स्टॉक एक्सचेंज क्या है | कैसे काम करता है? फायदे और निवेश के तरीके |

स्टॉक एक्सचेंज की यदि हम बात करें, तो यह शेयर बाजार का एक बेहद महत्वपूर्ण घटक है। यह फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट के ट्रेडर्स और खरीदारों को लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है। भारत में उपलब्ध Stock Exchange को सेबी विनियमित करता है। यानिकी इन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनियमन बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्देशित और निर्धारित सभी नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है। सेबी एक अधिकारिक और प्राधिकृत निकाय है, जो निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कार्य करता है। और इसका मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार को प्रोत्साहित करना है।

स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

भारत में स्टॉक एक्सचेंज एक बाजार के तौर पर कार्य करता है और इस बाजार में स्टॉक, बांड एवं कमोडिटी इत्यादि वित्तीय साधनों का कारोबार किया जाता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ सेबी के नियमों का पालन करते हुए विक्रेता और क्रेता वित्तीय साधनों का व्यापार करते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में केवल वही कम्पनियाँ व्यापार कर सकती हैं, जो इनमें सूचीबद्ध हों।

यद्यपि ऐसे स्टॉक जो किसी प्रतिष्ठित Stock Exchange में सूचीबद्ध न हों, उन स्टॉक का भी ‘ओवर द काउंटर मार्किट’ में कारोबार किया जा सकता है। लेकिन इस तरह के शेयरों को एक्सचेंज में उतनी महत्वता नहीं मिल पाती।

India's stock exchange
Stock Exchange kya hai

Stock Exchange काम कैसे करता है           

आम तौर पर देखें तो भारत में स्टॉक एक्सचेंज में कोई बाजार निर्माता या विशेषज्ञ मौजूद नहीं होते हैं, इसलिए यह स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। यहाँ पर ट्रेडिंग की पूरी प्रक्रिया आर्डर देने पर संचालित होती है और इन आर्डर को इलेक्ट्रॉनिक लिमिट आर्डर बुक द्वारा संचालित किया जाता है। इसे इस तरह से सेट अप किया गया है की, ट्रेडिंग कंप्यूटर की मदद से आर्डर आटोमेटिक मेल हो जाते हैं। इसके फंक्शन में निवेशकों के मार्किट आर्डर को उपयुक्त लिमिट आर्डर के साथ मिलाना भी शामिल है।

स्टॉक एक्सचेंज की आर्डर ड्राईवन मार्किट कार्यप्रणाली का सबसे बड़ा फायदा यह है की यह सभी मार्किट आर्डर को सार्वजनिक रूप से पारदर्शिता के साथ प्रदर्शित करती है। स्टॉक एक्सचेंज की ट्रेडिंग प्रणाली में ब्रोकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह इसलिए क्योंकि सभी आर्डर ब्रोकर के माध्यम से ही एक्सचेंज तक पहुँचते हैं।

चाहे संस्थागत निवेशक हों, या खुदरा ग्राहक दोनों डायरेक्ट मार्किट एक्सेस (DMA) से सम्बंधित लाभों का लाभ ले सकते हैं। निवेशक स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अधिकृत मार्किट ब्रोकरों द्वारा प्रदान किये जाने वाले ट्रेडिंग टर्मिनलों का इस्तेमाल करके अपने आर्डर को सीधे ट्रेडिंग सिस्टम में शामिल कर सकते हैं।

स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के फायदे

स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के किसी भी कंपनी को अनेकों फायदे हो सकते हैं, इनमें कंपनी की प्रतिभूतियों को विशेष विशेषधिकार मिलने से लेकर कई अन्य फायदे शामिल हैं। आम तौर पर किसी कंपनी का एक प्रतिष्ठित स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना कंपनी, निवेशकों और आम जनता के लिए भी काफी फायदेमंद माना गया है। इसके कुछ और फायदे इस प्रकार से हैं।  

1. वैल्यू को बढ़ाता है

किसी प्रतिष्ठित Stock Exchange में सूचीबद्ध होने से कंपनी और उसके शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है। शेयर बाजार में अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए कंपनियां चाहें तो शेयरधारकों की संख्या बढ़ा सकती है। मार्किट में शेयरधारकों के लिए शेयर जारी करना शेयरधारकों के आधार और उनकी विश्वसनीयता को बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है।

2. पूँजी तक पहुँच बन जाती है

किसी भी कंपनी के लिए पूँजी प्राप्त करने के सबसे प्रभावी तरीकों में कंपनी के शेयरों को शेयर बाजार  में जारी करना है। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियां अपनी प्रतिष्ठा के बलबूते अन्य कम्पनियों की तुलना में अधिक पूँजी पैदा कर सकती हैं। और इस पूँजी का इस्तेमाल अपनी कंपनी को अच्छे ढंग से संचालित करने और बनाये रखने के लिए कर सकती हैं।

3. कोलैटरल वैल्यू में वृद्धि  

कम्पनियों को समय समय पर ऋण की आवश्यकता पड़ती रहती है। और एक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कम्पनी को तुलनात्मक रूप से ऋणदाता से जल्दी ऋण प्राप्त हो जाता है। क्योंकि सभी ऋणदाता द्वारा सूचीबद्ध प्रतिभूतियों को कोलैटरल के तौर पर स्वीकार किया जाता है।

4. लिक्विडिटी का फायदा

स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से शेयरधारकों को अन्य की तुलना में बेहतर तरलता का लाभ मिलता है इसके अलावा उन्हें तैयार मार्किटअब्लिटी का भी फायदा मिलता है। इससे शेयरधारक किसी कंपनी में अपने निवेश किये गए मूल्य के अनुसार स्वामित्व का पता लगा सकते हैं ।

एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के बाद ही कोई कंपनी शेयर के लेन देन करने के लिए अधिकृत हो पाती है। इसके साथ ही कई जोखिमों को दूर करने में भी सक्षम होता है। यह शेयरधारकों को उनकी आय में सुधार करने में भी मदद करता है।

5. उचित मूल्य प्राप्त होना  

स्टॉक एक्सचेंज में कोटेड प्राइस भी किसी प्रतिभूति के वास्तविक मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की कीमतें उनकी माँग और आपूर्ति की शक्ति को देखते हुए निर्धारित की जाती हैं। इसलिए इसमें निवेशकों को उचित मूल्य पर शेयर प्राप्त होते हैं, तो कम्पनियों को उनके शेयर का उचित मूल्य प्राप्त होता है।

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके  

कोई भी इच्छुक निवेशक भारत के स्टॉक एक्सचेंज में निम्नलिखित दो तरीकों को अपनाकर निवेश कर सकते हैं।

1. प्राइमरी मार्किट

प्राइमरी मार्किट की यदि हम बात करें तो यहाँ पर फर्म एवं कम्पनियां आम जनता के लिए अपने नए स्टॉक और बांड को जारी करते हैं। जिसका अभिप्राय यह है यह एक ऐसा मंच है जहाँ पर प्रतिभूतियों का निर्माण होता है। और कंपनियां और फर्म प्राइमरी मार्किट में पहली बार अपने स्टॉक को सूचीबद्ध करती हैं।

2. सेकेंडरी मार्किट

वैसे देखा जाय तो सेकेंडरी मार्किट को ही स्टॉक मार्किट के तौर पर जाना जाता है। क्योंकि यह निवेशकों के लिए एक ट्रेडिंग मंच के तौर पर काम करता है। यहाँ पर निवेशक स्टॉक जारी करने वाली कंपनी को शामिल किये बिना प्रतिभूतियों में ट्रेड करते हैं। सेकेंडरी मार्किट को प्रमुख तौर पर दो भागों ऑक्शन मार्किट और डीलर मार्किट में बांटा जा सकता है।

भारत के प्रतिष्ठित स्टॉक एक्सचेंज

भारत में प्रमुख तौर पर दो तरह के स्टॉक एक्सचेंज उपलब्ध हैं।

1. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE):

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत के शहर मुंबई के दलाल स्ट्रीट में 1875 में स्थापित किया गया था । यह एशिया का सबसे पुराना और दुनिया का दसवाँ सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में से एक है। एक आंकड़े के मुताबिक इसमें 6000 से अधिक कम्पनियाँ सूचीबद्ध हैं और इसका अनुमानित बाजार पूंजीकरण 4.9 ट्रिलियन डॉलर के आस पास है।

बीएसई का प्रदर्शन मापने के लिए सेंसेक्स को देखा जाता है यानिकी इसका प्रदर्शन सेंसेक्स द्वारा मापा जाता है। सेंसेक्स में बढ़ोत्तरी इसके अच्छे प्रदर्शन को प्रदर्शित करती है, जबकि सेंसेक्स में कमी के होने का अर्थ बाजार में गिरावट से लगाया जाता है।

2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE): 

1992 से पहले इस क्षेत्र में बीएसई का एकाधिकार व्याप्त था, लेकिन वर्ष 1992 में नेशनल Stock Exchange की स्थापना भी मुंबई में ही की गई। और इसे डिम्युचुअलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंज बाजारों में सबसे अग्रणी एक्सचेंज के तौर पर मान्यता प्राप्त हुई। इसकी स्थापना का उद्देश्य भी BSE के एकाधिकार प्रभाव को कम करना था।

एनएसई भी दुनिया का बारहवें सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में शामिल है, मार्च 2016 तक इसका अनुमानित बाजार पूंजीकरण 4.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर आँका गया था। NIFTY 50 इसका सूचकांक है और इस सूचकांक का इस्तेमाल दुनियाभर के निवेशकों द्वारा भारत के पूँजी बाजार के प्रदर्शन को मापने के लिए किया जाता है । 

प्रश्न – भारत में कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं?

उत्तर – भारत में 8 राष्ट्रीय और 21 क्षेत्रीय Stock Exchange सक्रीय हैं।

प्रश्न – भारत के प्रमुख राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज कौन कौन हैं?

उत्तर – भारत के प्रमुख राष्ट्रीय Stock Exchange में Bombay Stock Exchange (BSE) और National Stock Exchange (NSE) का नाम शामिल है।

प्रश्न – भारत में कितने प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज हैं?

उत्तर – भारत में प्रमुख रूप से दो प्रकार के पहले जो राष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं, दुसरे जो क्षेत्रीय स्तर पर काम करते हैं, Stock Exchange उपलब्ध हैं।

प्रश्न – Bombay Stock Exchange (BSE)की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?

उत्तर – इसकी स्थापना सन 1875 में मुंबई के दलाल स्ट्रीट में हुई थी।

प्रश्न – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना कब हुई?

उत्तर – इसकी स्थापना सन 1992 में मुंबई में ही हुई थी।     

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