाले समय में उसका विकल्प बन सकें।
लेकिन यदि उद्यमी स्वयं हलवाई नहीं है तो उसे एक या एक से अधिक हलवाई नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है और दो तीन हेल्पर नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि उद्यमी को एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए की हर हलवाई को हर तरह की मिठाई बनाना नहीं आ सकता इसलिए उद्यमी को उसी हलवाई की नियुक्ति करनी चाहिए जिसे उसके मेनू के मुताबिक लगभग सभी मिठाइयाँ बनाना अच्छे से आता हो।
7. संभावित ग्राहकों से मीटिंग एवं मार्केटिंग (Marketing of Sweet Shop)
हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं की व्यक्तिगत ग्राहकों से स्वीट शॉप बिजनेस करने वाले उद्यमी का मीटिंग कर पाना संभव नहीं होगा। लेकिन यदि आप किसी ऐसे क्षेत्र में हैं जहाँ पर औद्योगिक इकाइयों एवं कार्यालयों की भरमार है तो वहां पर आप होली, दीवाली जैसे त्योहारों पर उनसे संपर्क कर सकते हैं।
क्योंकि वर्तमान में विशेषकर दीवाली पर कर्मचारियों इत्यादि को कंपनी द्वारा मिठाई वितरित करने की परम्परा सी चल गई है। इसके अलावा इन कार्यालयों में समय समय पर कुछ कुछ छोटे बड़े कार्यक्रम होते रहते हैं इसलिए इनसे लगातार संपर्क बनाये रखकर उनकी मिठाई सम्बन्धी आवश्यकताओं को जानने की कोशिश करें।
और उन्हें अन्य की तुलना में थोड़े सस्ती दरों पर मिठाई ऑफर करें क्योंकि उन्हें एक साथ सैकड़ों डिब्बे खरीदने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा उद्यमी को विशेषकर त्यौहार के अवसरों पर पोस्टर, पम्फलेट इत्यादि के माध्यम से लोगों तक अपने ऑफर एवं प्रोडक्ट की जानकारी पहुँचाने की कोशिश करनी चाहिए।
मिठाई की दुकान शुरू करने में खर्चा
मिठाई की दुकान शुरू करने में कितना खर्चा आएगा वह इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी किस स्तर की दुकान खोलने पर विचार कर रहा है।
वर्तमान में अधिकतर मामलों में लोग एक बड़ी सी मिठाई की दुकान जिसमें वह अपने ग्राहकों को ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की भी सुविधा प्रदान करते हैं, खोलना पसंद करते हैं।
तो वही कुछ मिठाई की दुकानें मिठाई के साथ साथ फ़ास्ट फ़ूड आइटम भी बेचती हैं, तो कई ऐसी दुकाने भी होती हैं जो सिर्फ मिठाई ही बेचती हैं।
ऐसे में इन अलग अलग तरह की दुकानों को खोलने में आने वाला खर्चा अलग अलग हो सकता है। आम तौर पर एक ऐसी मिठाई की दुकान जिसमें उद्यमी अपने ग्राहकों को मिठाई के साथ साथ छोले, समोसे, गोल गप्पे, टिक्की, छोले भठूरे इत्यादि बेच रहा हो।
लेकिन अन्य खाना नहीं बेच रहा हो, को शुरू करने में उद्यमी को ₹3.5 लाख से ₹6 लाख रूपये तक का निवेश करने की आवश्यकता हो सकती है।
मिठाई की दुकान से कितनी कमाई होगी
मिठाई की दुकान से होने वाली कमाई भी पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी हर दिन कितने किलो मिठाई बेच पाने में सफल हो पाता है।
क्योंकि जितनी ज्यादा मिठाई वह प्रतिदिन बेच पाने में सफल होगा उतनी ही ज्यादा मात्रा में उसे मिठाई बनाने की आवश्यकता होगी । और यह बात तो हर कोई जानता है की कम मात्रा की तुलना में अधिक मात्रा में मिठाई बनाने में प्रति किलो लागत कम आती है।
कहने का आशय यह है की बिक्री बढ़ने से सीधे रेवेन्यु में तो इजाफा तो होता ही है यह प्रोडक्शन कास्ट को कम करने में भी मदद करता है।
मिठाई की दुकान (Sweet Shop Business) से कुल मिठाई की बिक्री पर लगभग 25% से 35% तक का मार्जिन अर्जित किया जा सकता है। किराया और कर्मचारियों की सैलरी को जोड़ देने के बाद इस प्रतिशत में थोड़ी गिरावट हो सकती है।
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